डाक्टर की लापरवाही से तड़प-तड़प कर गाय ने तोड़ा दम, काश्तकार ने कि शख्त कार्यवाही की मांग
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27/03/202210:27 am
कालिका काण्डपाल। अगस्त्यमुनि
स्वरोजगार, खेतीबाड़ी एवं पशुपालन को बढावा देने के लिए सरकार की तमाम कोशिशों को अगस्त्यमुनि पशु अस्पताल में तैनात डाक्टर नाकाम करने में तूले है, जिनकी लापरवाही के कारण कई पशुओं की जान चली गयी, तो कई पशुपालकों को बढ़ा आर्थिक नुकसान भी हो रहा है। डाक्टर शाहब पर पशुओं का इलाज न करने के कई आरोप तो लग ही रहे हैं, साथ ही टेग लगाने, बीमा करने, बैंक लोन हेतु रिपोर्ट सहित पोस्टमार्टम बनाने के लिए काश्तकारों से मोटा पैसा वसुलने की शिकायतें मिलती रहती हैं।
ताजा मामला अगस्त्यमुनि नाकोट निवासी प्रगतिशील किसान प्रमेंद्र सिंह गुसाईं का है, जिनकी गाय चिकित्सकीय सुविधा ना मिलने से तड़प तड़प कर मर गयी।
जानकारी देते हुए प्रमेंद्र सिंह गुसाईं ने कहा कि अगस्त्यमुनि अस्पताल में तैनात डा० दीपमणी गुप्ता केवल फर्जी मेडिकल बना कर बेईमानी से पैसे ठग रहा है, इसके पास गाय भैंस आदि के इलाज का समय नही है। किसी की गाय भेस मर जाय तो इस पर कोई फर्क नहीं पड़ता। इसको मैने 2 मार्च को अस्पताल में जाकर गाय के बीमार होने के बारे में बता दिया था, लेकिन ये केवल दो बार गाय को देखने आये, मैं जब भी इन्हें फोन करता तो ये हर वक़्त बाहर होने का बहाना बनाते रहते हैं लेकिन जब मैं दौड़ कर अस्पताल आया तो ये अपने कमरे में ही आराम फरमा रहे थे। कई कोशिशों के बाद भी जब डा० नहीं आये तो तड़पते तड़पते आज मेरी गाय मर गयी है। फिर भी डाक्टर गाय का पोस्टमार्टम करने के लिए ना आने के लिए अपना मोबाइल बन्द कर छुपे हुए हैं, ना अस्पताल में मिल रहे है ना कमरे पर।अगस्त्यमुनि अस्पताल मेरे घर से केवल सौ मीटर की दूरी पर है, जब डाक्टर यहां पर नही आये तो दूर गाँवों में इनसे क्या अपेक्षा की जा सकती है। मेरी गाय केवल इस अस्पताल के डाक्टर की लापरवाही की शिकार हुई, इसको सजा मिलनी जरूरी है।
दरअसल डाक्टर गुप्ता को लेकर पहले भी बहुत बार शिकायतें करने के बाद भी विभाग द्वारा कोई कार्यवाही न होने से इनके हौसले बुलंद हैं, नाम न छापने की शर्त पर कई काश्तकारों द्वारा इनपर बीमा, बैंक लोन, पोस्टमार्टम आदि के लिए 2000 हजार से लेकर 10000 तक का कमीशन लेने की बात बतायी गयी, और कमीशन न देने पर डाक्टर गुप्ता द्वारा प्रमेंद्र गुसाईं के साथ हुए व्यवहार को ही दोहराया जाता है, और मजबूरी में काश्तकारों को इन डाक्टर शाहब को मोटी रकम देनी पड़ती है। इनके इस व्यवहार से क्षेत्रीय जनता परेशान है।
क्या बोले डाक्टर-
शनिवार को फोन पर वार्ता में डाक्टर गुप्ता ने कहा कि प्रमेंद्र गुसाईं की गाय को कोल्ड और बुखार हो गया था, जिसका इलाज हमारे द्वारा चल रहा था, पिछले कुछ दिनों से काश्तकार द्वारा कोई जानकारी नहीं दी गयी है, ब्लकि पशुपालन द्वारा अस्पताल में आकर मेरे साथ गाली गलौज की गयी है।
