तृतीय केदार भगवान तुंगनाथ के कपाट खुलने से पहले ही यहां सैलानियों की भारी संख्या में आवाजाही होने लगी है। अभी तक धाम के कपाट खोलने को लेकर तिथि भी तय नहीं हुई है और धाम में सैकड़ों की संख्या में लोग पहुंच रहे हैं, जिस कारण भगवान शंकर की तंद्रा भंग होने के साथ ही अजैविक कूड़ा फैंकने के कारण पवित्र वातावरण दूषित हो रहा है। ऐसे में तुंगनाथ घाटी के लोग, सैलानियों की समय से पूर्व इस चहलकदमी को अनिष्टकारी मान रहे हैं।
शीतकाल में क्षेत्र में बर्फबारी के चलते दो माह से क्षेत्र में बर्फ का आनंद लेने पर्यटक पहुंच रहे हैं, जो मंदिर परिसर में भी जा रहे और वहां घंटी बजा रहे हैं। जबकि शीतकाल में आराध्य भगवान समाधि में लीन रहते हैं। मंदिर के मठाधिपति राम प्रसाद मैठाणी का कहना है कि परंपराओं के तहत हिमालय की तलहटी पर स्थित पंचकेदार मंदिरों में शीतकाल में मानव का प्रवेश निषेध रहता है।शीतकाल में बाबा समाधि में लीन रहते हैं, लेकिन पर्यटन के नाम पर मंदिर परिसर में पहुंच रहे पर्यटक आराध्य की समाधि को भंग कर रहे हैं।
हक-हकूकधारी हरिबल्लभ मैठाणी, मुकेश मैठाणी, चंद्रबल्लभ मैठाणी, प्रकाश मैठाणी, ग्राम प्रधान विजयपाल सिंह नेगी, ईको पर्यटन समिति चोपता के अध्यक्ष भूपेंद्र मैठाणी का कहना है कि वर्ष 2017/18 में प्रशासन ने शीतकाल में तुंगनाथ मंदिरमें होमगार्ड की तैनाती कर सुरक्षा इंतजाम की बात कही थी, लेकिन आज तक इस दिशा में कोई कार्रवाई नहीं हो पाई है।बीते दो वर्षों में शीतकाल में तुंगनाथ में कई दुकानों के ताले तोड़कर चोरी की घटनाएं हो चुकी हैं। शीतकाल में कपाट बंद होने के बाद भी मंदिर में पहुंच रहे लोग धार्मिक मान्यताएं भंग कर रहे हैं।यहां ग्रामीणों ने चंद्रशिला जाने वाले पर्यटकों को तुंगनाथ मंदिर परिसर के बजाय अन्य रास्ते से भेजने की मांग की है। श्रीबदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने बताया कि उन्होंने इस संबंध में जिलाधिकारी से बात की है।लोगों ने तुंगनाथ मंदिर से पांच सौ मीटर पहले मंदिर क्षेत्र में प्रवेश निषेध करने के निर्देश दिए हैं, जिससे क्षेत्र का पर्यटन भी प्रभावित न हो और धार्मिक मान्यताएं भी बनी रहे।इधर, जिलाधिकारी मनुज गोयल ने बताया कि इस संबंध में केदारनाथ वन्य जीव प्रभाग के डीएफओ को जरूरी निर्देश दे दिए गए हैं।