उफ्फ……कैलाश भाई ! यकीन नहीं हो रहा। ऐसी भी क्या जल्दी थी। पहाड़ी टोपी को पहचान दिलाने वाले कैलाश भट्ट ने कहा अलविदा पहाड़
1 min read15/03/2022 3:57 am
ऐसे बहुत से लोग होते हैं जो इस दुनिया से रुख़्सत होने के बाद अपने पीछे अपना प्रभावी इतिहास छोड़ जाते हैं और उनकी यादें हमेशा दिलो-दिमाग में घर किए होती हैं। पहाड़ और पहाड़ियत को बिसरा चुके दिल दिमागों नई उमंग जगाने वाले ऐसे ही हरदिल अज़ीज़ शख्स थे कैलाश भट्ट। पहाड़ी टोपी को प्रदेश ही नहीं देश भर में पहचान दिलाने वाले हरफनमोला कलाकार कैलाश भट्ट का सोमवार को देहरादून में एक लंबी बीमारे के बाद निधन हो गया है।
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इस दुखद सूचना से चमोली जिले के साथ ही उत्तराखंड का हर आदमी स्तब्ध है। यूं अचानक कैलाश भाई का चला जाना सबको अचंभित कर रहा है। कैलाश भट्ट काफी समय से बीमार चल रहे थे। सोमवार को अपराह्न बाद उन्होंने देहरादून में अंतिम सांस ली। इनका देहरादून इंद्रेश हास्पिटल में इलाज चल रहा था। ये अपने पीछे पत्नी, एक बेटा और एक बेटी को छोड़ गये है। इनके असामयिक निधन पर चमोली जिले में शोक की लहर दौड़ पड़ी है। कैलाश भट्ट अक्षत नाट्य संस्था से भी जुड़े हुए थे। साथ गोपेश्वर में होने वाली तमाम सामाजिक गतिविधियों में इनकी अहम भूमिका रहती थी। इनके असामयिक निधन पर पहाड़ के कलाकारों के साथ ही, सामाजिक, राजनैतिक संगठनों से जुड़े लोगों ने शोक प्रकट किया।
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जागर सम्राट और पद्म श्री सम्मान से सम्मानित डा प्रीतम भरतवाण ने उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए लिखा – ” हमारी प्राचीन टोपी, मिरजई, फतुई, सदरी,आँगन्डी का बहुत बड़ा पारम्परिक कारीगर जौंन हमारा पहाड़ी परिधान थैं न सिर्फ अधिक पहचान दिने बल्कि नई छुयाली तक भी पौंछाए यना ख्याति लब्ध कारीगर श्री कैलाश भट्ट जी का निधन का समाचार सुणि मैं बहुत क्षुब्ध छौं उंकु करयूं काम सदैव स्मरण रलु उंकि सिलीं टोपी सदा हमारा पास समलौण रली उ सदा हमारा दिलों मा जीवित रला। बहुत ही भारी मन से भट्ट जी थैं अश्रुपूरित श्रद्धाजंलि। ईश्वर उँ सणी अपड़ा धाम मा स्थान देयोन अर परिवार थैं दुख सहन कन की शक्ति प्रदान करोंन ॐ शांति”
चमोली जिले से वरिष्ठ पत्रकार हरीश मैखुरी लिखते हैं – कैलाश भट्ट यार तुम्हारी श्रध्दांजलि के लिए लिखना पडे़गा ऐसी कल्पना भी मैने कभी नहीं की थी। गोपेश्वर हलदापानी में कैलाश अपनी लघु कार्यशाला थी जहां वे पहाड़ी परिधान को ब्रांड बनाते थे। उन्होंने देहरादून में घंटाघर के निकट भी ऐसी ही कार्यशाला बनायी लेकिन कोरोना के चलते उन्हें अपेक्षित सफलता नहीं मिली। उत्तरप्रदेश के दौर में पौड़ी जनपद में सबसे छोटी आयु के ग्राम प्रधान रहे ,प्रसिद्ध रंगकर्मी एवम बहुत सारी गढ़वाली गीतों में बहुत सारी भूमिकाओं को निभाने वाले एवम हॉलीबुड की प्रसिद्ध फ़िल्म द लेंड ऑफ गॉड में अभिनय करने वाले, वर्षों से गोपेश्वर की रामलीला के समर्पित पुरोधा, लोक संस्कृति के संरक्षक नरेंद्र सिंह नेगी के कॉस्ट्यूम डिजायनर एवम जिन्होंने गढ़वाली टोपी को पूरे देश में पहुंचाया, बहुत सरल स्वभाव के उत्कृष्ट कलाकार कैलाश भट्ट उत्तराखंड के सांस्कृतिक दलों और वीडियो फिल्मों के कलाकारों के लिए भी पहाड़ी लोक परिधान और सस्ते आर्नामेंट ज्वैलरी डिजाइन करते थे।
उत्तराखंड राज्य के महान कलाकार पहाडी़ टोपी के निर्माता और अक्षत नाट्य संस्था के उम्दा कलाकार एवं संयुक्त रामलीला मंच के एक महत्वपूर्ण स्तंभ हमारे मित्र कैलाश भट्ट का असमय जाना यह एक तरह से यह बहुत बड़ी क्षति है कि उत्तराखण्ड संस्कृति मे बड़ा योगदान देने वाले ..श्री सतपाल जी महाराज़, गढ़ रत्न नेगी जी, श्री खण्डूड़ी जी एवं देश विदेश को पहाड़ी टोपी पहनाने वाले संस्कृति के जन नायक प्रोफेसर दाता राम पुरोहित को विश्व विख्यात मिर्जईं पहनाने वाले श्री कैलाश भट्ट का जाना एक सांस्कृतिक युग का अवसान है।
बताया तो ये भी गया कि जिस तरह की ब्रह्मकमल वाली टोपी देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अमित शाह ने पहनी उसका पहला वर्जन भी कैलाश भट्ट ने ही बनाया था। गोपेश्वर को उन्होंने अपनी कर्मस्थली बनाया था,और उत्तराखण्ड की संस्कृति को राष्ट्रीय फलक पर ले जाने का कार्य किया,इसी कारण बहुत सारे पुरुस्कारों से वो सम्मानित हुए ,बहुत दिनों से उनका उपचार चल रहा था,आज उनके निधन की दुःखद सूचना प्राप्त हुई।
दस्तक पत्रिका परिवार पहाड़ के अपने आत्मीय कैलाश दा को सादर श्रद्धांजलि अर्पित करता है।
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जो करता है एक लोकतंत्र का निर्माण।
यह है वह वस्तु जो लोकतंत्र को जीवन देती नवीन
उफ्फ……कैलाश भाई ! यकीन नहीं हो रहा। ऐसी भी क्या जल्दी थी। पहाड़ी टोपी को पहचान दिलाने वाले कैलाश भट्ट ने कहा अलविदा पहाड़
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