कड़ाके की ठंड, दो मासूम बच्चे और टूटा घर, डीएम साहब हमें क्यों नहीं मिलता प्रधानमंत्री आवास
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22/01/202211:39 am
अगस्त्यमुनि से पत्रकार हरीश गुसाई की खास रिपोर्ट
अगस्त्यमुनि ब्लॉक के कमसाल गांव रहने वाली विधवा 28 वर्षीय पूनम देवी पर इन दिनों दुःखों का पहाड़ टूट पड़ा है। प्रकृति ने ऐसा कहर ढ़ाया है कि वे बेघर होकर अपने दो मासूम बच्चों के साथ एक अदद आवास के लिए दर दर भटक रही हैं। परन्तु कहीं से कोई ठौर ठिकाना नहीं मिल पा रहा है। अभी कुछ दिन पूर्व हुई बारिस में उनका पुराना जीर्ण शीर्ण आवासीय भवन जमींदोज हो गया था। वे तब से उसी टूटे हुए भवन में जैसे जैसे दिन गुजार रही हैं। वैसे तो उनका नाम प्रधानमंत्री आवास योजना में चढ़ा है जो पता नहीं कब मिलेगा। जबकि वर्तमान में उन्हें आवास की सख्त आवश्यकता है। इस कड़ाके की ठण्ड में वे अपने दो मासूम बच्चों के साथ टूटे हुए मकान में रह रही हैं। जहां दिन में बन्दर तथा रात में जंगली जानवरों का डर बना हुआ है।
ग्राम कमसाल की पूनम देवी (28) के पति धर्मेन्द राणा की मृत्यु सात वर्ष पूर्व हो गई थी। वे गाड़ियों में क्लीनर का काम करते थे। शादी के तीन वर्ष बाद ही वे कैंसर जैसी बीमारी से ग्रसित होकर चल बसे। जो कुछ जमा पूंजी थी वह बीमारी में खर्च हो गई। पति की मृत्यु के समय उनका एक बेटा दो वर्ष का तथा बेटी एक वर्ष की थी। चार वर्ष पूर्व सास ससुर ने भी उन्हें अलग कर दिया। जिसके बाद वे एक टूटे हुए मकान में अपने बच्चों के साथ किसी तरह से अपना जीवन यापन कर रही थी। परन्तु इसी माह छः जनवरी को हुई बारिस से उनके इस मकान की छत टूट गई। कुछ दिन दूसरों के घरों में शरण लेकर उन्होंने छत तो जैसे तैसे पॉलीथीन से ढ़क दी। परन्तु अब दिन में बन्दर घुस कर उनका राशन इत्यादि बरबाद कर रहे हैं तो रात को जंगली जानवरों के डर से तीनों एक कोने में दुबक कर रात गुजरने का इन्तजार करते रहते हैं और इस भीषण ठण्ड में जैसे जैसे दिन गुजार रहे हैं। इसी बीच वह तहसील का चक्कर भी काट आई हैं। कोई मदद के लिए आगे नहीं आ रहा है। राशन कार्ड एवं बीपीएल कार्ड भी सास के नाम बना हुआ है, जिन्होंने उसे अलग किया हुआ है। जिससे इनका लाभ भी नहीं मिल पा रहा है। कुछ वर्ष पूर्व समाज कल्याण से उनके पुत्र के भरण पोषण के लिए दो हजार रू0 मिला करता था। वह भी अब बन्द हो गया है। कह रहे हैं कि यह केवल उन बच्चों के लिए मिलता है जिनके मां बाप दोनों नहीं हैं। केवल विधवा पेंशन के एक हजार रू0 में वह अपना तथा अपने बच्चों की परवरिश कर रही है। प्रधान जी कह रहे हैं कि उनका नाम प्रधानमंत्री आवास की लिस्ट में है। पता नहीं कब तक नम्बर आयेगा। तब तक वे लोग जिन्दा भी रह पायेंगे कि नहीं।
प्रधान ममता देवी ने बताया कि ग्राम पंचायत द्वारा उन्हें नियमानुसार हर सम्भव मदद दी जा रही है। प्रधानमंत्री आवास में भी उनका नाम चयनित है। अब अचानक आवास टूटने से उन्हें दिक्कतें आ रही हैं। पूनम देवी ने कभी मनरेगा में काम की भी मांग नहीं की।
जिपंस कुलदीप कण्डारी ने कहा कि उनके संज्ञान में मामला आने के बाद वे पटवारी को मौका मुआवना के लिए लाये। जो भी सम्भव होगा उनकी मदद की जायेगी।
किशोर न्याय बोर्ड के पूर्व सदस्य नरेन्द्र कण्डारी ने कहा कि समाज कल्याण विभाग द्वारा समेकित बाल संरक्षण योजना का लाभ गरीब बच्चों के लिए दी जानी चाहिए। जनपद में ऐसे कई लाभार्थी इस योजना से वंचित हैं जो चिन्ताजनक है।
कवर फोटो – अपने टूटे मकान में अपने दो मासूम बच्चों के साथ पूनम देवी।
हरीश गुसाईं,
हरीश गुसाई
