दस्तक की ख़बर का असर: टैबलेट बिल गड़बड़झाले में अगस्त्यमुनि महाविद्यालय ने अब जारी किए नए आदेश, जानिए पूरी डिटेल
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25/03/20227:45 pm
दीपक बेंजवाल/ अगस्त्यमुनि
टैबलेट खरीद मामले में राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय अगस्त्यमुनि प्रशासन ने नया आदेश जारी किया है। इस आदेश में टैबलेट क्रय सबंधी निर्देशो में आंशिक संशोधन करते हुए टेबलेट क्रय बिलों की समयावधि 10 अप्रैल तक बढ़ा दी गई है। टैबलेट बिल सत्यापन की पूर्व तिथियों को भी शीघ्र संशोधित किया जाएगा।
दरअसल टैबलेट खरीद बिल में सुनाई दे रहे चर्चित गड़बड़झाले को दस्तक पहाड़ न्यूज द्वारा उठाने से हड़कंप मचा है।
जानकारी देते हुए अगस्त्यमुनि महाविद्यालय के टैबलेट क्रय समिति प्रभारी डा बी बी त्रिपाठी ने कहा कि शासन द्वारा प्राप्त निर्देशों के क्रम में प्राचार्य प्रो पुष्पा नेगी ने जिलाधिकारी से परामर्श के उपरांत निर्णय लिया है कि सभी छात्र-छात्राओ को 12000₹ की धनराशि डीबीटी के माध्यम से बैंक खातों में ट्रांसफर की जाएगी, जिससे कि छात्र 10 अप्रैल 2022 तक टैबलेट क्रय कर करेंगे तत्पश्चात बिलों के सत्यापन की प्रक्रिया शुरू होगी।
कही ख़ुशी कहीं गम
यह खबर छात्र-छात्राओं के लिए सकूनभरी है वहीं महाविद्यालय प्रशासन ने भी राहत की सांस ली है। हालांकि 10 अप्रैल के बाद फिर से वही सवाल खड़ा होगा की बिल फर्जी है या असली। क्योंकि महाविद्यालय प्रशासन ने बिलों के सत्यापन के लिए कमेटी गठित की है, इसलिए बिलों की जांच और ईएमआई नंबर की ट्रैकिंग कैसे होगी अहम सवाल है।
दरअसल फेक जीएसटी बिलों के जरिए सरकार पर लग रही चपत को दस्तक पहाड़ न्यूज ने प्रमुखता से उठाया था। इससे बौखलाए कई फेक बिल देने वाले आक्रोशित है। अगस्त्यमुनि जैसे छोटे नगर में 2200 टैबलेटों का स्टाक किसी के पास नहीं है, ऐसे में इतनी बड़ी संख्या में बिलों में अंकित ईएमआई नंबर किस आधार पर दिए गए समझ से परे है। वहीं बिना खरीद और बिना लेन-देन के काटे गए बिल भी संदिग्ध है।
जानिए पूरी खबर जिसके बाद हुई ये कार्यवाही- http://dastakpahadki.co.in/26271/
पैसे वापस करने की मांग कर रहे छात्र-छात्रायें
सार्टकट तरीके से टैबलेट बिल की कीमत के एवज़ में कालेज से 12000₹ मिलने को लेकर देखादेखी में कई छात्र छात्राओं ने ऐसे दुकानों से सम्पर्क किया, जो 5₹ के प्रिंट पर 500₹ से 2500₹ कमा कर सरकार को टैक्स की चपत लगाने के साथ साथ फर्जी बिल को असली बता रहे थे। दस्तक द्वारा पूरा मामला उजागर करने और महाविद्यालय द्वारा कार्यवाही करने के बाद अब छात्र छात्रायें अपने आप को ठगा सा महसूस कर रहे है, और दुकानों से अपने पैसे लौटाने की बात कर रहे हैं।
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दस्तक की ख़बर का असर: टैबलेट बिल गड़बड़झाले में अगस्त्यमुनि महाविद्यालय ने अब जारी किए नए आदेश, जानिए पूरी डिटेल
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दीपक बेंजवाल/ अगस्त्यमुनि
टैबलेट खरीद मामले में राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय अगस्त्यमुनि प्रशासन ने नया आदेश जारी किया है। इस आदेश में टैबलेट क्रय सबंधी निर्देशो में आंशिक
संशोधन करते हुए टेबलेट क्रय बिलों की समयावधि 10 अप्रैल तक बढ़ा दी गई है। टैबलेट बिल सत्यापन की पूर्व तिथियों को भी शीघ्र संशोधित किया जाएगा।
दरअसल टैबलेट खरीद बिल में सुनाई दे रहे चर्चित गड़बड़झाले को दस्तक पहाड़ न्यूज द्वारा उठाने से हड़कंप मचा है।
जानकारी देते हुए अगस्त्यमुनि महाविद्यालय के टैबलेट क्रय समिति प्रभारी डा बी बी त्रिपाठी ने कहा कि शासन द्वारा प्राप्त निर्देशों के क्रम में प्राचार्य
प्रो पुष्पा नेगी ने जिलाधिकारी से परामर्श के उपरांत निर्णय लिया है कि सभी छात्र-छात्राओ को 12000₹ की धनराशि डीबीटी के माध्यम से बैंक खातों में ट्रांसफर की
जाएगी, जिससे कि छात्र 10 अप्रैल 2022 तक टैबलेट क्रय कर करेंगे तत्पश्चात बिलों के सत्यापन की प्रक्रिया शुरू होगी।
कही ख़ुशी कहीं गम
यह खबर छात्र-छात्राओं के लिए सकूनभरी है वहीं महाविद्यालय प्रशासन ने भी राहत की सांस ली है। हालांकि 10 अप्रैल के बाद फिर से वही सवाल खड़ा होगा की बिल फर्जी
है या असली। क्योंकि महाविद्यालय प्रशासन ने बिलों के सत्यापन के लिए कमेटी गठित की है, इसलिए बिलों की जांच और ईएमआई नंबर की ट्रैकिंग कैसे होगी अहम सवाल है।
दरअसल फेक जीएसटी बिलों के जरिए सरकार पर लग रही चपत को दस्तक पहाड़ न्यूज ने प्रमुखता से उठाया था। इससे बौखलाए कई फेक बिल देने वाले आक्रोशित है।
अगस्त्यमुनि जैसे छोटे नगर में 2200 टैबलेटों का स्टाक किसी के पास नहीं है, ऐसे में इतनी बड़ी संख्या में बिलों में अंकित ईएमआई नंबर किस आधार पर दिए गए समझ से
परे है। वहीं बिना खरीद और बिना लेन-देन के काटे गए बिल भी संदिग्ध है।
जानिए पूरी खबर जिसके बाद हुई ये कार्यवाही- http://dastakpahadki.co.in/26271/
पैसे वापस करने की मांग कर रहे छात्र-छात्रायें
सार्टकट तरीके से टैबलेट बिल की कीमत के एवज़ में कालेज से 12000₹ मिलने को लेकर देखादेखी में कई छात्र छात्राओं ने ऐसे दुकानों से सम्पर्क किया, जो 5₹ के प्रिंट
पर 500₹ से 2500₹ कमा कर सरकार को टैक्स की चपत लगाने के साथ साथ फर्जी बिल को असली बता रहे थे। दस्तक द्वारा पूरा मामला उजागर करने और महाविद्यालय द्वारा
कार्यवाही करने के बाद अब छात्र छात्रायें अपने आप को ठगा सा महसूस कर रहे है, और दुकानों से अपने पैसे लौटाने की बात कर रहे हैं।