निसंदेह आज के समय में शिक्षा का विशिष्ट महत्व है लेकिन जब बात राजनीति की आती है तो जीवन के अनुभवों से मिली सीख, नेतृत्व के गुण और संघर्ष की क्षमता के सामने डिग्रियां बेमानी हो जाती हैं। देश में ऐसी कई राजनीतिक हस्तियां हैं जिनके पास बड़ी-बड़ी डिग्रियां तो नहीं हैं लेकिन फिर भी वे न सिर्फ राजनीति के माहिर खिलाड़ी माने जाते हैं बल्कि सरकार और प्रशासन से जुड़े मुद्दों पर भी उनकी खासी पकड़ होती है। समाजसेवा नहीं बल्कि शिक्षा को राजनीति का मानक बताने वाले राष्ट्रीय दलों के कितने नेता कितने पढ़े लिखे हैं, ये जानना भी जनता के लिये बहुत जरुरी है। जानिए दस्तक पहाड़ के पोर्टल पर  पूरी खबर- 

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सोशल साईट पर जमकर ट्रोल रहे केदारनाथ के निर्दलीय प्रत्याशी कुलदीप रावत की शैक्षिक योग्यता को लेकर अनेकों सवाल उठ रहे है। लेकिन सूबे की राजनीति में सत्ता पर काबिज भाजपा-कांग्रेस के 17 उम्मीदवार भी ऐसे है जिनकी शैक्षिक योग्यता 8वीं से लेकर 10वीं तक है। कुछ वर्ष पूर्व भाजपा सरकार में ऐसे ही एक कम शैक्षिक योग्यता वाले को शिक्षा मंत्री बना दिया गया था। खैर राजनीति और युद्ध का गुणधर्म ही अवसरवादी है, जहाँ जीत देखी वही पाला बदल दिया जाता है। निर्दलीय कुलदीप रावत को लेकर भले ही आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी हो लेकिन चुनाव हारने के बीते पांच सालों में सिंटिंग विधायक से लेकर भाजपा या अन्य पार्टीयों के हारे विधायक प्रत्याशियों के बनिस्पत जनता के दुःख दर्द में सहभागी बने कुलदीप रावत ने जनसेवा की मिसाल जरूर पेश की है। वो अब तक 3000 से अधिक गरीब बेटियों की शादीयाँ कर चुके है। 1000 से अधिक गरीब निराश्रित बच्चों को गोद लेकर उनकी पढ़ाई-लिखाई का पूरा खर्चा उठाते है। कई गरीब बीमारों की तत्वरित मदद से लेकर शोषित-वंचितों को अवास से लेकर आर्थिक सहायता में बिना भेद की दिल खोलकर मदद की है। जनता उन्हें मसीहे के रूप में देखती है और चाहती है कि उन्हें ऐसा जनप्रतिनिधी मिले। ऐसे में विधानसभा में सवाल उठाने से कतराने वाले पढ़े-लिखे और बुद्धिजीवी हो या जन समस्याओं पर मजबूरी जताते प्रतिनिधी क्यों ट्रोल नहीं होते। आखिर जनता के प्रति उनकी नैतिक-सामाजिक जिम्मेदारी का प्रोग्रेस कार्ड चुनावों में क्यों नहीं देखा जाता। आजकल दावेदारों की लंबी-चैड़ी फेरहिस्त सामने आयी, इनमें से कुछ महानगरों से यहां आकर विधायकी का ख्वाब बुनने भी पहुंचे। कुछ ऐसे भी थे जो टिकट न मिलने पर नारजगी से फूल कर कुप्पा हो गए और इन दिनो अज्ञातवास में पहुंच गऐ है।     जानिए देश चलाने वाले ये हैं सबसे कम पढ़े-लिखे भारतीय नेता उमा भारती- बीजेपी की तेजतर्रार नेता और मोदी सरकार में कैबिनेट मंत्री उमा भारती ने केवल 5वीं तक पढ़ाई की है मेनिका गांधी- बीजेपी नेता और कैबिनेट मंत्री मेनिका गांधी केवल 12वीं पास हैं. बता दें, मेनिका गांधी संजय गांधी की पत्नी हैं. राबड़ी देवी- लालू यादव की पत्नी राबड़ी देवी एक टाइम में बिहार की मुख्यमंत्री हुआ करती थी. आपको जानकर हैरानी होगी कि इतने बड़े राज्य का जिम्मा लेने वाली पूर्व मुख्यमंत्री कभी स्कूल भी नहीं गयी. राबड़ी देवी ने कोई पढ़ाई नहीं की है करुणानिधि- करुणानिधि कर्णाटक के पूर्व मुख्यमंत्री रह चुके हैं. इन्होने हाई स्कूल करने के बाद पढ़ाई छोड़ दी थी. साध्वी निरंजन ज्योति- मोदी सरकार में खाद्य प्रशंसकरण उद्योग स्वतंत्र प्रभार राज्यमंत्री साध्वी निरंजन ज्योति ने इंटरमीडिएट किया है. अशोक गजपति राजू- केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री अशोक गजपति राजू ने हाई स्कूल के बाद पढ़ाई को अलविदा कह दिया था. अनंत गीते- अनंत गीते शिवसेना के सांसद और एनडीए सरकार में उद्योग तथा सार्वजनिक उद्यमिता मंत्री हैं. इनकी भी पढ़ाई हाई स्कूल तक हुई है. तेजस्वी यादव- लालू यादव के छोटे बेटे और आरजेडी सुप्रीमो तेजस्वी यादव केवल 9वीं पास है. वहीं, उनके भाई तेज प्रताप ने 12वीं तक पढ़ाई की है जयललिता- तमिलनाडु की मुख्यमंत्री और अन्नाद्रमुक की प्रमुख, जयललिता ने मैट्रिक के बाद अपनी पढ़ाई रोक दी थी क्योंकि वह फिल्मों में अपना करियर बनाना चाहती थीं। हालाँकि, उन्होंने फिल्मों में काम करने के बाद राजनीति में कदम रखा था। जाफर शरीफ- पूर्व रेल मंत्री ने सिर्फ मैट्रिक की पढ़ाई पूरी की है। उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष एस निजलिंगप्पा के लिए एक ड्राइवर के रूप में अपना करियर शुरू किया और बाद में उनके नक्शेकदम पर चलते हुए राजनीति में शामिल हुए।