क्या आप जानते हैं उत्तराखंड राज्य का पांचवां प्रतीक क्या है?
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25/03/202211:37 am
कॉमन पीकॉक तितली उत्तराखंड की राज्य तितली है। राज्य तितली का अर्थ है, कॉमन पीकॉक तितली उत्तराखंड की राज्य प्रतीक है। कॉमन पीकॉक उत्तराखंड का पांचवा राज्य प्रतीक है। उत्तराखंड की इस तितली कॉमन पीकॉक को 07 नवंबर 2016 को राज्य के पांचवे चिन्ह ( प्रतीक ) के रूप में राज्य तितली का स्थान प्राप्त हुआ था। तितली को प्रतीक चिन्ह बनाने वाला उत्तराखंड भारत का दूसरा राज्य है। तितली को प्रतीक चिन्ह बनाने वाला भारत का प्रथम राज्य महाराष्ट्र है। महाराष्ट्र ने 2015 में ब्लू मारमान ( blue Mormon ) को अपने राजकीय प्रतीक चिन्हों में शामिल किया था।
कामन पीकाक तितली
हमारे देश मे तितलियों की लगभग 1300 प्रजातियां हैं। इनमे से अकेले लगभग 500 प्रकार की प्रजातियां उत्तराखंड में मिलती हैं। इसलिये शायद उत्तराखंड को तितलियों का घर भी कहते हैं। इस तितली का रूप एकदम मोर जैसा होता है, इस लिए इसका नाम कॉमन पीकॉक रखा गया है। कॉमन पीकॉक का वैज्ञानिक नाम पैपिलियो बाइनर | Papilio bianor है। यह तितली 7000 फ़ीट से अधिक ऊंचाई पर पाई जाती है। यह तितली भारत मे उत्तराखंड के अलावा अन्य हिमालयी राज्यों में पाई जाती है। विदेशों में यह तितली चीन, दक्षिणी हिमालयी ऐशियाई देशों में तथा ऑस्ट्रेलिया में पाई जाती है। कॉमन पीकॉक तितली का जीवन मात्र एक माह 15 दिन ( डेढ़ माह ) के आस पास का होता है। यह सुंदर तितली लगभग 90 mm से 130 mm आकार की होती है। यह तितली मार्च से अक्टूबर के बीच मे दिखाई देती है। 1996 में कॉमन पीकॉक तितली का नाम भारत की सबसे सुंदर तितली के रूप में लिम्का बुक में रिकॉर्ड दर्ज कराया।
यह तितली का जीवन यापन तिमूर के पेड़ पर करती है। और तिमूर के पेड़ पर ही यह तितली अपने अंडे देती है। उत्तराखंड में तितलियों पर शोध संस्थान , भीमताल में है , भीमताल शोध संस्थान के निदेशक के अनुसार common peacock का पुराना नाम पिपलिया पालिक्टर था। पिपलिया बीआनोर के नाम से यह तितली चीन जापान ,कोरिया तथा पूर्वी रूस में पाई जाती थी।
उत्तराखंड अन्य हिमालयी राज्यों की तरह प्राकृतिक सुंदरता से सम्पन्न होने के कारण तितलियों की पहली पसंद है।यहाँ पूरे देश की 1300 तितलियों की प्रजाति में से 500 प्रजातियां पाई जाती हैं । इसीलिए उत्तराखंड को तितलियों का घर भी कहा जाता है। उत्तराखंड में श्रीदेव सुमन तितली पार्क टिहरी, लच्छीवाला तितली पार्क देहरादून तथा भारत का पहला पोलीनेटर पार्क हल्द्वानी नैनीताल में खुला है। यह सभी पार्क तितलियों को समर्पित हैं। उत्तराखंड डीडीहाट में खोजी गई, गोल्डन विंग तितली को भारत की सबसे बड़ी तितली होने का गौरव प्राप्त हुआ । गोल्डन विंग तितली का वैज्ञानिक नाम ट्रोइडेस अयकुस है। उत्तराखंड के भीमताल में तितलियों पर एक शोध के लिए एक बटरफ्लाई शोध संस्थान भी स्थित है।
