..इस गढ़वाली गीत को गाकर लता जी ने अमर कर दिया! नहीं ली थी फीस
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06/02/20222:10 pm
दीपक बेंजवाल / अगस्त्यमुनि
1990 में बनी गढ़वाली फिल्म “रैबार” के एक गीत ” मन भरमेगे” को जब लता मंगेशकर ने गाया तो यह गाना लोगों की जुबां पर छा गया। लता जी द्वारा भारत की 30 से अधिक भाषाओं में गाये गए गीतों में यह पहला गढ़वाली गीत था। इस गीत की रिकॉर्डिंग 4 अक्टूबर 1988 को मुम्बई में की गई थी। रिकॉर्डिंग के बाद जब निर्माता किशन पटेल लता जी को चैक देने पहुंचे तो पहाड़ से बेहद प्यार करने वाली लता जी ने चैक लेने से भी मना कर दिया था, बल्कि इस गाने के एवज में मिलने वाली राशि को गरीब बच्चों की पढ़ाई के लिए दान करने को कहा।
पहाड़ के पलायन पर 1990 में बनी गढ़वाली फिल्म “रैबार” के एक गीत ” मन भरमेगे” को जब लता मंगेशकर ने गाया तो यह गाना लोगों की जुबां पर छा गया। लता जी द्वारा भारत की 30 से अधिक भाषाओं में गाये गए गीतों में यह पहला गढ़वाली गीत था। इस गीत की रिकॉर्डिंग 4 अक्टूबर 1988 को मुम्बई में की गई थी। रिकॉर्डिंग के बाद जब निर्माता किशन पटेल लता जी को चैक देने पहुंचे तो पहाड़ से बेहद प्यार करने वाली लता जी ने चैक लेने से भी मना कर दिया था, बल्कि इस गाने के एवज में मिलने वाली राशि को गरीब बच्चों की पढ़ाई के लिए दान करने को कहा।
लता जी द्वारा गाते इस गीत को देवी प्रसाद सेमवाल ने लिखा और कुंवर सिंह रावत “बावला” ने संगीत दिया था। इस गीत को गाने से पहले लता जी ने इसके एक-एक शब्द के अर्थ को समझा और करीब चार घंटे बाद इस गीत को गाया। उनकी मधुर आवाज पहाड़ के लोक संगीत के साथ मिश्री की तरह घुल मिल गयी थी,जिसके बाद उत्तराखंडी सिनेमा जगत में ये गीत अमर हो गया।
गीत के बोल-
भरमैगे मेरी, सुध-बुध ख्वेगे,
मन भरमैगे मेरी, सुध-बुध ख्वेगे,
सुणी तेरी बांसुरी सुर,
सुणी तेरी बांसुरी सुर,
बण मा सुरे-सुर बांसुरी, बण मा सुरे सुर
मन भरमैगे मेरी, सुध-बुध ख्वेगे,
मन भरमैगे मेरी, सुध-बुध ख्वेगे,
सुणी तेरी बांसुरी सुर,
सुणी तेरी बांसुरी सुर,
बण मा सुरे-सुर बांसुरी, बण मा सुरे सुर
भौंरा-पुतला फूल छोड़ीक,
चखुला अपणा घोर छोड़ीक
भौंरा-पुतला फूल छोड़ीक,
चखुला अपणा घोर छोड़ीक
रंगमत हवेक़े तेरी धुन सुणीक,
रंगमत हवेक़े तेरी धुन सुणीक,
सुरीली धुन सुणीक
गोरू-बखरों की टोली तखी हुण लेगे,
गोरू-बखरों की टोली तखी हुण लेगे,
सुणी तेरी बांसुरी सुर
सुणी तेरी बांसुरी सुर
बण मा सुरे-सुर बांसुरी, बण मा सुरे सुर
बण मा सुरे-सुर बांसुरी, बण मा सुरे सुर
डाल बोटी सभी झुमी, झूमी क
धरती पे रेखा चूमी, चूमी क
डाल बोटी सभी झुमी, झूमी क
धरती पे रेखा चूमी, चूमी क
मैं बोल्याली लेन लगन
तेरी धुन सुणी क
मैं बोल्याली लेन लगन
तेरी धुन सुणी क
रसीली धुन सुणी क
हिमाली कांठी ल्यों, गलण लैगे
हिमाली कांठी ल्यों, गलण लैगे
सुणी तेरी बां-सु-री सुर
सुणी तेरी बां-सु-री सुर
बण मा सुरे-सुर बांसुरी, बण मा सुरे सुर
बण मा सुरे-सुर बांसुरी, बण मा सुरे सुर
कोपली फुक्यों मां मुल, मुल
हैंसण लैगे न बणी तें फूल
कोपली फुक्यों मां मुल, मुल
हैंसण लैगे न बणी तें फूल
मठु -मठु हवा चलण लगे
सुणी बांसुरी सुर
मठु -मठु हवा चलण लगे
सुणी बांसुरी सुर
सुणी बांसुरी सुर
गाड़ा गदरयों सुई साट, कम होण लैगे
गाड़ा गदरयों सुई साट, कम होण लैगे
सुणी तेरी बां-सु-री सुर
सुणी तेरी बां-सु-री सुर
बण मा सुरे-सुर बांसुरी, बण मा सुरे सुर
बण मा सुरे-सुर बांसुरी, बण मा सुरे सुर
मन भर्मैगे मेरी सुध-बुध ख्वेगे
मन भर्मैगे मेरी सुध-बुध ख्वेगे