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कालिका काण्डपाल। अगस्त्यमुनि
स्वरोजगार, खेतीबाड़ी एवं पशुपालन को बढावा देने के लिए सरकार की तमाम कोशिशों को अगस्त्यमुनि पशु अस्पताल में तैनात डाक्टर नाकाम करने में तूले है, जिनकी
लापरवाही के कारण कई पशुओं की जान चली गयी, तो कई पशुपालकों को बढ़ा आर्थिक नुकसान भी हो रहा है। डाक्टर शाहब पर पशुओं का इलाज न करने के कई आरोप तो लग ही रहे हैं,
साथ ही टेग लगाने, बीमा करने, बैंक लोन हेतु रिपोर्ट सहित पोस्टमार्टम बनाने के लिए काश्तकारों से मोटा पैसा वसुलने की शिकायतें मिलती रहती हैं।
ताजा मामला अगस्त्यमुनि नाकोट निवासी प्रगतिशील किसान प्रमेंद्र सिंह गुसाईं का है, जिनकी गाय चिकित्सकीय सुविधा ना मिलने से तड़प तड़प कर मर गयी।
जानकारी देते हुए प्रमेंद्र सिंह गुसाईं ने कहा कि अगस्त्यमुनि अस्पताल में तैनात डा० दीपमणी गुप्ता केवल फर्जी मेडिकल बना कर बेईमानी से पैसे ठग रहा है,
इसके पास गाय भैंस आदि के इलाज का समय नही है। किसी की गाय भेस मर जाय तो इस पर कोई फर्क नहीं पड़ता। इसको मैने 2 मार्च को अस्पताल में जाकर गाय के बीमार होने के
बारे में बता दिया था, लेकिन ये केवल दो बार गाय को देखने आये, मैं जब भी इन्हें फोन करता तो ये हर वक़्त बाहर होने का बहाना बनाते रहते हैं लेकिन जब मैं दौड़ कर
अस्पताल आया तो ये अपने कमरे में ही आराम फरमा रहे थे। कई कोशिशों के बाद भी जब डा० नहीं आये तो तड़पते तड़पते आज मेरी गाय मर गयी है। फिर भी डाक्टर गाय का
पोस्टमार्टम करने के लिए ना आने के लिए अपना मोबाइल बन्द कर छुपे हुए हैं, ना अस्पताल में मिल रहे है ना कमरे पर।अगस्त्यमुनि अस्पताल मेरे घर से केवल सौ मीटर
की दूरी पर है, जब डाक्टर यहां पर नही आये तो दूर गाँवों में इनसे क्या अपेक्षा की जा सकती है। मेरी गाय केवल इस अस्पताल के डाक्टर की लापरवाही की शिकार हुई,
इसको सजा मिलनी जरूरी है।
दरअसल डाक्टर गुप्ता को लेकर पहले भी बहुत बार शिकायतें करने के बाद भी विभाग द्वारा कोई कार्यवाही न होने से इनके हौसले बुलंद हैं, नाम न छापने की शर्त पर कई
काश्तकारों द्वारा इनपर बीमा, बैंक लोन, पोस्टमार्टम आदि के लिए 2000 हजार से लेकर 10000 तक का कमीशन लेने की बात बतायी गयी, और कमीशन न देने पर डाक्टर गुप्ता द्वारा
प्रमेंद्र गुसाईं के साथ हुए व्यवहार को ही दोहराया जाता है, और मजबूरी में काश्तकारों को इन डाक्टर शाहब को मोटी रकम देनी पड़ती है। इनके इस व्यवहार से
क्षेत्रीय जनता परेशान है।
क्या बोले डाक्टर-
शनिवार को फोन पर वार्ता में डाक्टर गुप्ता ने कहा कि प्रमेंद्र गुसाईं की गाय को कोल्ड और बुखार हो गया था, जिसका इलाज हमारे द्वारा चल रहा था, पिछले कुछ दिनों
से काश्तकार द्वारा कोई जानकारी नहीं दी गयी है, ब्लकि पशुपालन द्वारा अस्पताल में आकर मेरे साथ गाली गलौज की गयी है।