बीमारी कब, किसे,कहाँ जकड़ ले कहा नहीं जा सकता लेकिन उसको समय पर उचित इलाज़ मिल सके यह किया जा सकता है। कोविड संक्रमण काल में केदारघाटी में भी ऐसे ही सैकड़ों केस थे जिनको कि किसी न किसी रूप में अच्छे इलाज़ की जरूरत थी। ऐसे में केदारघाटी के विधायक मनोज रावत की टेलीमेडिसिन पहल ने बड़ी मदद पहुंचाई। चाहे ऊखीमठ ब्लॉक के गड़गू गाँव की 11 वर्षीय मनीषा हो,अगस्त्यमुनि ब्लॉक के बष्टी गाँव की आरुषी हो या फलासी गाँव की 15 वर्षीय बेटी ऋतु जो एक बेहद गम्भीर बीमारी गुलियन बैरी सिंड्रोम हो, इन तीनों बेटियों के ठीक होकर घर आने का कहानी सुकूनभरी थी। बेशक अभी पहाड़ के दुर्गम क्षेत्रों में स्वास्थ्य की जो सुविधाएं होनी चाहिए थी वो अभी भी उपलब्ध नहीं हैं।इसके लिए कई स्तरों पर सुधार की आवश्यकता है जो एक लंबी प्रक्रिया का हिस्सा है। कोविड काल में केदारनाथ विधानसभा क्षेत्र में जो

Featured Image

हेल्पलाइन दून मेडिकल कॉलेज देहरादून के साथ शुरू की गयी थी वो राज्य में किसी विधायक द्वारा किये गए अनूठे प्रयोग में से एक था। उस कठिन वक़्त में केदारनाथ विधानसभा के हेल्पडेस्क पर दस हजार से भी अधिक लोगों की कॉल आई और उन्हें जरूरी मदद उनके दरवाजे तक पहुंचाई गई।पूरी विधानसभा को क्षेत्रवार कुल 11 सेक्टर में बांटा गया था और इन 11 सेक्टरों में कुल 33 डॉक्टर्स दून मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ0 झा की निगरानी में 24 घण्टे काम कर रहे थे और मरीजों का फॉलोअप भी कर रहे थे। वास्तव में इस तकनीक और महामारी के दौर में इस तरह के प्रयोग बेहद कारगर सिद्ध हुए इसलिए इनकी बेहतरी के लिए आगे भी निरन्तर प्रयास जारी रहेंने चाहिए जिससे हमारे पहाड़ की स्वास्थ्य व्यवस्था को बेहतर बनाया जा सके। आज चुनावी दौर है, भली और बुरी हर बात उठती है। लेकिन समाज हित में की गई भलाईयों को उठाना पत्रकारिता का धर्म है। केदारनाथ क्षेत्र की भलाई के लिए विधायक मनोज रावत ने अभिनव पहलें की है। ये पहले न केवल केदारघाटी बल्कि पूरे पहाड़ के लिए वरदान है। प्रतिनिधि चुनने का अधिकार जनता को है, यह व्यक्तिगत सोच भी है लेकिन शोषित और वंचित समाज के लिए किए गए कार्यों पर सही प्रतिनिधि को चुनकर हम अपने समाज के लिए स्वयं का अभिनव योगदान दे सकते हैं। कालिका काण्डपाल [दस्तक पहाड़ की]