यूनियन सिविल कोड पर मुख्यमंत्री धामी ने खेला दांव, जनता क्यों बोली बेकार है मुद्दा

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उत्तराखंड में मुख्यमंत्री धामी ने यूनिफार्म सिविल कोड की घोषणा कर दांव खेलने की कोशिश की है लेकिन यह मुद्दा उत्तराखंड की क्षेत्रीय राजनीति से बहुत दूर का मुद्दा है, जिस पर यहां फिलहाल कोई बहस नहीं है, ऐसे में उनके इस दांव से आम जन पर कोई असर नहीं पड़ेगा।


कर्नाटक के उडुपी में शुरू हुए हिजाब विवाद पर देशभर में राजनीति तेज हो गई है। इस कंट्रोवर्सी के बीच एक बार फिर से यूनिफॉर्म सिविल कोड यानी समान नागरिक संहिता की चर्चा होने लगी है। शनिवार को उत्तराखंड में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बड़ा दांव खेल कर इस बहस को और तूल दे दिया है।दरअसल उत्तराखंड की चुनावी बिसातों के आखिरी दौर में मुख्यमंत्री धामी ने घोषणा कि है कि वे शपथ ग्रहण के तुरंत बाद राज्य में यूनिफार्म सिविल कोड लाएंगे। इसके लिए न्यायविदों, सेवानिवृत जनों और प्रबुद्धजनों के साथ अन्य स्टेकहोल्डरों के साथ विशेष कमेटी गठित की जाएगी। यह कमेटी उत्तराखंड के लोगों के लिए यूनिफार्म सिविल कोड का ड्राफ्ट तैयार करेगी। इस यूनिफार्म सिविल कोड का दायरा विवाह, तलाक, जमीन-जायदाद और उत्तराधिकार जैसे विषयों पर लागू होगा। यह सभी धर्मों के लोगों पर समान रूप से लागू होगा। यह भारतीय संविधान के आर्टिकल 44 की दिशा में भी प्रभावी कदम होगा। यह देश के सभी नागरिकों के लिए समान नागरिक संहिता की परिकल्पना को भी साकार करता है। हालांकि उत्तराखंड की डेमोग्राफी में इसे लागू करने से कहीं ज्यादा जरूरत एक मजबूत भू कानून की थी, जिसे लेकर उत्तराखंड के गांव से लेकर विधानसभा तक में आवाजें उठी, लेकिन मुख्यमंत्री रहते हुए भाजपा सरकार इस पर चुप्पी साधे रही। अब मुख्यमंत्री धामी ऐसे मुद्दे की पैरवी कर रहे हैं जिस पर उत्तराखंड में कहीं कभी कोई चर्चा नहीं है। राष्ट्रीय राजनीति में छाए इस मुद्दे को उठाकर वो उत्तराखंड के लोगों का कौन सा हित साधेंगे समझ से परे है। उत्तराखंड में मूल निवास, भू कानून की सख्त जरूरत है लेकिन राष्ट्रीय राजनीति को राज्य की राजनीति में थोपना भाजपा की पुरानी आदत है। ऐसे में धामी का यह दांव उत्तराखंड की जनता पर कोई असर नहीं डालेगा।

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क्या हैं यूनियन सिविल कोड

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यूनिफॉर्म सिविल कोड का सीधा मतलब है- देश के हर नागरिक के लिए एक समान कानून। फिर भले ही वह किसी भी धर्म या जाति से ताल्लुक क्यों न रखता हो। फिलहाल देश में अलग-अलग मजहबों के लिए अलग-अलग पर्सनल लॉ हैं. … यूनियन सिविल कोड का अर्थ एक निष्पक्ष कानून है, जिसका किसी धर्म से कोई ताल्लुक नहीं है।

 

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