आज सुबह सुबह चुनाव ड्यूटी से लौट रहे कुछ साथियों की वाहन दुर्घटना का समाचार मिला, जिसमें एक साथी की मृत्यु और तीन साथी गंभीर रूप से घायल हो गए, मन क्षुब्ध और दुखी है, ईश्वर दिवंगत साथी की आत्मा को शांति दें, परिवार को इस महान दुःख को सहने की शक्ति प्रदान करें, एवम घायल साथी जल्द स्वस्थ हों, ऐसी ईश्वर से प्रार्थना है।🙏 चुनाव ड्यूटी करके लौटे सभी साथियों से एक आग्रह करना चाहता हूँ । क्या चुनाव सम्पन्न होने के बाद, हम सभी मतदान कार्मिक अपने कटु अनुभवों के बारे में, ECI को एक

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मेल नहीं कर सकते ? अगर हज़ारों लोग अपनी बात उठाएंगे, तो कोई न कोई तो संज्ञान लेगा। चुनाव आयोग तक कभी भी हमारी आवाज पहुँची ही नहीं। हमारी चर्चाएँ आपस तक और शिकायतें सामान जमा करने की टेबल से आगे कभी नहीं जाती। किसी को क्या पता कि क्या सुधार होने चाहिएं। चुनाव आयोग के आयुक्त सिर्फ उच्चाधिकारियों से मिल कर चले जाते हैं। अधिकारी अपने बाबुओं पे डिपेंड है, और बाबुओं की हालत हम सब जानते हैं, सबने आज उन टेबलों पे देखी ही है, हर बार देखते हैं। पीठासीन अधिकारी की डायरी कुछ अमहत्वपूर्ण बिंदुओं तक सिमट कर लिफाफों में ही बंद दम घुट कर मर जाती है। क्यों न हम एक पर्सनल रिपोर्ट, हर बार, ECI की ऑफिसियल id पर मेल करें। यदि 10% लोग भी भेजेंगे, और उस में से 10% भी पढ़ी जाय, तो हो सकता है, कुछ बदलाव हो। वरना ये लकीर के फ़क़ीर, भेड़ चाल पर ही चलते रहेंगे। किसी ने, किसी जमाने में, कोटद्वार से वितरण, और पौड़ी में संग्रह, रात को ही रवानगी की जो व्यवस्था चलाई, हर DM उसी को परंपरा मानकर धार्मिक अंधविश्वास की भांति, पूजता जा रहा है। किसी के दिमाग में तभी बात आएगी, जब कोई आवाज सुनाई देगी। अतः मेरी उन 10% जागरूक लोगों से अपील है, नियति मानकर कुर्बान न होते जाएं, आवाज उठाएं। ECI को मेल करें। वरना हर साल हम इसी तरह ॐ शांति कहकर अपने किसी न किसी साथी को श्रद्धांजलि देते रहेंगे !😞 अंशुल कुमार डोभाल 🙏🏻🙏🏻🙏🏻