दस्तक पहाड़ न्यूज ब्यूरो।।- पहाड़ की अगर आवाज होती तो कैसी होती? नरेंद्र सिंह नेगी जैसी। सीधी बात इससे बेहतर उपमा क्या दी जा सकती है, क्या नहीं गाया इस कंठ ने? विरह, वेदना, प्रेम ,उल्लास,

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ममता कौन सा भाव ऐसा है जो इस आवाज से गुंजायमान नहीं हुआ? कौन सा पर्व ऐसा है जिसमें आपके गीत गूंजते नहीं सुनाई देते? जिंदगी का कौन सा ऐसा संस्कार है जो आपके गीतों ने पूरा नहीं किया है? लोककथाओं से लेकर आधुनिक समाज की चिंताओं तक, हमारी वैभवशाली संस्कृति के गीत से लेकर आधुनिक समाज में व्याप्त कुरीतियों पर चोट करने तक आपका कृतित्व अनुपम रहा है। गायक या लोकगायक हो जाना शायद हर दौर में होता रहेगा। लेकिन नरेंद्र सिंह नेगी जी एकमेव हैं खुदरंग हैं, सबसे खूबसूरत कि आप एक सहज इंसान हैं। सफलता को किस तरह काबू कर खुद को सहज रखा जा सकता है यह आपसे सीखने को मिलता है। नेगी जी पहाड़ वासियों के लिए आदरणीय है ही वरन देश दुनिया के लाखों करोड़ों लोगों के लिए एक आदर्श भी, यही कारण है कि उत्तराखंड से इतर देश दुनिया में उनके कई मुरीद हैं। यही कारण है कि उन्हें हर जगह से प्यार और सम्मान न मिलता रहता है। इस कड़ी में पहाड़ के इस मधुर कंठ को आठ अप्रैल को संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया जा रहा है। नई दिल्ली में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद उन्हें यह प्रतिष्ठित सम्मान देंगे। नरेन्द्र सिंह नेगी को वर्ष 2018 के लिए यह पुरस्कार दिया जा रहा है। उनके साथ कला व साहित्य क्षेत्र की 44 अन्य हस्तियों को भी यह पुरस्कार दिया जाएगा। इस सम्मान को प्राप्त करने के बाद 13 अप्रैल का नई दिल्ली में ही नेगीदा की एक प्रस्तुति भी होनी है। पारंपरिक लोक संगीत के क्षेत्र में दस कलाकारों का चयन किया गया है, जिनमें नरेंद्र सिंह नेगी भी शामिल हैं। इस सम्मान के तहत उन्हें एक लाख की राशि, अंगवस्त्र और ताम्रपत्र भी दिया जाएगा।