जिनके लिए योजना उन्हें फिक्र नहीं, फायदा उठे रहे है अधिकारी, जानिए युवा कल्याण विभाग क्या खिला रहा है गुल
1 min read30/03/2022 8:10 pm
कालिका काण्डपाल / दीपक बेंजवाल
अगस्त्यमुनि में खेल प्रतिभाओं को निखारने के लिए सरकार द्वारा युवा कल्याण विभाग के माध्यम से 20 दिन का आवासीय कैम्प सवालों के घेरे में आ गया है। इस कैम्प में रूद्रप्रयाग जिले के तकरीबन 32 अण्डर 14 प्रतिभावान बच्चों को खेल की ट्रेनिंग दी जानी है। जिसके लिए बकायदा जिले के तीनों ब्लाकों से खेलों में रुचि रखने वाले युवा प्रतिभाओं का चयन भी हुआ है, जिन्हें इन 20 दिनों तक युवा कल्याण भवन में रहकर आवासीय ट्रेनिंग पूरी करनी थी। इस ट्रेनिंग के लिए ट्रेनर से लेकर भोजन और रहने तक की पूरी व्यवस्था की गई। लेकिन विडंबना देखिए न तो खेल प्रतिभाएं इसमें रूचि दिखा रही है और न इस व्यवस्था का जिम्मेदार विभाग।
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महज खानापूर्ति बन गई इस आवासीय ट्रेनिंग में गड़बड़झाला भी सामने आ रहा है, क्योंकि जिन 32 बच्चों को इसमें चयन दिखाया जा रहा है उनमें से महज आधे ही ट्रेनिंग में पहुंच रहे है। बाकी बचे 20 बच्चों का न अता पता है, न ही उनके लिए आवंटित खाने पीने रहने के बजट का। बता दे कि एक बच्चे के लिए एक दिन के खाने के लिए 150 रूपये आवंटित किए गए है, जबकि रहने और ट्रेनिंग के लिए भी अलग बजट है। सिर्फ खाने का ही बजट देखे तो यहां 60,000 रूपये का चूना लगाया जा रहा है। कैम्प में भोजन व्यवस्था के लिए टेंडर डाले गए है लेकिन दस्तक ने वहां पीआरडी जवानों और बच्चों को खाना बनाते पाया। जब अधिकारियों से इस बाबत दस्तक ने पड़ताल की तो उन्होंने पूरे बच्चों का उपस्थित होना बताया और भोजन के लिए रूद्रप्रयाग के कैटर होने की बात कही। उनका कहना था कि कुछ बच्चे सिर्फ खाने और ट्रेनिंग के दौरान यहां रूकते है, सोने के लिए वो अपने घर जाते है। कुछ बच्चों के टयूशन है जिससे वो पूरा समय नहीं दे पा रहे है।
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दरअसल सवाल यहीं से शुरू होते है। जिन 32 बच्चों को ट्रेनिंग की बात कही जा रही है दस्तक को उनमें से महज आधे ही उपस्थित मिले। खाना पीआरडी और बच्चों द्वारा बनाया जाना टेंडरकर्ता कैटर पर सवाल उठाता है। वही अधिकारी का बच्चों की अनुपस्थिति को लेकर बताया कारण भी गले नहीं उतरता, क्योंकि आजकल स्कूलों में गृह परीक्षायें हो चुकी है, बच्चों के टयूशन नई कक्षा में प्रवेश तक अभी थमे है, ऐसे में अनुपस्थिति के बताए कारण भी संदेहस्पद है। यह माना जा सकता है कि बदलते परिवेश में कुछ माता-पिता अपने बच्चों को ऐसे कैम्पों में नहीं भेजना चाहते, फिर उनके इच्छुक न होने पर नये बच्चों के चयन को प्राथमिकता क्यों नहीं मिलती? आवासीय कैम्प बेहतर ट्रेनिंग के साथ उन्हें खेल प्रतिभाग की महत्वपूर्ण जानकारियां और माहौल उत्पन्न कराता है, ऐसे में महज खानापूर्ति बने इस कैम्पों में सरकारी रूपये की बरबादी क्यों?
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