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..इस गढ़वाली गीत को गाकर लता जी ने अमर कर दिया! नहीं ली थी फीस
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दीपक बेंजवाल / अगस्त्यमुनि
1990 में बनी गढ़वाली फिल्म "रैबार" के एक गीत " मन भरमेगे" को जब लता मंगेशकर ने गाया तो यह गाना लोगों की जुबां पर छा गया। लता जी द्वारा भारत की 30 से अधिक भाषाओं में
गाये गए गीतों में यह पहला गढ़वाली गीत था। इस गीत की रिकॉर्डिंग 4 अक्टूबर 1988 को मुम्बई में की गई थी। रिकॉर्डिंग के बाद जब निर्माता किशन पटेल लता जी को चैक
देने पहुंचे तो पहाड़ से बेहद प्यार करने वाली लता जी ने चैक लेने से भी मना कर दिया था, बल्कि इस गाने के एवज में मिलने वाली राशि को गरीब बच्चों की पढ़ाई के लिए
दान करने को कहा।
पहाड़ के पलायन पर 1990 में बनी गढ़वाली फिल्म "रैबार" के एक गीत " मन भरमेगे" को जब लता मंगेशकर ने गाया तो यह गाना लोगों की जुबां पर छा गया। लता जी द्वारा भारत की 30
से अधिक भाषाओं में गाये गए गीतों में यह पहला गढ़वाली गीत था। इस गीत की रिकॉर्डिंग 4 अक्टूबर 1988 को मुम्बई में की गई थी। रिकॉर्डिंग के बाद जब निर्माता किशन
पटेल लता जी को चैक देने पहुंचे तो पहाड़ से बेहद प्यार करने वाली लता जी ने चैक लेने से भी मना कर दिया था, बल्कि इस गाने के एवज में मिलने वाली राशि को गरीब
बच्चों की पढ़ाई के लिए दान करने को कहा।
लता जी द्वारा गाते इस गीत को देवी प्रसाद सेमवाल ने लिखा और कुंवर सिंह रावत "बावला" ने संगीत दिया था। इस गीत को गाने से पहले लता जी ने इसके एक-एक शब्द के अर्थ
को समझा और करीब चार घंटे बाद इस गीत को गाया। उनकी मधुर आवाज पहाड़ के लोक संगीत के साथ मिश्री की तरह घुल मिल गयी थी,जिसके बाद उत्तराखंडी सिनेमा जगत में ये
गीत अमर हो गया।
गीत के बोल-
भरमैगे मेरी, सुध-बुध ख्वेगे,
मन भरमैगे मेरी, सुध-बुध ख्वेगे,
सुणी तेरी बांसुरी सुर,
सुणी तेरी बांसुरी सुर,
बण मा सुरे-सुर बांसुरी, बण मा सुरे सुर
मन भरमैगे मेरी, सुध-बुध ख्वेगे,
मन भरमैगे मेरी, सुध-बुध ख्वेगे,
सुणी तेरी बांसुरी सुर,
सुणी तेरी बांसुरी सुर,
बण मा सुरे-सुर बांसुरी, बण मा सुरे सुर
भौंरा-पुतला फूल छोड़ीक,
चखुला अपणा घोर छोड़ीक
भौंरा-पुतला फूल छोड़ीक,
चखुला अपणा घोर छोड़ीक
रंगमत हवेक़े तेरी धुन सुणीक,
रंगमत हवेक़े तेरी धुन सुणीक,
सुरीली धुन सुणीक
गोरू-बखरों की टोली तखी हुण लेगे,
गोरू-बखरों की टोली तखी हुण लेगे,
सुणी तेरी बांसुरी सुर
सुणी तेरी बांसुरी सुर
बण मा सुरे-सुर बांसुरी, बण मा सुरे सुर
बण मा सुरे-सुर बांसुरी, बण मा सुरे सुर
डाल बोटी सभी झुमी, झूमी क
धरती पे रेखा चूमी, चूमी क
डाल बोटी सभी झुमी, झूमी क
धरती पे रेखा चूमी, चूमी क
मैं बोल्याली लेन लगन
तेरी धुन सुणी क
मैं बोल्याली लेन लगन
तेरी धुन सुणी क
रसीली धुन सुणी क
हिमाली कांठी ल्यों, गलण लैगे
हिमाली कांठी ल्यों, गलण लैगे
सुणी तेरी बां-सु-री सुर
सुणी तेरी बां-सु-री सुर
बण मा सुरे-सुर बांसुरी, बण मा सुरे सुर
बण मा सुरे-सुर बांसुरी, बण मा सुरे सुर
कोपली फुक्यों मां मुल, मुल
हैंसण लैगे न बणी तें फूल
कोपली फुक्यों मां मुल, मुल
हैंसण लैगे न बणी तें फूल
मठु -मठु हवा चलण लगे
सुणी बांसुरी सुर
मठु -मठु हवा चलण लगे
सुणी बांसुरी सुर
सुणी बांसुरी सुर
गाड़ा गदरयों सुई साट, कम होण लैगे
गाड़ा गदरयों सुई साट, कम होण लैगे
सुणी तेरी बां-सु-री सुर
सुणी तेरी बां-सु-री सुर
बण मा सुरे-सुर बांसुरी, बण मा सुरे सुर
बण मा सुरे-सुर बांसुरी, बण मा सुरे सुर
मन भर्मैगे मेरी सुध-बुध ख्वेगे
मन भर्मैगे मेरी सुध-बुध ख्वेगे