केदारनाथ सीट पर हरक की हनक से दावेदारों में खलबली
1 min read13/01/2022 6:11 pm
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हरक की सियासी गणित में फंसी केदारनाथ सीट
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दावेदार निराश, कार्यकर्ता हताश
स्थानीय बनाम बाहरी का नारा हुआ बुलंद
कहते हैं कि आपस में लड़ने का फायदा तीसरा उठाता है। कुछ ऐसा ही हाल इन दिनों केदारनाथ विधान सभा में भाजपा में दिख रहा है। जहां दावेदारों की लम्बी फेहरिस्त एवं आपसी सहमति न बनने से बाहरी प्रत्याशी के लिए रास्ता खुल गया है। केदारनाथ सीट पर भाजपा के कद्दावर नेता डाॅ हरक सिंह रावत के दावे से भाजपा की अन्दरूनी कलह सामने आ गई है। डाॅ रावत के दावे के बाद अब भाजपा से टिकट के दावेदारो की नींद उड़ी हुई है। अब सभी दावेदारों को दो मोर्चों पर एक साथ लड़ाई लड़नी पड़ रही है। एक ओर तो उन्हें अपना टिकट पक्का करने के लिए जोर लगाना पड़ रहा है तो दूसरी ओर डाॅ रावत को इस सीट से दूर रखना है। जब से डाॅ रावत ने भाजपा हाई कमान के सामने चार सीटों का विकल्प रखा है। और उसमें केदारनाथ सीट का नाम से ही इस सीट के दावेदारों में खलबली मची हुई है। डाॅ रावत को रोकने के लिए अब लामबन्दी भी होने लगी है। क्षेत्र में लगातार बाहरी प्रत्याशी के विरोध की खबरें जोर पकड़ रही हैं तो वहीं भाजपा पदाधिकारी भी कहने लगे हैं कि डाॅ रावत का रिकार्ड केदारनाथ की जनता ही तोड़ेगी और उन्हें पहली बार उत्तराखण्ड में हार का मुंह देखना पड़ेगा। दरअसल कुछ दिन पूर्व डाॅ हरक सिंह रावत ने लैंसडाउन, डोईवाला, यमकेश्वर एवं केदारनाथ से लड़ने की इच्छा हाई कमान के सामने रखी थी। इन चार सीटों में से तीन सीटों पर वर्तमान में भाजपा के विधायक हैं। यमकेश्वर में भाजपा महिला मोर्चे की प्रदेश अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री भुवन चन्द्र खण्डूड़ी की पुत्री ऋतु खण्डूड़ी विधायक हैं तो डोईवाला में पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत विराजमान हैं। इन सीटों पर भाजपा प्रत्याशी बदलेगी ऐसा लगता नहीं है। ले दे कर लैंसडाउन और केदारनाथ सीट बचती है। लैसडाउन सीट से डाॅ रावत अपनी बहू अनुकृति को प्रत्याशी बनाने का दबाब डाल रहे हैं इसको देखते हुए वहां के विधायक दलीप रावत ने डाॅ रावत का तीव्र विरोध करना प्रारम्भ कर दिया था। उन्होंने भाजपा हाई कमान तक डाॅ रावत की शिकायत भी की थी कि लैंसडाउन में स्वीकृत योजनाओं पर भी डाॅ रावत कार्य नहीं होने दे रहे हैं। डाॅ रावत को अपने लिए केदारनाथ सबसे मुफीद सीट लग रही है। क्योंकि इस सीट पर 2017 में भाजपा को हार मिली थी। भाजपा इस सीट को हर हाल में जीतना चाहती है। परन्तु इस सीट पर दावेदारों की लम्बी फेहरिस्त ने भाजपा हाई कमान को परेशानी में डाला हुआ है। दावेदारों की आपसी फूट को कम से कम करने के लिए भाजपा को यहां से डाॅ हरक सिंह को लड़ाना बेहतर लग सकता है। डाॅ रावत के जीत के रिकार्ड को देखते हुए भाजपा इस सीट पर उन्हें प्रत्याशी बना सकता है। बस इसी बिन्दु पर केदारनाथ के दावेदारों को अपनी सीट जाती दिख रही है। अब यहां बाहरी बनाम स्थानीय का नारा बुलन्द होने लगा है। जो साकार भी हो सकता है। पिछली बार केदारनाथ सीट पर अन्दर खाने नारी मुक्ति का नारा लगा था और यह सच साबित हुआ था। इस बार भाजपा के कई पदाधिकारी बाहरी प्रत्याशी का पुरजोर विरोध करने की बात करने लगे हैं। और पार्टी द्वारा ऐसा करने पर प्रत्याशी को हराने का दावा भी किया जा रहा है। वहीं अन्दरखाने यह भी चर्चा है कि जिस भी दावेदार को यह लग रहा है कि उसे टिकट नहीं मिल पायेगा वह डाॅ रावत को इस सीट पर चुनाव लड़ने का न्यौता दे रहा है। इसमें उन्हें दोहरा लाभ दिख रहा है। अगर डाॅ रावत जीत गये और भाजपा की सरकार बनी तो उन्हें सरकार में दायित्व मिल सकता है। साथ ही जैसा डाॅ रावत का रिकार्ड है कि वे दोबारा उस क्षेत्र से नहीं लड़ते है। इसको देखते हुए अगली बार उनका दावा मजबूत हो जायेगा। अब यह तो आने वाले कुछ दिनों में पता चलेगा कि केदारनाथ सीट पर स्थानीय प्रत्याशी होगा या बाहरी, जब भाजपा अपने प्रत्याशियों की लिस्ट जारी करेगी। परन्तु तब तक दावेदारों की सांस और जनता की उत्सुकता अटकी ही रहेगी।

वरिष्ठ पत्रकार
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केदारनाथ सीट पर हरक की हनक से दावेदारों में खलबली
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