सरकार की एहसान फरामोशी, कोविड में जानजोखिम में डालकर ज़िंदगी बचाने वाले कर्मियों को निकाला, फरमान जारी
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24/03/20227:32 am
दीपक बेंजवाल / अगस्त्यमुनि ।।
कोविड महामारी में अपनी जान जोखिम में डालकर हजारों जिंदगियां बचाने वाले युवाओं को अब नौकरी से निकाला जा रहा है। सरकार की इस एहसान फरामोशी युवाओं में गुस्सा है।
दरअसल यह पूरा मामला उत्तराखंड में कोविड महामारी में डाक्टर, फार्मासिस्टों और अस्थाई रूप से अस्पतालों में भर्ती किए गए उन लोगों का है जिन्हें अब स्थिति सामान्य होने पर अस्पतालों से बाहर निकाला जा रहा है। जबकि उत्तराखंड के अधिकांश अस्पताल स्टाफ की भारी कमी से जूझ रहे हैं। बजट का बड़ा हिस्सा शिक्षा, स्वास्थ्य पर खर्च करने का ढोल पीटने वाली सरकारें हकीकतों से हमेशा मुंह मोड़ती रही है, आलम ये है कि सूबे की अधिकांश सरकारी स्कूलों पर ताले लटकने वाले हैं तो अधिकांश अस्पताल मात्र शो पीस होकर रेफरल सेंटर बन गए हैं। कोविड महामारी ने उत्तराखंड में स्वास्थ्य सुविधाएं की पोल खोली है, यहां दवाईयां तो दूर स्वास्थ्य परीक्षण और इलाज करने वाले डाक्टर फार्मासिस्ट तक पूरे नहीं है। पहाड़ों में तो हालात और भी बुरे हैं, जहां अस्पताल चौकीदारों के भरोसे छोड़ दिए गए हैं। यह तब है जब सूबे लाखों की संख्या में युवा फार्मेसी अथवा अन्य मेडिकल कोर्सो को करके घर बैठे है। बेरोजगारी की इसी मार से त्रस्त युवाओं ने कोविड महामारी के खतरनाक दौर में अपनी जान जोखिम में डालकर नौकरी करने की ठानी, और पूरी निष्ठा के साथ की भी, लेकिन आज संकट मोचक बने उन सभी बेरोजगारों को सरकार हटा रही है। रूद्रप्रयाग जिले में भी ऐसे सभी कर्मियों को सेवाएं स्वत: समाप्त समझे जाने के आदेश जारी कर दिए गए है। देखिए आदेश –
इस आदेश में अस्थाई मानव संसाधन की कोविड कार्यों के संचालन व्यवस्था में जिन कर्मियों को 31मार्च 2022 तक तैनाती दी गई थी, उन्हें सेवाएं स्वत: समाप्त निरस्त समझें जाने के आदेश दिए गए है। इस आदेश के बाद फिर से बेरोजगार हो चुके युवाओं के भविष्य पर संशय के बादल मंडराने लगे है। नई सरकार से उनकी इस शपथ लेते ही टूट गई है। बेरोजगार युवाओं ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से इस मामले में हस्तक्षेप करने की गुहार लगाई है।
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दीपक बेंजवाल / अगस्त्यमुनि ।।
कोविड महामारी में अपनी जान जोखिम में डालकर हजारों जिंदगियां बचाने वाले युवाओं को अब नौकरी से निकाला जा रहा है। सरकार की इस एहसान फरामोशी युवाओं में
गुस्सा है।
दरअसल यह पूरा मामला उत्तराखंड में कोविड महामारी में डाक्टर, फार्मासिस्टों और अस्थाई रूप से अस्पतालों में भर्ती किए गए उन लोगों का है जिन्हें अब स्थिति
सामान्य होने पर अस्पतालों से बाहर निकाला जा रहा है। जबकि उत्तराखंड के अधिकांश अस्पताल स्टाफ की भारी कमी से जूझ रहे हैं। बजट का बड़ा हिस्सा शिक्षा,
स्वास्थ्य पर खर्च करने का ढोल पीटने वाली सरकारें हकीकतों से हमेशा मुंह मोड़ती रही है, आलम ये है कि सूबे की अधिकांश सरकारी स्कूलों पर ताले लटकने वाले हैं
तो अधिकांश अस्पताल मात्र शो पीस होकर रेफरल सेंटर बन गए हैं। कोविड महामारी ने उत्तराखंड में स्वास्थ्य सुविधाएं की पोल खोली है, यहां दवाईयां तो दूर
स्वास्थ्य परीक्षण और इलाज करने वाले डाक्टर फार्मासिस्ट तक पूरे नहीं है। पहाड़ों में तो हालात और भी बुरे हैं, जहां अस्पताल चौकीदारों के भरोसे छोड़ दिए गए
हैं। यह तब है जब सूबे लाखों की संख्या में युवा फार्मेसी अथवा अन्य मेडिकल कोर्सो को करके घर बैठे है। बेरोजगारी की इसी मार से त्रस्त युवाओं ने कोविड
महामारी के खतरनाक दौर में अपनी जान जोखिम में डालकर नौकरी करने की ठानी, और पूरी निष्ठा के साथ की भी, लेकिन आज संकट मोचक बने उन सभी बेरोजगारों को सरकार हटा
रही है। रूद्रप्रयाग जिले में भी ऐसे सभी कर्मियों को सेवाएं स्वत: समाप्त समझे जाने के आदेश जारी कर दिए गए है। देखिए आदेश -
इस आदेश में अस्थाई मानव संसाधन की कोविड कार्यों के संचालन व्यवस्था में जिन कर्मियों को 31मार्च 2022 तक तैनाती दी गई थी, उन्हें सेवाएं स्वत: समाप्त निरस्त
समझें जाने के आदेश दिए गए है। इस आदेश के बाद फिर से बेरोजगार हो चुके युवाओं के भविष्य पर संशय के बादल मंडराने लगे है। नई सरकार से उनकी इस शपथ लेते ही टूट गई
है। बेरोजगार युवाओं ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से इस मामले में हस्तक्षेप करने की गुहार लगाई है।