उत्तराखंड फ्री टैबलेट योजना, जानिए मानक से कम खरीदने पर क्यों होगी वसूली
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23/01/202211:47 am
अगस्त्यमुनि। राज्य सरकार की छात्र छात्राओं के लिए निःशुल्क मोबाइल टैबलेट योजना में भारी अनियमिततायें देखने को मिल रही हैं। योजना में निर्धारित मानक का पालन नहीं किया जा रहा है। यहां तक कि कई छात्र टैबलेट के बजाय मोबाइल खरीद रहे हैं। जबकि कई छात्र टैबलेट तो खरीद रहे हैं परन्तु निर्धारित मूल्य से कम कीमत का। यही नहीं कई दुकानदार जीएसटी का बिल तो दे रहे हैं। परन्तु उनका जीएसटी में पंजीकरण ही नहीं है। सरकार ने भले ही योजना में भ्रष्टाचार रोकने के लिए टैबलेट के लिए 12 हजार रू0 डीबीटी के माध्यम से सीधे छात्र के खाते में डाले हैं। फिर भी योजना में खरीद के प्रकरणों से भ्रष्टाचार की बू तो आने ही लगी है। वहीं शिक्षा विभाग के अधिकारी इस सम्बन्ध में विद्यालयों के प्रधानाचार्यों से बात कर जांच की बात कह रहे हैं।
दरअसल चुनाव से पूर्व राज्य सरकार ने युवा वोटरों को लुभाने के लिए पूरे प्रदेश के राजकीय विद्यालयों के 10वीं तथा 12वीं के छात्र छात्राओं के लिए ऑनलाइन पढ़ाई की सुविधा देने हेतु निःशुल्क मोबाइल टैबलेट देने की घोषणा की। ये टैबलेट पूरे प्रदेश में दो लाख 65 हजार छात्र छात्राओं को वितरित किए जाने हैंें। योजना में भ्रष्टाचार की सम्भावना को खत्म करने के लिए प्रत्येक छात्र के बैंक खाते में 12 हजार रू0 डीबीटी के माध्यम से सीधे भेजे गये। छात्र को निर्धारित मानक के अनुसार मोबाइल टैब खरीदना है और उसका बिल जो कि जीएसटी का होना आवश्यक है, विद्यालय में जमा कराना है। प्रत्येक विद्यालय में प्रधानाचार्य एवं शिक्षकों की एक कमेटी बनी है जो इस बात की जांच करेगी कि छात्र ने जो टैब खरीदा है वह निर्धारित मानक एवं कीमत का है या नहीं। यदि जांच में निर्धारित मापदण्ड से इतर टैब की खरीद पाई जाती है तो उसे निरस्त कर छात्र से 12 हजार रू0 वापस लिया जायेगा। इतनी फुलप्रूफ योजना के बाबजूद कई विद्यार्थी कम कीमत का टैब या मोबाइल खरीद रहे हैं। जबकि कई दुकानदार छात्रों को जीएसटी के बिल तो दे रहे हैं। परन्तु उनका जीएसटी में पंजीकरण ही नहीं है। ऐसे में योजना में भ्रष्टाचार से इन्कार नहीं किया जा सकता है। अगस्त्यमुनि ब्लॉक के खण्ड शिक्षा अधिकारी केएल रड़वाल ने बताया कि योजना को पारदर्शी ढ़ंग से क्रियान्वित किया जा रहा है। प्रत्येक विद्यालय में प्रधानाचार्य को नोडल अधिकारी बनाया गया है। शिक्षकों की टीम छात्र द्वारा खरीदे गये टैब की जांच कर रही है। आजकल विद्यालय बन्द होने के कारण विद्यार्थी स्कूल नहीं आ रहे है। विद्यालय खुलने पर विद्यार्थियों से टैब का बिल लिया जायेगा और विद्यालय समिति द्वारा जांच की जायेगी। अनियमितता पाये जाने पर सम्बन्धित के खिलाफ कार्यवाही की जायेगी और विद्यार्थी से पूरी धनराशि की वसूली की जायेगी।
टैबलेट नवीनतम मॉडल तथा उच्च गुणवत्ता का होना आवश्यक है जिसमें – डिस्पले – 8 इन्च या अधिक (टीएफटी), ऑपरेटिंग सिस्टम – एण्ड्राइड 10 या समकक्ष, प्रोसेसर – क्विड कोर स्पीड 1.8 गेगा हटर््स, रेम – 2 जीबी या अधिक, इन्टरर्नल मेमोरी – 32 जीबी या अधिक, इसके साथ ही वाई फाई, ब्लूटूथ, 4 जी/लाइट कनैक्टिविटी, वॉइस – 3जी/2जी, प्रोटेक्टिव ग्लास, कवर केस आदि होना आवश्यक है।
हरीश गुसाईं,
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उत्तराखंड फ्री टैबलेट योजना, जानिए मानक से कम खरीदने पर क्यों होगी वसूली
