भूपेन्द्र और विजेन्द्र ने अपनी मेहनत के बल पर बंजर धरती की बदल दी तस्वीर
1 min read22/02/2022 6:52 am
हेमन्त चौकियाल/ अगस्त्यमुनि
गुनाऊँ गाँव के इन दोनों युवाओं ने रोजगार के लिए पहाड़ों से पलायन कर रहे उन हजारों युवाओं को राह दिखाई है कि यदि मेहनत करने का जज्बा मन में पैदा हो जाय तो यहीं की मिट्टी में सोना पैदा किया जा सकता है।
Advertisement

कोरोना काल में जब देश में अचानक आपातकालीन सी स्थिति में जब लॉक डाउन लगा तो पहाड़ से दो जून की रोटी कमाने शहरों को गये हजारों युवाओं को अंततः अपने-अपने गाँवों की राह पकड़नी पड़ी।गिरते – पड़ते, भूखे – प्यासे देश के अलग अलग हिस्सों में अपने पुश्तैनी घरों को लौटते हुजूम तब देश और दुनिया की मीडिया की सुर्खियां बने रहे।हर कोई ये सोच कर अपनी सरजमीं पर पहुंचना चाहता था कि जब “जान है तभी जहान है”। लेकिन पहाड़ के बंजर खेतों और जो थोड़े आबाद भी थे उन्हें बन्दरों और सुअरों द्वारा अपना आनंदालय बनाये जाने पर, बहुत जल्दी शहरों से लौटे अधिकांश सूरमाओं ने , ज्योंही हालात थोड़े सामान्य हुए तो अधिकांश ने पुनः शहरों की राह पकड़ी। लेकिन इसी दौर में कुछ ऐसे भी युवा रहे, जिन्होंने पहाड़ के इन बन्दरों और सूअरों से लड़ते हुए भी कुछ करने की ठानी। पहले पहल तो लोगों ने उन्हें शहर लौट जाने की ही सलाह दी, लेकिन कहते हैं कि खुद पर भरोसा हो तो कठिनाइयों को भी हार माननी ही पड़ती है। ऐसा ही कुछ कर दिखाया है गुनाऊँ ग्राम पंचायत के दो युवाओं ने। जिन्हें देखकर आज हर कोई इन दोनों सगे भाइयों की मेहनत को सलाम कर रहा है।
Read Also This:

गुनाऊँ गाँव के इन दोनों युवाओं ने रोजगार के लिए पहाड़ों से पलायन कर रहे उन हजारों युवाओं को राह दिखाई है कि यदि मेहनत करने का जज्बा मन में पैदा हो जाय तो यहीं की मिट्टी में सोना पैदा किया जा सकता है।
गुनाऊँ के एक सामान्य कृषक बुद्धि लाल जी के दोनों सुपुत्रों ने हरिद्वार में निजी कम्पनियों की नौकरी छोड़कर घर की राह पकड़ी तो रोजगार के लिए वापस न जाने की भी कसम खाई। जब पिता ने पूछा कि यहाँ रह कर क्या करोगे, तो दोनों युवाओं ने पिता को भरोसा दिलाया कि खेती किसानी ही करेंगे। मेहनती पिता ने भी बेटों को अपना समर्थन क्या दिया कि वर्ष 2020 के जून की भरी दोपहरी में ही दोनों भाइयों ने बंजर पड़ी धरती को आबाद करने का साहसिक कदम उठाया।आज दोनों भाई मिलकर सब्जी उत्पादन का कार्य बड़े पैमाने पर कर रहे हैं। उनकी उगाई गई मौसमी सब्जियों की स्थानीय स्तर पर बड़ी माँग है। इन दोनों भाइयों की मेहनत को देखकर ऐसे ही एक मेहनती युवा शैलेन्द्र रौतेला ने दोनों भाइयों को सम्मानित करने के उद्देश्य से वर्ष 2021 में, अपने दुग्ध व्यवसाय के नाम “यदशैर गौ दुग्ध सेवा समिति के नाम से “श्रमश्री सम्मान” की नींव रखते हुए दोनों भाइयों को श्रमश्री सम्मान- 2021 प्रदान किया। मेहनत को सलाम होते देखकर विजेन्द्र और भूपेन्द्र जहाँ एक ओर खासे उत्साहित हैं, वहीं दूसरी ओर शैलेन्द्र रौतेला के अपनी ही तरह के स्वरोजगार अपनाने वाले इन युवाओं को प्रेरित करने के इस कदम की भी खूब प्रशंसा हो रही है।
दोनों युवाओं ने ग्राम पंचायत में एक नजीर पेश की है। “दस्तक – ठेठ पहाड़ से” भूपेन्द्र और विजेन्द्र जैसे उन सभी युवाओं का आवाह्न करती है कि वे भी भूपेन्द्र और विजेन्द्र के नक्शे कदम पर चलकर सफलता की एक नई इबारत लिखें, और अपनी माटी का कर्ज अदा करते हुए प्रेरणा की कहानियां यहाँ की फिजा में बिखेरें।
खबर में दी गई जानकारी और सूचना से क्या आप संतुष्ट हैं? अपनी प्रतिक्रिया जरूर दे।
जो करता है एक लोकतंत्र का निर्माण।
यह है वह वस्तु जो लोकतंत्र को जीवन देती नवीन
भूपेन्द्र और विजेन्द्र ने अपनी मेहनत के बल पर बंजर धरती की बदल दी तस्वीर
Website Design By Bootalpha.com +91 84482 65129