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कड़ाके की ठंड, दो मासूम बच्चे और टूटा घर, डीएम साहब हमें क्यों नहीं मिलता प्रधानमंत्री आवास
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अगस्त्यमुनि से पत्रकार हरीश गुसाई की खास रिपोर्ट
अगस्त्यमुनि ब्लॉक के कमसाल गांव रहने वाली विधवा 28 वर्षीय पूनम देवी पर इन दिनों दुःखों का पहाड़ टूट पड़ा है। प्रकृति ने ऐसा कहर ढ़ाया है कि वे बेघर होकर अपने
दो मासूम बच्चों के साथ एक अदद आवास के लिए दर दर भटक रही हैं। परन्तु कहीं से कोई ठौर ठिकाना नहीं मिल पा रहा है। अभी कुछ दिन पूर्व हुई बारिस में उनका पुराना
जीर्ण शीर्ण आवासीय भवन जमींदोज हो गया था। वे तब से उसी टूटे हुए भवन में जैसे जैसे दिन गुजार रही हैं। वैसे तो उनका नाम प्रधानमंत्री आवास योजना में चढ़ा है
जो पता नहीं कब मिलेगा। जबकि वर्तमान में उन्हें आवास की सख्त आवश्यकता है। इस कड़ाके की ठण्ड में वे अपने दो मासूम बच्चों के साथ टूटे हुए मकान में रह रही हैं।
जहां दिन में बन्दर तथा रात में जंगली जानवरों का डर बना हुआ है।
ग्राम कमसाल की पूनम देवी (28) के पति धर्मेन्द राणा की मृत्यु सात वर्ष पूर्व हो गई थी। वे गाड़ियों में क्लीनर का काम करते थे। शादी के तीन वर्ष बाद ही वे कैंसर
जैसी बीमारी से ग्रसित होकर चल बसे। जो कुछ जमा पूंजी थी वह बीमारी में खर्च हो गई। पति की मृत्यु के समय उनका एक बेटा दो वर्ष का तथा बेटी एक वर्ष की थी। चार
वर्ष पूर्व सास ससुर ने भी उन्हें अलग कर दिया। जिसके बाद वे एक टूटे हुए मकान में अपने बच्चों के साथ किसी तरह से अपना जीवन यापन कर रही थी। परन्तु इसी माह छः
जनवरी को हुई बारिस से उनके इस मकान की छत टूट गई। कुछ दिन दूसरों के घरों में शरण लेकर उन्होंने छत तो जैसे तैसे पॉलीथीन से ढ़क दी। परन्तु अब दिन में बन्दर घुस
कर उनका राशन इत्यादि बरबाद कर रहे हैं तो रात को जंगली जानवरों के डर से तीनों एक कोने में दुबक कर रात गुजरने का इन्तजार करते रहते हैं और इस भीषण ठण्ड में
जैसे जैसे दिन गुजार रहे हैं। इसी बीच वह तहसील का चक्कर भी काट आई हैं। कोई मदद के लिए आगे नहीं आ रहा है। राशन कार्ड एवं बीपीएल कार्ड भी सास के नाम बना हुआ है,
जिन्होंने उसे अलग किया हुआ है। जिससे इनका लाभ भी नहीं मिल पा रहा है। कुछ वर्ष पूर्व समाज कल्याण से उनके पुत्र के भरण पोषण के लिए दो हजार रू0 मिला करता था।
वह भी अब बन्द हो गया है। कह रहे हैं कि यह केवल उन बच्चों के लिए मिलता है जिनके मां बाप दोनों नहीं हैं। केवल विधवा पेंशन के एक हजार रू0 में वह अपना तथा अपने
बच्चों की परवरिश कर रही है। प्रधान जी कह रहे हैं कि उनका नाम प्रधानमंत्री आवास की लिस्ट में है। पता नहीं कब तक नम्बर आयेगा। तब तक वे लोग जिन्दा भी रह
पायेंगे कि नहीं।
प्रधान ममता देवी ने बताया कि ग्राम पंचायत द्वारा उन्हें नियमानुसार हर सम्भव मदद दी जा रही है। प्रधानमंत्री आवास में भी उनका नाम चयनित है। अब अचानक आवास
टूटने से उन्हें दिक्कतें आ रही हैं। पूनम देवी ने कभी मनरेगा में काम की भी मांग नहीं की।
जिपंस कुलदीप कण्डारी ने कहा कि उनके संज्ञान में मामला आने के बाद वे पटवारी को मौका मुआवना के लिए लाये। जो भी सम्भव होगा उनकी मदद की जायेगी।
किशोर न्याय बोर्ड के पूर्व सदस्य नरेन्द्र कण्डारी ने कहा कि समाज कल्याण विभाग द्वारा समेकित बाल संरक्षण योजना का लाभ गरीब बच्चों के लिए दी जानी चाहिए।
जनपद में ऐसे कई लाभार्थी इस योजना से वंचित हैं जो चिन्ताजनक है।
कवर फोटो - अपने टूटे मकान में अपने दो मासूम बच्चों के साथ पूनम देवी।
[caption id="attachment_23858" align="alignleft" width="150"] हरीश गुसाईं,[/caption]
हरीश गुसाई