जानिए केदारघाटी में कौन है सबसे आगे?    

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कालिका काण्डपाल [दस्तक पहाड़ की] विधानसभा चुनावों की तिथि ज्यों-ज्यों नजदीक आ रही है, त्यों-त्यों राजनीतिक समीकरण बदलते जा रहे है। रूद्रप्रयाग जिले की केदारनाथ विधानसभा सीट पर सबसे आगे चल रहे निर्दलीय प्रत्याशी कुलदीप रावत का ग्राफ भाजपा प्रत्याशी घोषित होने के बाद तेजी से गिरा है। भाजपा ने पूर्व विधायक शैलारानी रावत को टिकट देकर केदारनाथ के रणनीतिक समीकरणों को तेजी से बदल दिया है। कांग्रेस, आप, यूकेडी समेत निर्दलीय हर किसी को भाजपा में बगावत का अंदेशा था। लेकिन भाजपा हाईकमान ने बड़ी सूझ-बूझ से सभी दलों के मंसूबों पर पानी फेरते हुए राजनीति की धुर खिलाड़ी माने जाने वाली शैलारानी रावत को टिकट दे दिया। केदारनाथ सीट पर भाजपा का अट्ठारह हजार से अधिक कैडर वोट है। ये एकतरफा पड़े तो भाजपा की जीत यहां तय मानी जा सकती है, हालांकि यहां भाजपा को भीतरीघात का बड़ा खतरा है। देवस्थानम बोर्ड पर तीर्थपुरोहितों की नाराज़गी और उनके बीच  से आम आदमी पार्टी प्रत्याशी सुमंत तिवारी की मौजूदगी भी भाजपा को नुकसान पहुंचायेगी। सुमंत तिवारी वर्तमान में रूद्रप्रयाग के जिला पंचायत उपाध्यक्ष है, और बड़ी संख्या में घाटी में उनके समर्थक मौजूद है। केदारनाथ विधानसभा पर भाजपा-कांग्रेस के बाद उनका ग्राफ तेजी से बड़ता दिखाई दे रहा है। हालांकि कुलदीप रावत अभी भी बढ़त बनाये हुए है। केदार का कुलदीप कहकर उनकी नई ब्रांडिंग अभी हुई थी कि सोशल साईट पर उनका आठ पास योग्यता वाली पोस्ट वायरल हो गई। इस वायरल पोस्ट ने उनकी नई ब्रांडिंग को तो ध्वस्त किया ही, साथ वोट ग्राफ को भी तेजी से कम किया है। भाषण देने की कला का न होना, बदनाम छवि वाले लोगों से घिरा रहना, धनबल और शराब बांटने के आरोप भी उनकी समाजसेवा वाली छवि को नुकसान पहुंचा रहे है। हां आज भी राष्ट्रीय दलों से ऊब चुकी जनता उन्हें उम्मीद की तरह देखती है। उनके लिए सुकूनभरा यह भी जरूर है कि लगभग हर पोल पर उनकी वोट है। और यही सुकून उनकी जीत की प्रत्याशा को बड़ा सकता है। कांग्रेस के लिए भी केदारनाथ सीट फतह करना सरल नहीं है। हालांकि अन्य सभी प्रत्याशियों में  काग्रेंस प्रत्याशी मनोज रावत की साफ-सुथरी छवि पर संवादहीनता भारी पड़ रही है। यह संवादहीनता पांच साल में न सिर्फ जनता बल्कि कांग्रेस के कार्यकत्ताओं से लेकर मीडिया तक रही। उन पर विधायक निधि खर्च न करने का आरोप भी लगा, लेकिन अब अन्तिम समय में उन्हें प्रैस कांफ्रेस कर विधायक निधि पूरी खर्च होने की सफाई देनी पड़ी। पांच सालों में उनके द्वारा किए गए विकास कार्यो को आधार माना जाए तो कांग्रेस की 12000 कैडर वोट पर मात्र दो-तीन हजार की बड़त भी उनके लिए जीत का फार्मूला तय कर सकती है। केदारनाथ सीट पर एक और निर्दलीय प्रत्याशी देवेश नौटियाल अपने भाषणों से जनता के बीच छाए हैं। वहीं यूकेडी के गजपाल रावत भी क्षेत्रीय मुद्दों के साथ जनता के बीच जा रहे हैं। बावजूद यूकेडी के प्रति लोगों का उत्साह अभी वोटबैंक बनकर नहीं उमड़ रहा है। वामदल के प्रत्याशी राजाराम सेमवाल सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार के मुद्दों पर घेराबंदी कर रहे हैं, साथ ही पहाड़ में आफत बन चुके सुअर, बदंर से निजात दिलाने की मांग भी उनके एजेंडे में है। खोखली उपलब्धियों और मीठे भाषणों के बीच राजाराम सेमवाल की यह मांग जमीं की हकीकत बयां करती है। लेकिन यहां पर भी जनता परेशानी का समर्थन तो करती है, वोट देने का वादा नहीं। अन्य दलों और निर्दलीय प्रत्याशीयों ने अभी तक प्रचार को भी रस्म अदायगी की तरह लिया है। अब तक हुए एक सर्वे में केदारनाथ सीट से भाजपा को विजयी दिखाया जा रहा है, वहीं एक अन्य टीवी सर्वे में कुलदीप रावत जीत रहे हैं। सर्वे और संभावनाओं का दौर जारी रहेगा। जीत हार का आखिरी फैसला जनता ही तय करेगी।