नयी छवाळि मा लोकभाषा की अलख, शिक्षक अश्विनी गौड़ बण्यां प्रेरणादाई
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12/03/20227:19 am
भुला अश्वनी का प्रयास तो बधै !
रूद्रप्रयाग जिला की राजकीय उच्चतर माध्यमिक विदयालय पाला कुराली क्षेत्र जखोली मा लोकभाषा गढ़वळी सीखण और सीखौण कू एक नयू प्रयोग जीवंत होणू च। नया छवाळि का नौना नौन्याळौ तै अपणी लोकभाषा की तागत बतौणौ अर सृजन कू नयू इतिहास रंचणौ यू प्रयोग कनू च लोकभाषा कू मयाळू साहित्यकार शिक्षक भुला अश्विनी गौड़। स्कूल का खाली समय मा अपड़ा विद्यार्थियो तै लोकभाषा कू ज्ञान दौड़ अर कविता कहानी लेखन की प्रेणा दैण मातृभाषा की सच्ची सेवा च। यी स्वाणी पहल का वास्ता भुला अश्विनी तै दिल से सलाम। यी पहल का दगड़ा दगड़ि तौन मोबाईल लाईब्रेरी का रूप मा गढ़वाळी कुमाऊँनी की किताबौ कू एक संग्रह भी बणायू च, जैका माध्यम से नयी पीढी का बच्चा लोकभाषा मा होण वाळा सृजन तै देखदा, समझदा अर पढ़दा छा। भाषा कू ज्ञान जिथग्या बड़ू सू अच्छी बात च आज आधुनिक युग अधिक से अधिक भाषा सीखणो कू दौर चलणू च अर यू जरूरी बी च पर अपणी भाषा की उपेक्षा भी नी होण चैदी। आखिर या भाषा ही त हम्हरि पच्छाण च अर यी पच्छाण का वास्ता अगर हम लोग ही प्रयास नी कला त कू कलू। त आवा अगने आवा अपणी भाषा अपणी पच्छाण का वास्ता अपणी भाषा मा भी लिखा पढा। फिर देखा जथग्या प्यार, स्नेह अपणी भाषा म च तथग्या कै भाषा मा नी च।
गढभाषा आदोंलन दगडि मोबाइल लाइब्रेरी की स्थापना करि बच्चा गढवळि भाषा साहित्य न सिर्फ पढणा छिन बल्कन कलम पकडि गढवळि भाषा मा लिखण कि भी कोसिस कना छिन – अश्वनि गौड़, शिक्षक
रविना राणा कक्षा 8 की ल्येखि कविता अर खुद सजाईं कविता —
मेरा पहाड़ का फूळुन,
धर्ती गौं कि सजणि च,
बनि-बनि डाळयुन,
पहाड़ कन भलु दिखेणु च।।
क्येक काटणा तौं डाळयू तै,
डाळी गौं कि शान च,
तौं डाळयु काटी ही,
मेरु गौं बेकार दिखेणु च।।
मेरा पहाड़ मा, ऊंची-नीसि धार च,
बसन्त रितु कि, फूलु मा फुलार च,
आज फूलों-फुलार द्येखण, अगाध ह्वयि च,
किले मेरा पहाड़ कि शान हर्ची च।।
ऊंचि-निसि पुंगण्यों, फ्योंलि फूल कन भला सजणा च,
मेरा गौं का बौंण, काफळ कन भला दिखेंणा च,
कख हरचिन फ्योंलि-काफळ मेरा पहाड़ का,
किले फ्योंलि काफल द्येखण मुश्किल ह्वयूं च।।।
रविना राणा। कक्षा-8 की खुद ल्येखि कविता
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भुला अश्विनी लोकभाषा की यी मुछयळी तै इन ही जगै रख। ढेर सारी शुभकामना अर बधै।
दस्तक, ठेठ पहाड़ से
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भुला अश्वनी का प्रयास तो बधै !
रूद्रप्रयाग जिला की राजकीय उच्चतर माध्यमिक विदयालय पाला कुराली क्षेत्र जखोली मा लोकभाषा गढ़वळी सीखण और सीखौण कू एक नयू प्रयोग जीवंत होणू च। नया छवाळि
का नौना नौन्याळौ तै अपणी लोकभाषा की तागत बतौणौ अर सृजन कू नयू इतिहास रंचणौ यू प्रयोग कनू च लोकभाषा कू मयाळू साहित्यकार शिक्षक भुला अश्विनी गौड़। स्कूल का
खाली समय मा अपड़ा विद्यार्थियो तै लोकभाषा कू ज्ञान दौड़ अर कविता कहानी लेखन की प्रेणा दैण मातृभाषा की सच्ची सेवा च। यी स्वाणी पहल का वास्ता भुला अश्विनी
तै दिल से सलाम। यी पहल का दगड़ा दगड़ि तौन मोबाईल लाईब्रेरी का रूप मा गढ़वाळी कुमाऊँनी की किताबौ कू एक संग्रह भी बणायू च, जैका माध्यम से नयी पीढी का बच्चा
लोकभाषा मा होण वाळा सृजन तै देखदा, समझदा अर पढ़दा छा। भाषा कू ज्ञान जिथग्या बड़ू सू अच्छी बात च आज आधुनिक युग अधिक से अधिक भाषा सीखणो कू दौर चलणू च अर यू
जरूरी बी च पर अपणी भाषा की उपेक्षा भी नी होण चैदी। आखिर या भाषा ही त हम्हरि पच्छाण च अर यी पच्छाण का वास्ता अगर हम लोग ही प्रयास नी कला त कू कलू। त आवा अगने
आवा अपणी भाषा अपणी पच्छाण का वास्ता अपणी भाषा मा भी लिखा पढा। फिर देखा जथग्या प्यार, स्नेह अपणी भाषा म च तथग्या कै भाषा मा नी च।
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अश्वनि गौड़, शिक्षक
रविना राणा कक्षा 8 की ल्येखि कविता अर खुद सजाईं कविता ---
मेरा पहाड़ का फूळुन,
धर्ती गौं कि सजणि च,
बनि-बनि डाळयुन,
पहाड़ कन भलु दिखेणु च।।
क्येक काटणा तौं डाळयू तै,
डाळी गौं कि शान च,
तौं डाळयु काटी ही,
मेरु गौं बेकार दिखेणु च।।
मेरा पहाड़ मा, ऊंची-नीसि धार च,
बसन्त रितु कि, फूलु मा फुलार च,
आज फूलों-फुलार द्येखण, अगाध ह्वयि च,
किले मेरा पहाड़ कि शान हर्ची च।।
ऊंचि-निसि पुंगण्यों, फ्योंलि फूल कन भला सजणा च,
मेरा गौं का बौंण, काफळ कन भला दिखेंणा च,
कख हरचिन फ्योंलि-काफळ मेरा पहाड़ का,
किले फ्योंलि काफल द्येखण मुश्किल ह्वयूं च।।।
रविना राणा। कक्षा-8 की खुद ल्येखि कविता
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भुला अश्विनी लोकभाषा की यी मुछयळी तै इन ही जगै रख। ढेर सारी शुभकामना अर बधै।
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