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कॉमन पीकॉक तितली उत्तराखंड की राज्य तितली है। राज्य तितली का अर्थ है, कॉमन पीकॉक तितली उत्तराखंड की राज्य प्रतीक है। कॉमन पीकॉक उत्तराखंड का पांचवा
राज्य प्रतीक है। उत्तराखंड की इस तितली कॉमन पीकॉक को 07 नवंबर 2016 को राज्य के पांचवे चिन्ह ( प्रतीक ) के रूप में राज्य तितली का स्थान प्राप्त हुआ था। तितली को
प्रतीक चिन्ह बनाने वाला उत्तराखंड भारत का दूसरा राज्य है। तितली को प्रतीक चिन्ह बनाने वाला भारत का प्रथम राज्य महाराष्ट्र है। महाराष्ट्र ने 2015 में ब्लू
मारमान ( blue Mormon ) को अपने राजकीय प्रतीक चिन्हों में शामिल किया था।
[caption id="attachment_26297" align="alignleft" width="334"] कामन पीकाक तितली[/caption]
हमारे देश मे तितलियों की लगभग 1300 प्रजातियां हैं। इनमे से अकेले लगभग 500 प्रकार की प्रजातियां उत्तराखंड में मिलती हैं। इसलिये शायद उत्तराखंड को तितलियों
का घर भी कहते हैं। इस तितली का रूप एकदम मोर जैसा होता है, इस लिए इसका नाम कॉमन पीकॉक रखा गया है। कॉमन पीकॉक का वैज्ञानिक नाम पैपिलियो बाइनर | Papilio bianor है। यह
तितली 7000 फ़ीट से अधिक ऊंचाई पर पाई जाती है। यह तितली भारत मे उत्तराखंड के अलावा अन्य हिमालयी राज्यों में पाई जाती है। विदेशों में यह तितली चीन, दक्षिणी
हिमालयी ऐशियाई देशों में तथा ऑस्ट्रेलिया में पाई जाती है। कॉमन पीकॉक तितली का जीवन मात्र एक माह 15 दिन ( डेढ़ माह ) के आस पास का होता है। यह सुंदर तितली लगभग 90 mm
से 130 mm आकार की होती है। यह तितली मार्च से अक्टूबर के बीच मे दिखाई देती है। 1996 में कॉमन पीकॉक तितली का नाम भारत की सबसे सुंदर तितली के रूप में लिम्का बुक में
रिकॉर्ड दर्ज कराया।
यह तितली का जीवन यापन तिमूर के पेड़ पर करती है। और तिमूर के पेड़ पर ही यह तितली अपने अंडे देती है। उत्तराखंड में तितलियों पर शोध संस्थान , भीमताल में है ,
भीमताल शोध संस्थान के निदेशक के अनुसार common peacock का पुराना नाम पिपलिया पालिक्टर था। पिपलिया बीआनोर के नाम से यह तितली चीन जापान ,कोरिया तथा पूर्वी रूस में
पाई जाती थी।
उत्तराखंड में तितलियाँ –
उत्तराखंड अन्य हिमालयी राज्यों की तरह प्राकृतिक सुंदरता से सम्पन्न होने के कारण तितलियों की पहली पसंद है।यहाँ पूरे देश की 1300 तितलियों की प्रजाति में से
500 प्रजातियां पाई जाती हैं । इसीलिए उत्तराखंड को तितलियों का घर भी कहा जाता है। उत्तराखंड में श्रीदेव सुमन तितली पार्क टिहरी, लच्छीवाला तितली पार्क
देहरादून तथा भारत का पहला पोलीनेटर पार्क हल्द्वानी नैनीताल में खुला है। यह सभी पार्क तितलियों को समर्पित हैं। उत्तराखंड डीडीहाट में खोजी गई, गोल्डन
विंग तितली को भारत की सबसे बड़ी तितली होने का गौरव प्राप्त हुआ । गोल्डन विंग तितली का वैज्ञानिक नाम ट्रोइडेस अयकुस है। उत्तराखंड के भीमताल में तितलियों
पर एक शोध के लिए एक बटरफ्लाई शोध संस्थान भी स्थित है।