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अगस्त्यमुनि। राज्य सरकार की छात्र छात्राओं के लिए निःशुल्क मोबाइल टैबलेट योजना में भारी अनियमिततायें देखने को मिल रही हैं। योजना में निर्धारित मानक
का पालन नहीं किया जा रहा है। यहां तक कि कई छात्र टैबलेट के बजाय मोबाइल खरीद रहे हैं। जबकि कई छात्र टैबलेट तो खरीद रहे हैं परन्तु निर्धारित मूल्य से कम
कीमत का। यही नहीं कई दुकानदार जीएसटी का बिल तो दे रहे हैं। परन्तु उनका जीएसटी में पंजीकरण ही नहीं है। सरकार ने भले ही योजना में भ्रष्टाचार रोकने के लिए
टैबलेट के लिए 12 हजार रू0 डीबीटी के माध्यम से सीधे छात्र के खाते में डाले हैं। फिर भी योजना में खरीद के प्रकरणों से भ्रष्टाचार की बू तो आने ही लगी है। वहीं
शिक्षा विभाग के अधिकारी इस सम्बन्ध में विद्यालयों के प्रधानाचार्यों से बात कर जांच की बात कह रहे हैं।
दरअसल चुनाव से पूर्व राज्य सरकार ने युवा वोटरों को लुभाने के लिए पूरे प्रदेश के राजकीय विद्यालयों के 10वीं तथा 12वीं के छात्र छात्राओं के लिए ऑनलाइन पढ़ाई
की सुविधा देने हेतु निःशुल्क मोबाइल टैबलेट देने की घोषणा की। ये टैबलेट पूरे प्रदेश में दो लाख 65 हजार छात्र छात्राओं को वितरित किए जाने हैंें। योजना में
भ्रष्टाचार की सम्भावना को खत्म करने के लिए प्रत्येक छात्र के बैंक खाते में 12 हजार रू0 डीबीटी के माध्यम से सीधे भेजे गये। छात्र को निर्धारित मानक के
अनुसार मोबाइल टैब खरीदना है और उसका बिल जो कि जीएसटी का होना आवश्यक है, विद्यालय में जमा कराना है। प्रत्येक विद्यालय में प्रधानाचार्य एवं शिक्षकों की एक
कमेटी बनी है जो इस बात की जांच करेगी कि छात्र ने जो टैब खरीदा है वह निर्धारित मानक एवं कीमत का है या नहीं। यदि जांच में निर्धारित मापदण्ड से इतर टैब की खरीद
पाई जाती है तो उसे निरस्त कर छात्र से 12 हजार रू0 वापस लिया जायेगा। इतनी फुलप्रूफ योजना के बाबजूद कई विद्यार्थी कम कीमत का टैब या मोबाइल खरीद रहे हैं। जबकि
कई दुकानदार छात्रों को जीएसटी के बिल तो दे रहे हैं। परन्तु उनका जीएसटी में पंजीकरण ही नहीं है। ऐसे में योजना में भ्रष्टाचार से इन्कार नहीं किया जा सकता
है। अगस्त्यमुनि ब्लॉक के खण्ड शिक्षा अधिकारी केएल रड़वाल ने बताया कि योजना को पारदर्शी ढ़ंग से क्रियान्वित किया जा रहा है। प्रत्येक विद्यालय में
प्रधानाचार्य को नोडल अधिकारी बनाया गया है। शिक्षकों की टीम छात्र द्वारा खरीदे गये टैब की जांच कर रही है। आजकल विद्यालय बन्द होने के कारण विद्यार्थी
स्कूल नहीं आ रहे है। विद्यालय खुलने पर विद्यार्थियों से टैब का बिल लिया जायेगा और विद्यालय समिति द्वारा जांच की जायेगी। अनियमितता पाये जाने पर
सम्बन्धित के खिलाफ कार्यवाही की जायेगी और विद्यार्थी से पूरी धनराशि की वसूली की जायेगी।
सरकार द्वारा जारी निःशुल्क मोबाइल टैब की खरीद के मानक एवं दिशा निर्देश
टैबलेट नवीनतम मॉडल तथा उच्च गुणवत्ता का होना आवश्यक है जिसमें - डिस्पले - 8 इन्च या अधिक (टीएफटी), ऑपरेटिंग सिस्टम - एण्ड्राइड 10 या समकक्ष, प्रोसेसर - क्विड
कोर स्पीड 1.8 गेगा हटर््स, रेम - 2 जीबी या अधिक, इन्टरर्नल मेमोरी - 32 जीबी या अधिक, इसके साथ ही वाई फाई, ब्लूटूथ, 4 जी/लाइट कनैक्टिविटी, वॉइस - 3जी/2जी, प्रोटेक्टिव
ग्लास, कवर केस आदि होना आवश्यक है।
[caption id="attachment_23858" align="alignleft" width="150"] हरीश गुसाईं,[/caption]