आखिर क्यों बिगाड़ेंगे मातबर कंडारी भाजपा-कांग्रेस की गणित, दोनों पार्टियों से वोटरों का एकतरफा झुकाव बदला
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27/01/20223:20 pm
रूद्रप्रयाग सीट पर बदलते समीकरण भाजपा और कांग्रेस में अंदरखाने उपजे भारी असंतोष की आरे इशारा कर रहे है। जहां कांग्रेस की एकतरफा लहर पर बगावत के बादल गहरा गए है, वही भाजपा में अंदरखाने चल रही घुटन ने भरत चैधरी के लिए भी मुसीबते पैदा कर ली है। भाजपा और भरत चैधरी से नाराज वोटर तेजी से प्रदीप थपलियाल के पक्ष में खिसक रहे है। लेकिन प्रदीप थपलियाल के लिए भी अपने वोटरों को बांधे रखना आसान नहीं है।
कांग्रेस से बगावत कर निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुके मातबर सिंह कंडारी कांग्रेस-भाजपा दोनो के लिए अब बड़ी चुनौति बनकर उभरेंगे। किचन कांफ्रेस के जनक कहे जाने वाले मातबर सिंह कंडारी क्षेत्र में अच्छी खासी पकड़ रखते है हांलाकि भाजपा और कांग्रेस में अदला-बदली ने जनता में उनके विश्वास को जरूर कम किया है लेकिन इस बार के चुनावों में वो जीत का गणित बिगाड़ने में अहम भूमिका निभायेंगे। अब यह गणित कांग्रेस की बिगड़ती है या भाजपा की कहना मुश्किल है। हांलाकि मातबर कंडारी की स्थिति राजनीति में बूढ़े शेर की तरह हो चुकी है, फिर भी शेर की दहाड़ रूद्रप्रयाग की राजनीति में हलचल जरूर मचायेंगी।
भाजपा-कांग्रेस की इस खींचातान ने उक्रांद से युवा प्रत्याशी मोहित डिमरी के पक्ष में भी माहौल बनना शुरू कर दिया है। भाजपा-कांग्रेस से नाराज चल रहा वोटर मोहित को अच्छा विकल्प मानने लगा है। रूद्रप्रयाग विधानसभा के कई बूथों से वोटरों का मोहित के प्रति रूझान बड़ा है। हालांकि मुख्य लड़ाई हमेशा की तरह भाजपा और कांग्रेस में होनी तय है।
आखिर क्यों बिगाड़ेंगे मातबर कंडारी भाजपा-कांग्रेस की गणित, दोनों पार्टियों से वोटरों का एकतरफा झुकाव बदला
दस्तक पहाड़ की से ब्रेकिंग न्यूज़:
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रूद्रप्रयाग सीट पर बदलते समीकरण भाजपा और कांग्रेस में अंदरखाने उपजे भारी असंतोष की आरे इशारा कर रहे है। जहां कांग्रेस की एकतरफा लहर पर बगावत के बादल
गहरा गए है, वही भाजपा में अंदरखाने चल रही घुटन ने भरत चैधरी के लिए भी मुसीबते पैदा कर ली है। भाजपा और भरत चैधरी से नाराज वोटर तेजी से प्रदीप थपलियाल के पक्ष
में खिसक रहे है। लेकिन प्रदीप थपलियाल के लिए भी अपने वोटरों को बांधे रखना आसान नहीं है।
कांग्रेस से बगावत कर निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुके मातबर सिंह कंडारी कांग्रेस-भाजपा दोनो के लिए अब बड़ी चुनौति बनकर उभरेंगे। किचन कांफ्रेस के जनक
कहे जाने वाले मातबर सिंह कंडारी क्षेत्र में अच्छी खासी पकड़ रखते है हांलाकि भाजपा और कांग्रेस में अदला-बदली ने जनता में उनके विश्वास को जरूर कम किया है
लेकिन इस बार के चुनावों में वो जीत का गणित बिगाड़ने में अहम भूमिका निभायेंगे। अब यह गणित कांग्रेस की बिगड़ती है या भाजपा की कहना मुश्किल है। हांलाकि मातबर
कंडारी की स्थिति राजनीति में बूढ़े शेर की तरह हो चुकी है, फिर भी शेर की दहाड़ रूद्रप्रयाग की राजनीति में हलचल जरूर मचायेंगी।
भाजपा-कांग्रेस की इस खींचातान ने उक्रांद से युवा प्रत्याशी मोहित डिमरी के पक्ष में भी माहौल बनना शुरू कर दिया है। भाजपा-कांग्रेस से नाराज चल रहा वोटर
मोहित को अच्छा विकल्प मानने लगा है। रूद्रप्रयाग विधानसभा के कई बूथों से वोटरों का मोहित के प्रति रूझान बड़ा है। हालांकि मुख्य लड़ाई हमेशा की तरह भाजपा और
कांग्रेस में होनी तय है।
[caption id="attachment_23857" align="alignleft" width="150"] दीपक बेंजवाल, सम्पादक[/caption]
दीपक बेंजवाल