क्षमा रामनगर, क्षमा। मैं अपनी जिंदगी की एक बड़ी अभिलाषा को पूरा नहीं कर पाया। कहीं माँ गर्जिया की प्रार्थना में मुझसे कुछ त्रुटि रह गई। मैं क्षमा चाहता हूँ, माँ गर्जिया देवी से भी और आप सब रामनगर वासियों से भी। रामनगर से चुनाव न लड़ना मेरे लिए एक भावनात्मक चोट है। मैं चुनाव भले ही न लड़ पा रहा हूँ रामनगर से मगर रामनगर हमेशा मेरे हृदय में रहेगा और मैं जिस अभिलाषा के साथ रामनगर और उससे चारों तरफ से जुड़े हुए क्षेत्रों का आर्थिक गतिविधियों का केंद्र बनाने के लिए चुनाव लड़ना चाहता था, उस इच्छा को मैं हमेशा आगे बढ़ाऊंगा। चुनाव लडूं न लडूं #HarishRawat रामनगर का था, रामनगर का है और आगे भी रामनगर का रहेगा। मैं अपने कांग्रेस के साथियों का जिन्होंने मेरे साथ बड़ी-बड़ी कल्पना जोड़ ली थी, सर्वथा विपरीत परिस्थितियों में ये कमर कसकर मुझे विजयश्री दिलवाने के लिए रात-दिन काम करना

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प्रारंभ कर दिया था, मैं उन सबसे भी क्षमा प्रार्थी हूँ। मैं आपका अपराधी हूँ, पार्टी का आदेश मानना मेरा कर्तव्य है। मैं अब उस कर्तव्य को पूरा करने के लिए आप सब साथियों का स्नेह और रामनगर की जनता-जनार्दन और माँ गर्जिया का आशीर्वाद लेकर लालकुआं की धरती को प्रणाम करने जा रहा हूँ। जय उत्तराखंड-जय उत्तराखंडियत"।