अर्थ कल लेंगे हमारे आज के संकेत....जनाधिकारों के लिए लड़ने-भिड़ने वाले रुद्रप्रयाग विधानसभा से युवा प्रत्याशी मोहित डिमरी की कहानी क्या हुआ जो युग हमारे आगमन पर मौन, सूर्य की पहली किरन पहचानता है कौन, अर्थ कल लेंगे हमारे आज के संकेत। तुम न माने शब्द कोई है न नामुमकिन, कल उगेंगे चाँद-तारे,

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कल उगेगा दिन....कवि दुष्यंत कुमार की इन पंक्तियों पर सटीक बैठती है जनाधिकारों के लड़ने-भिड़ने वाले एक युवा मोहित डिमरी की जिन्दादिली पर। इस जुझारू, संघर्षशील और जनता के लिए समर्पित युवा को राज्य के एकमात्र क्षेत्रीय दल ने रूद्रप्रयाग विधानसभा से अपना प्रत्याशी बनाया है। मोहित ने पिछले कुछ सालो में वो कर दिखाया जो बहुत से नेता और जनप्रतिनिधि उम्र का बड़ा हिस्सा गुजारने पर भी नहीं कर पाए। मन्दाकिनी की गोद में बसे इस जनपद में जनाधिकारों के लिए जनता की आवाज बनने वाले जनाधिकार मंच के अध्यक्ष के तौर पर उन्होंने क्रान्ति की नयी शुरूवात की है। बतौर पत्रकार सार्वजनिक क्षेत्र में आने पर जनसमस्याओं के बड़े जंजाल ने मोहित के मन में बड़ी गहरी उथल पुथल मचाई। बिजली, पानी, सड़क, स्वास्थ्य के कारण जनता की छोटी-बड़ी कई परेशानियाँ पहाड़ के पलायन रुपी आग में घी का काम कर रही थी। समय रहते इन्हें सुना और सुलझाया जाना आवश्यक था। फिर मोहित ने अपनी कलम को केवल खबर तक नही रखा बल्कि समाधान की दिशा में भी लगातार उठाना शुरू किया। धीरे-धीरे गाँव कस्बों के बहुत से लोगों को उनकी कलम ने न्याय दिलाना शुरू किया, तो बहुत से सोशल ऐक्टिविस्ट भी इनसे जुड़ने लगे। जिनमें क्रान्तिकारी युवाओं के साथ बुद्धिजीवी बुजुर्गो, पत्रकारों, सेवानिवृत शिक्षको, वकीलों और विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े पेशेवर भी थे। छोटी समस्याओं के लिए लड़ने वाला यह जज्बा अब बड़े स्तर पर न्याय और संघर्ष के लिए तैयार हो उठा और नाम मिला जनाधिकार मंच। यह विशुद्ध गैर राजनीतिक मंच था जिसमें सिर्फ जनसरोकारो के लिए आवाज उठाना ही प्रतिबद्धता थी। मंच ने जिला प्रशासन के समक्ष संगठित रूप से गांव ग्रामीणों की समस्याओं को रखना शुरू किया, जिस पर त्वरित कार्यवाहियाँ होनी प्रारंभ हुई। मंच ने गैरसैंण राजधानी के समर्थन में जिला मुख्यालय समेत तिलवाड़ा, अगस्त्यमुनि, गुप्तकाशी, ऊखीमठ, जखोली में व्यापक जागरूकता अभियान चलाकर अपनी व्यापकता का अहसास दिलाया। रुद्रप्रयाग जिले में आल वेदर रोड़ से प्रभावित हो रहे व्यापारियों और स्थानीय निवासियों की विभिन्न मांगों को लेकर दूसरे बड़े अभियान से मंच को भारी जनसमर्थन मिला। मंच ने कोरोना लाकडाउन में फसे प्रवासियों की घरवापसी को लेकर चलाया गया सहायता अभियान भी सफल साबित हुआ और कई परिवार इससे सकुशल घर भी पहुंचे। मुहिम चलती है और चलती रहेगी के नारे के साथ जनसमस्याओं के स्थायी समाधान के लिए वो लोकतंत्र की ताकत