चिन्ताजनक: विदेश से ली MBBS डिग्री देश की परीक्षा में फेल, 77 फीसदी विदेशी एमबीबीएस MCI की जांच परीक्षा में फेल
1 min read
05/03/202210:09 am
यूक्रेन रूस युद्ध के बीच ज्यादा चर्चा वहां फंसे हुए स्टूडेंट्स की है, ये स्टूडेंट्स यूक्रेन में एमबीबीएस करने गये थे और फंस गए। लेकिन विदेशों से डिग्री लेने वालो का दूसरा पहलू चिन्ताजनक है। बीते 15 सालों में विदेशों से मेडिकल की डिग्री लेकर लौटे औसतन 77 फीसदी भारतीय छात्र ‘मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया’ (एमसीआई) द्वारा आयोजित अनिवार्य जांच परीक्षा पास करने में नाकाम रहे।
यूक्रेन रूस युद्ध के बीच ज्यादा चर्चा वहां फंसे हुए स्टूडेंट्स की है, ये स्टूडेंट्स यूक्रेन में एमबीबीएस करने गये थे और फंस गए। लेकिन विदेशों से डिग्री लेने वालो का दूसरा पहलू चिन्ताजनक है। बीते 15 सालों में विदेशों से मेडिकल की डिग्री लेकर लौटे औसतन 77 फीसदी भारतीय छात्र ‘मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया’ (एमसीआई) द्वारा आयोजित अनिवार्य जांच परीक्षा पास करने में नाकाम रहे। आलम ये है कि इनमें से अधिकांश या तो कम्पाउन्डर काम कर रहे हैं या डाक्टर के साथ असिस्टेंट बन गए हैं। इन छात्रों में अधिकतर ने यूक्रेन, उजेबिकस्तान, अजरबेजान, बिस्बैक, किरगिजस्तान से बीस-बीस लाख में एमबीबीएस किया लेकिन भारत में डाक्टरी लाइसेंस के लिए जरूरी स्क्रीनिंग टेस्ट MCI पास नहीं कर पाए। दरअसल देश के बाहर के किसी चिकित्सा संस्थान से ‘प्राइमरी मेडिकल क्वालिफिकेशन’ की डिग्री लेने वाला कोई नागरिक अगर एमसीआई में या किसी राज्य की चिकित्सा परिषद में प्राविजनल या स्थायी रूप से पंजीकरण कराना चाहता है तो उसे एमसीआई द्वारा राष्ट्रीय परीक्षा बोर्ड (नेशनल बोर्ड ऑफ एग्जामिनेशन्स – एनबीई) के माध्यम से संचालित जांच परीक्षा उत्तीर्ण करने की जरूरत होती है। यह जांच परीक्षा ‘फॉरेन मेडिकल ग्रेजुएट्स एग्जामिनेशन’ (एफएमजीई) कहलाती है। आरटीआई कानून के अंतर्गत एनबीई द्वारा मुहैया कराए गए आंकड़ों से पता चलता है कि वर्ष 2004 में एमसीआई द्वारा संचालित परीक्षा में सफल उम्मीदवारों की संख्या 50 फीसदी से अधिक थी जो बाद के सालों में घटती चली गई और एक बार तो यह प्रतिशत केवल 4 रहा। सितंबर 2005 में इस परीक्षा में सफल छात्रों का प्रतिशत 76.8 था जो सर्वाधिक था। तब इस परीक्षा में 2,851 छात्र बैठे और 2,192 छात्र पास हुए थे।मार्च 2008 में परीक्षा देने वाले 1,851 छात्रों में से 1,087 छात्र पास हुए और यह प्रतिशत 58.7 रहा।
देश और दुनिया सहित स्थानीय खबरों के लिए जुड़े रहे दस्तक पहाड़ से।
खबर में दी गई जानकारी और सूचना से क्या आप संतुष्ट हैं? अपनी प्रतिक्रिया जरूर दे।
चिन्ताजनक: विदेश से ली MBBS डिग्री देश की परीक्षा में फेल, 77 फीसदी विदेशी एमबीबीएस MCI की जांच परीक्षा में फेल
