Uttarakhand Pirul Neeti : उत्तराखंड में रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिए पहाड़ों में मिलने वाले पिरूल से अब बिजली बनाई जाएगी, जिससे गांव रोशन होंगे, इसके लिए पिछले साल 21 उद्यमियों को प्लांट लगाने और बिजली उत्पादन की मंजूरी दी गई थी। जिसके बाद से प्रदेश में पिरूल से बिजली पैदा करने की योजना सफल होती नजर आई।उत्तराखंड में करीब 6 हजार पिरुल लंयंत्र स्थापित करने की योजना है। अगर एक संयंत्र से 10 लोगों को भी रोजगार मिलता है तो 6 हजार संयंत्रों से 60 हजार लोगों को रोजगार मिलना तय है। यानि अब पिरूल से पैदा होने वाली बिजली से गांव को रोशनी के साथ-साथ क्षेत्रीय लोगो को रोजगार भी मिलेगा।

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रूद्रप्रयाग जनपद में चीड़ के पत्तों पिरूल से लगने वाली आग से वन संपदा को बचाने एवं महिलाओं एवं बेरोजगार युवाओं को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराए जाने के लिए पिरूल से विद्युत उत्पादन किए जाने के लिए जिलाधिकारी मनुज गोयल ने जिला कार्यालय कक्ष में उरेड़ा एवं वन विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक कर इस संबंध में लगाए जाने वाले प्रोजेक्ट के संबंध में संबंधित अधिकारियों से जानकारी प्राप्त की। [caption id="attachment_25671" align="alignleft" width="600"] रूद्रप्रयाग जिलाधिकारी मनुज गोयल द्वारा समीक्षा बैठक[/caption] बैठक में परियोजना अधिकारी उरेड़ा संदीप कुमार सैनी ने जिलाधिकारी को अवगत कराया है कि जनपद का कुल वन क्षेत्रफल 17083 हेक्टेयर है जिसमें रिजर्व वन 15072 तथा वन पंचायत 2011 हेक्टेयर है जिससे लगभग 64063 मिट्रिक टन पिरूल उपलब्ध होता है, जिससे लगभग 15 मेगावाट विद्युत उत्पादन होने की संभावना है जिसके लिए दो प्रोजेक्ट तैयार किए जाने के लिए भूमि का चयन किया जाना है। उन्होंने अवगत कराया है कि इस प्रोजेक्ट के सफल क्रियान्वयन के लिए एडीबी (एशियन डेवलपमेंट बैंक) द्वारा फाईनेंस किया जाएगा। जिलाधिकारी ने उरेड़ा एवं वन विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि जनपद में पिरूल से विद्युत उत्पादन किए जाने हेतु जिस क्षेत्र में अधिक चीड़ के पेड़ हैं तथा जहां अधिक पिरूल उपलब्ध होता है उस क्षेत्र में भूमि चिन्हित करते हुए उसमें दो प्रोजेक्ट लगाए जाने के लिए जल्द से जल्द आवश्यक कार्यवाही करने के निर्देश दिए गए। उन्होंने कहा कि पिरूल से विद्युत उत्पादन किए जाने से जहां एक ओर स्थानीय महिलाओं एवं बेरोजगार युवाओं के लिए रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे वहीं पिरूल से वनों में लगने वाली आग को कम किया जा सकेगा तथा वन संपदा कोे होने वाले नुकसान से भी बचा जा सकेगा। बैठक में परियोजना निदेशक डीआरडीए रमेश चंद्र, डिप्टी रेंजर वन प्रभाग रुद्रप्रयाग चंडी प्रसाद चौकियाल सहित संबंधित अधिकारी मौजूद रहे।