पुलिस के चालान सवालों के घेरे में, लिस्ट में ऐसे नाम जिनका विवादों से दूर दूर तक नहीं नाता
1 min read31/01/2022 5:58 pm
आगामी विधान सभा चुनावों को लेकर पुलिस प्रशासन द्वारा शान्ति व्यवस्था भंग करने की सम्भावना को देखते हुए अगस्त्यमुनि क्षेत्र में कई लोगों के चालान किए हैं। पुलिस की यह कार्यवाही सवालों के घेरे में आ गई है। लिस्ट में ऐसे नाम हैं, जिनका विवादों से दूर दूर तक नाता नहीं रहा है। हालांकि वे राजनैतिक दलों से जुड़े हैं और विभिन्न पदों पर भी विराजमान हैं। यहां तक कि लिस्ट में शामिल कई लोग पुलिस द्वारा बनाई गई सामुदायिक सम्पर्क समूह से भी जुड़े हैं। जो कि पुलिस को हर मामले में न केवल सहयोग दे रहे हैं बल्कि पुलिस की आंख और कान बनकर सूचना भी दे रहे हैं। पुलिस की इस कार्यवाही से लोगों में भारी रोष देखने को मिला है। लोगों का कहना है कि पुलिस की नजर में क्या राजनैतिक दलों से जुड़ना शान्ति भंग की श्रेणी में आ जाना होता है।
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दरअसल आगामी विधान सभा चुनावों में शान्ति भंग की आशंका को देखते हुए पुलिस द्वारा अगस्त्यमुनि क्षेत्र के 30 लोगों के चालान किए गये हैं। इनमें सांसद प्रतिनिधि से लेकर नगर पंचायत सभासद, छात्र संघ के पूर्व अध्यक्षों से लेकर जिला पंचायत सदस्य, पूर्व प्रधानों से लेकर पूर्व कनिष्ठ प्रमुख के नाम हैं। जिसको लेकर सभी में भारी रोष व्याप्त हैं।
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रोष इसलिए भी हुआ है क्योंकि सभी को कोर्ट से सम्मन मिला तथा 28 जनवरी को उपजिला मजिस्टेट की अदालत में उपस्थित होने का फरमान मिला था। जहां उन्हें 20 हजार के निजी मुचलके पर छोड़ा गया। लिस्ट पर गौर करें तो 80 वर्षीय श्रीनन्द जमलोकी, जो कि सांसद प्रतिनिधि हैं। उमा प्रसाद भट्ट तथा भूपेन्द्र राणा नगर पंचायत सभासद हैं। बलबीर लाल, कुंवर लाल तथा रामचन्द्र गोस्वामी पूर्व प्रधान हैं। सुमन नेगी पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष हैं तथा वर्तमान में जिला पंचायत सदस्य हैं।
आलोक नेगी तथा विक्की आनन्द सजवाण पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष हैं। अनसूया प्रसाद बेंजवाल अगस्त्यमुनि मन्दिर के मठाधीश हैं। जबकि रमेश बेंजवाल पूर्व कनिष्ठ प्रमुख तथा वर्तमान नगर पंचायत अध्यक्ष के पति हैं। अनूप सेमवाल भाजपा जिला महामंत्री हैं तो जेपी सकलानी भाजपा मण्डल अध्यक्ष हैं। इनमें से अधिकांश लोग पुलिस द्वारा गठित सीएलजी समूह से जुड़े हैं। लोगों का कहना है कि पुलिस ने ऐसे व्यक्तियों का चालान किया है जिनका समाज में नाम है तथा ये लोग अभी तक बेदाग ही हैं। ऐसे में लगता है कि पुलिस द्वारा बिना किसी जांच के केवल शंका के आधार पर ही लोगों का चालान कर दिया। जो कि सरासर गलत है। इससे तो लगता है पुलिस की नजर में राजनैतिक दल से जुड़ना अपराध की श्रेणी में आता है। ऐसे मे क्या भविष्य में कोई पुलिस की मदद करने को तैयार होगा??
इस सम्बन्ध में थानाध्यक्ष अगस्त्यमुनि राजीव चौहान का कहना है कि यह एक रूटीन कार्य है। जो हर चुनाव के समय पुलिस द्वारा किया जाता हैं। हो सकता है लिस्ट बनाते हुए कुछ नाम गलती से जुड़ गये होंगे। परन्तु यह भी सत्य है कि लिस्ट में जुड़े नाम अब हर चुनाव में शान्ति भंग के आरोपी बनेंगे तथा हर बार उन्हें न्यायालय में जमानत करानी पड़ेगी। और अगर भूले से भी चुनाव के दौरान उन्होंने थोड़ी गलती की तो फिर जेल भी जाना पड़ सकता है।
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