सुनीता नेगी की अदभुत कला, पल भर में हू-ब-हू तस्वीर उकेर देते हैं बंदूक थामने वाले हाथ

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चित्रकला और देश सेवा का अनूठा संगम – पुलिस जवान सुनीता नेगी


लेखक : रति अग्निहोत्री

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कई लोग कला को दीन दुनिया से परे, किसी अलौकिक वस्तु के तौर पर देखते हैं. आमतौर पर सोचा जाता है कि कलाकार्रों के मिजाज़ दूर कहीं बादलों में होते हैं. यानि उन्हे समाज की वास्तविक सच्चाइयों की कोई सुध नहीं होती और वह बस अपने ही स्वप्न लोक में मग्न रहते हैं. और इसीलिये कला पर अक्सर यह आरोप भी लगता है कि वह धनवान लोगों के मनोरंजन की वस्तु मात्र के रूप में सिमट कर रह गयी है.

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सुनीता नेगी

लेकिन वास्तव में कला तो वह है जो लोगो के बीच सी निकलती है और उन्ही के समाज का, उनके सुखों-दिखों का बखूबी चित्रण करती है. और एक सच्चा कलाकार भी उसी समाज के बीच से ही निकलता है.

आज हम एक ऐसे व्यक्तित्व से आपको रूबरू कराने जा रहे हैं जो कि एक पुलिस जवान होने के साथ साथ बेहद संवेदनशील चित्रकार भी हैं. अपने अनूठे पेंसिल स्केचेज़ के माध्यम से इन्होने उत्तराखंड के जन जीवन का, यहां की लोक संस्कृति का बेहद सजीव चित्रण किया.

उत्तराखंड पुलिस में कार्यरत सुनीता नेगी यूं तो कितने ही वर्षों से पुलिस की नौकरी कर रही हैं. लेकिन अचम्भे की बात तो यह है कि इतनी चुनौती भरे नौकरी के बीच भी वह अपनी चित्रकारी के लिये समय निकाल पाती हैं. और जहां भी वह हों, जैसी भी स्थिति में , वहां जो भी उनके ज़ेहन में आये, उसे तुरंत पेंसिल स्केच का रूप दे देती हैं.

इनके रंग बिरंगे स्केचेज़ आशावादिता से लबालब होते हैं. किसी चित्र मे आपको पहाड़ की महिलायें अपना दिनभर का काम निबटाते दिखेंगी तो किसी चित्र में उत्तराखंड के पारंपरिक वाद्य यंत्रों को आप देख सकते हैं. किसी स्केच में कोई पुलिस जवान बड़ी आत्मीयता के साथ एक बुज़ुर्ग इंसान की मदद करता हुआ दिखाई देगा तो किसी चित्र में आप उत्तराखंड के अप्रतिम प्राकृतिक सौंदर्य का अलौकिक चित्रण पायेंगे।

सुनीता नेगी के सारे स्केचेज़ आप फेसबुक पर बने उनके ग्रुप पर देख सकते हैं. एक और खास बात यह हई कि कई स्केचेज़ के साथ साथ सुनीता जी कि कुछ पंक्तियां भी होती हैं जो कि बड़ी ही सुंदरता से उस चित्र के मूल भाव को चित्र देखने वाले तक पहुंचाती हैं.

सुनीता नेगी के अधिकतर स्केचेज़ मे लोगों के लिये कोई न कोई संदेश, कोई न कोई जीवन संबंधी सीख छुपी रहती है – पर्यावरण की रक्षा करनी चाहिये, बुज़ुर्गों का सम्मान करना चाहिये, ट्रैफिक नियमों का पालन करना चाहिये, अपनी सांस्कृतिक धरोहर को सहेज कर रखना चाहिये, देश के लिये जान देने वाले शहीदों को नमन करना चाहिये, आदि।

 

सुनीता जी को पोट्रेट बनाना खासा पसंद है. इन्होने प्रधानमंत्री मोदी से लेकर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक का पोट्रेट स्केच किया है. पुलिस के कितने ही वरिष्ठ अधिकारीयों के पोट्रेट्स इन्होने बनाये हैं. फिल्मी सितारों को स्केच करना भी सुनीता नेगी को खासा पसंद है. सुशांत सिंह राजपूत और कंगना रनौत सरीखे कलाकारों के स्केचेज़ इन्होने बनाये हैं.

 

कोरोना वायरस के शुरूआती दौर में सामाजिक दूरी के नियमों को लेकर लोगों में जागरुकता फैलाने हेतु भी सुनीता नेगी ने अपने स्केचेज़ के माध्यम से बहुत काम किया है. कोरोना का मज़ेदार कीड़ा रूपी कार्टून बनाने से लेकर उन्होने कोरोना वायरस को यमराज के रूप में चित्रित कर लोगों में बड़े ही मज़ेदार और अनूठे तरीके से सामाजिक दूरी को लेकर जागरुकता फैलाई।

सुनीता नेगी ने आर्ट में किसी प्रकार का कोई प्रशिक्षण नहीं लिया है. उन्हे बचपन से ही चित्रकला का शौक था. कभी कोयले से तो कभी रंगों से वे अपने घर की दीवारों पर फूल, पत्ती आदि तरह तरह के चित्र बनाया करती थी. और फिर इसी शौक ने आगे जाकर गंभीर रूप धारण कर लिया. उनकी कहानी में सबसे ज़्यादा प्रेरणादायक बात तो यह है कि उन्हे कभी भी पुलिस की नौकरी के बीच और चित्रकला के बीच किसी एक को चुनना नहीं पड़ा. उन्होने दोनों के बीच इस प्रकार का अनूठा सामंजस्य बिठाया कि ये दोनों रोल बल्कि एक दूसरे के पूरक बन गये. एक पुलिस जवान का समाज और देश प्रेम का जज़्बा कूट कूट कर उनके चित्रों में भरा है. तो वहीं दूसरी तरफ एक संवेदनशील कलाकार उनके पुलिस वाले व्यक्तित्व में भी घुल मिल गया है।

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