दस्तक पहाड़ की से ब्रेकिंग न्यूज़:
भारत में सशक्त मीडिया सेंटर व निष्पक्ष पत्रकारिता को समाज में स्थापित करना हमारे वेब मीडिया न्यूज़ चैनल का विशेष लक्ष्य है। खबरों के क्षेत्र में नई क्रांति लाने के साथ-साथ असहायों व जरूरतमंदों का भी सभी स्तरों पर मदद करना, उनको सामाजिक सुरक्षा देना भी हमारे उद्देश्यों की प्रमुख प्राथमिकताओं में मुख्य रूप से शामिल है। ताकि सर्व जन हिताय और सर्व जन सुखाय की संकल्पना को साकार किया जा सके।
यूक्रेन रूस युद्ध के बीच ज्यादा चर्चा वहां फंसे हुए स्टूडेंट्स की है, ये स्टूडेंट्स यूक्रेन में एमबीबीएस करने गये थे और फंस गए। लेकिन विदेशों से डिग्री
लेने वालो का दूसरा पहलू चिन्ताजनक है। बीते 15 सालों में विदेशों से मेडिकल की डिग्री लेकर लौटे औसतन 77 फीसदी भारतीय छात्र ‘मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया’
(एमसीआई) द्वारा आयोजित अनिवार्य जांच परीक्षा पास करने में नाकाम रहे।
यूक्रेन रूस युद्ध के बीच ज्यादा चर्चा वहां फंसे हुए स्टूडेंट्स की है, ये स्टूडेंट्स यूक्रेन में एमबीबीएस करने गये थे और फंस गए। लेकिन विदेशों से डिग्री
लेने वालो का दूसरा पहलू चिन्ताजनक है। बीते 15 सालों में विदेशों से मेडिकल की डिग्री लेकर लौटे औसतन 77 फीसदी भारतीय छात्र ‘मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया’
(एमसीआई) द्वारा आयोजित अनिवार्य जांच परीक्षा पास करने में नाकाम रहे। आलम ये है कि इनमें से अधिकांश या तो कम्पाउन्डर काम कर रहे हैं या डाक्टर के साथ
असिस्टेंट बन गए हैं। इन छात्रों में अधिकतर ने यूक्रेन, उजेबिकस्तान, अजरबेजान, बिस्बैक, किरगिजस्तान से बीस-बीस लाख में एमबीबीएस किया लेकिन भारत में
डाक्टरी लाइसेंस के लिए जरूरी स्क्रीनिंग टेस्ट MCI पास नहीं कर पाए। दरअसल देश के बाहर के किसी चिकित्सा संस्थान से ‘प्राइमरी मेडिकल क्वालिफिकेशन’ की
डिग्री लेने वाला कोई नागरिक अगर एमसीआई में या किसी राज्य की चिकित्सा परिषद में प्राविजनल या स्थायी रूप से पंजीकरण कराना चाहता है तो उसे एमसीआई द्वारा
राष्ट्रीय परीक्षा बोर्ड (नेशनल बोर्ड ऑफ एग्जामिनेशन्स - एनबीई) के माध्यम से संचालित जांच परीक्षा उत्तीर्ण करने की जरूरत होती है। यह जांच परीक्षा ‘फॉरेन
मेडिकल ग्रेजुएट्स एग्जामिनेशन’ (एफएमजीई) कहलाती है। आरटीआई कानून के अंतर्गत एनबीई द्वारा मुहैया कराए गए आंकड़ों से पता चलता है कि वर्ष 2004 में एमसीआई
द्वारा संचालित परीक्षा में सफल उम्मीदवारों की संख्या 50 फीसदी से अधिक थी जो बाद के सालों में घटती चली गई और एक बार तो यह प्रतिशत केवल 4 रहा। सितंबर 2005 में इस
परीक्षा में सफल छात्रों का प्रतिशत 76.8 था जो सर्वाधिक था। तब इस परीक्षा में 2,851 छात्र बैठे और 2,192 छात्र पास हुए थे।मार्च 2008 में परीक्षा देने वाले 1,851 छात्रों
में से 1,087 छात्र पास हुए और यह प्रतिशत 58.7 रहा।