यह बेहद उत्साहित प्रेरणादाई खबर है कि उत्तराखंड की नई पीढ़ी अपनी बोली भाषा के प्रति न केवल सजग हो रही बल्कि उसे नये माध्यमों जैसे इंटरनेट, सोशल मीडिया के जरिए भी प्रसारित कर रही हैं।
दीपक बेंजवाल / अगस्त्यमुनि
अपणी भाषा बचौणे शुरुआत अपणा घौर बटे होण चैंदी…….( अपनी भाषा बचाने की शुरुआत अपने घर से होनी चाहिए) इस सुनहरे उद्देश्य के साथ रूद्रप्रयाग जिले की एक स्कूल में बच्चों ने अनूठी पहल शुरू की है। अंतर्राष्ट्रीय भाषा दिवस पर अगस्त्यमुनि विकास खण्ड के राजकीय इंटर कालेज कंडारा में छात्र- छात्राओं ने सैकड़ों की संख्या में लोकभाषा गढ़वाली के प्रचलन से बाहर हो चुके शब्दों, शब्द युग्मों और बहुत सी लोकोक्तियों ( आणा-पखाणा), भ्वीणा (पहेलियों) को इकट्ठा किया है। इस संग्रह को एक दूसरे तक साझा करने के लिए बकायदा पोस्टर पर्चे तैयार किए गए। बच्चों में भाषाई बोलचाल को रोचक बनाने के लिए संवाद और डिजिटल फीचर भी बनाए गए हैं। यह बेहद उत्साहित प्रेरणादाई खबर है कि उत्तराखंड की नई पीढ़ी अपनी बोली भाषा के प्रति न केवल सजग हो रही बल्कि उसे नये माध्यमों जैसे इंटरनेट, सोशल मीडिया के जरिए भी प्रसारित कर रही हैं।
राइका कंडारा की इस अनूठी पहल में अनुष्का, अदिति, स्नेहा, राधिका, रितिका, आरती, प्रियंक, कृष्णा, प्राची, दीपशिखा, सिमरन, सृष्टि, शुभम, नितिन, प्रियांशु अनिरुद्ध, ऋषभ आदि छात्र- छात्राओं ने अन्तर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस 2022 के उपलक्ष्य में 21फरवरी से 26फरवरी तक पूरे सप्ताह तक मातृभाषा के कार्यक्रम आयोजित किए। इसमें लोकगीत, लोकभाषा वृक्ष, पोस्टर, गढवाली शब्द समूह, गढवाली कहानी लेखन, आणा भ्वीणा , संविधान प्रस्तावना का गढवाली भाषा में वाचन आदि गतिविधियाँ आयोजित की गई। विद्यालय के प्रधानाचार्य प्रदीप बिष्ट ने इस अनूठी पहल के लिए बच्चों की भरपूर मदद की। उन्होंने शब्द संपदा को व्यवस्थित करने और उसे संरक्षित करने के लिए देश दुनिया में हो रहे प्रयासों की जानकारी बच्चों को दी। इस पूरे कार्यक्रम की संयोजिका शिक्षिका कुसुम भट्ट ने इस पहल को नवाचारी प्रयोग के तौर पर लिया। उन्होंने बच्चों को इकठ्ठी सामग्री को सजाने संवारने और उसके प्रस्तुतीकरण के गुर सिखाए। इसके बाद से छात्राओं ने अपने आसपास के समाज में प्रचलित शब्दों पर रोचक फीचर तैयार किए। छात्राओं ने अपने इन क्रिया कलापों को इंटरनेट, सोशल मीडिया पर भी शेयर किया है, जो आजकल सोशल साइटों पर चर्चा का विषय बना है।
राइका कंडारा के सभी उत्साही बच्चों और शिक्षकों को लोकभाषा प्रेमियों की ढेर सारी बधाइयां।