में अपना हिस्सा लेने के लिए कूद पड़े। जिला पंचायत सौरा जवाड़ी सीट से वे सदस्य के तौर पर चुनाव लड़े पर हार गए। चुनाव में हार जीत का सिलसिला चलता रहता है लेकिन मोहित के लिए लोगों को जनना, समस्याओं को समझने के लिए इस चुनावी कम्पैन ने बड़ा अवसर दे दिया था। वो समझ गए कि यहां लोग गांवों में रहना चाहते है लेकिन सिस्टम उन्हें मूलभूत समस्याओं के लिए तरसाता है। यही असल मुद्दा है कि जनता के वाजिब मांगों की आवाज बनो। चुनावी हार के तुरन्त बाद ही वे भरदार क्षेत्र में पेयजल किल्लत दूर करने के अभियान में जुट गए। उन्होंने भरदार क्षेत्र के गांवों में संवाद स्थापित कर भरदार पेयजल संघर्ष समिति के आन्दोलन को धार दी परिणामतः आज इस योजना के तहत बुरांशखाल क्वीलाखाल में लिफ्ट योजना की टेस्टिंग शुरू हो गयी। वो पिछले दो वर्षो से भरदार क्षेत्र में मोबाइल टावर के लिए भी प्रयासरत थे, जिसे हाल ही में स्वीकृति प्राप्त हो चुकी है। थाती दिगधार बड़मा में निर्माणाधीन सैनिक स्कूल, मनरेगा कर्मचारियों के ग्रेड पे और कोविड सेवाएं दे रहे आउटसोर्स कर्मचारियों और उपनल कर्मियों के मानदेय को लेकर भी उनके जनाधिकार मंच ने शोषितों और प्रभावितों की आवाज बुलंद कर सरकार को चेताने का प्रयास किया। जनसमस्याओं के इतर सामाजिक पहले भी उनके नेतृत्व में हुई। रुद्रप्रयाग जिले में रक्तदान को लेकर जागरूकता और स्वयंसेवियों को तैयार करने की पहल हो या इन दिनों कोरोना महामारी के बीच गांव-गांवों आवश्यक दवाई किटों के वितरण का कार्य भी आमजन को राहत पहुंचाने में लगा है। मोहित डिमरी के जनसंघर्ष और सफलता की कहानियाँ बस इतने से नहीं रूकती बल्कि आए दिन वो किसी न किसी समस्या के लिए मुखर रहते है, और उसके समाधान की ओर ले जाने में जी जान से जुट जाते है। उनके ही शब्दों में कहे तो..बेदिली! क्या यूं ही दिन गुजर जाएंगे। सिर्फ जिंदा रहे हम तो मर जाएंगे।। जिम्मेदारियों को जगाने का प्रयास गाँव की बहुत सी जनसमस्याएं लंबे समय से फाइलों के धक्के खाती रहती है लेकिन कई बार अधिकारी इन पर गौर नहीं करते। मोहित डिमरी और उनके जनाधिकार मंच ने समस्याओं और रूकावटों की पड़ताल कर प्रतिनिधिमंडल बनाकर जिले के आला अधिकारियों के समक्ष धरातलीय साक्ष्यों को रखा साथ ही समाधान के लिए जनसंवाद स्थापित किया। क्षेत्रीय हितों की अनदेखी पर राष्ट्रीय दलों को दिखाया आईना राज्य मांग की मूल अवधारणा के प्रति हो रही उपेक्षाओं पर मोहित डिमरी बेबाकी से कहते है आखिर राज्य बनने के बाद मूल निवास, भू-कानून और गैरसैंण राजधानी की मांग को क्यों दरकिनार कर दिया गया। राज्य के एकमात्र क्षेत्रीय दल यूकेडी से जुड़कर उन्होंने राष्ट्रीय पार्टीयों की कार्यशैली को भी आइना दिखाया है। जिसमें क्षेत्रीय हितों को एक सिरे से दरकिनार कर दिया जाता है। [caption id="attachment_23857" align="alignleft" width="150"] दीपक बेंजवाल, सम्पादक[/caption] दीपक बेंजवाल