प्रदेश में हुए नेतृत्व परिवर्तन के बाद बदले राजनीतिक समीकरण के चलते नहीं लड़ना चाहते है चुनाव। भाजपा में जहाँ टिकटों को लेकर बवाल मचा है वहीं सूबे के पूर्व सीएम रह चुके त्रिवेन्द्र रावत ने भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष को पत्र लिखकर चुनाव न लड़ने का ऐलान कर सबको अंचभे में डाल दिया है। हालांकि त्रिवेन्द्र इस बदलाव के पीछे बड़े सियासी समीकरण साधने की जुगत में हो लेकिन चुनाव न लड़ने की घोषणा भाजपा हाईकमान के लिए चुनौति बन सकती है। कयास ये भी लग रहे है कि इस ऐलान के पीछे पार्टी उनको किसी बड़े पद पर भी शिफ्ट करने का विचार कर सकती है।

Featured Image

डोईवाला सीट से विधायक पूर्व सीएम त्रिवेन्द्र ने राज्य में हुए नेतृत्व परिवर्तन का हवाला देते हुए लिखा है कि युवा नेतृत्व के रूप में पुष्कर सिंह धामी के रूप में सीएम मिले है, बदली हुई राजनीतिक परिस्थितियों में मुझे 2022 का विधानसभा चुनाव नहीं लड़ना चाहिए। मैं अपनी भावनाओं को पूर्व में भी पार्टी हाईकमान को अवगत करा चुका हूँ। मैं भाजपा का समर्पित कार्यकत्ता हूँ, मैंने सदैव अपनी जिम्मेदारियों को बखूबी निभाया है। वर्तमान में उत्तराखण्ड राज्य में चुनाव आ रहा है, युवा सीएम पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में पुनः सरकार बने उसके लिए पूरा समय लगाना चाहता हूँ। इसलिए मैं चुनाव न लड़ने का अनुरोध कर रहा हूँ ताकि मैं अपने संर्पूण प्रयास सरकार बनाने के लिए लगा सकूं। उन्होंने अपनी जीत के लिए डोईवाला क्षेत्र के लोगों का आभार भी जताया है। डोईवाला सीट पर सूबे के पूर्व वन मंत्री डा0 हरक सिंह रावत की नजर भी है, भाजपा छोड़ने और कांग्रेस से जुड़ने के बीच हुए समझौतो में डोईवाला भी उनकी मांग का एक हिस्सा था। सीएम पद से हटाये जाने के बाद त्रिवेन्द्र के प्रति छाई नकारात्मकता पार्टी और स्वयं त्रिवेन्द्र के राजनैतिक कैरियर के लिए भी खतरे का संकेत थी इसलिए भी हरक सिंह के लिए यह सबसे मुफीद जगह बन सकती थी, शायद इस बात का अंदेशा पूर्व सीएम को हो चुका है। कही न कहीं चुनाव न लड़ने की उनकी मंशा के पीछे यह कारण भी अहम है। [caption id="attachment_23857" align="alignleft" width="150"] दीपक बेंजवाल, सम्पादक[/caption] दीपक बेंजवाल