नीलकंठ भट्ट / देहरादून।। भले ही प्रदेश सरकार कोरोना के बाद यात्रा को लेकर उत्साहित है, जहां चमोली, उत्तरकाशी का प्रशासन इसे लेकर संजीदगी दिखा रहा है वही सबसे अहम केदारनाथ यात्रा को लेकर जिला प्रशासन बेहद लापरवाह नजर आ रहा है। इसे लेकर यात्रा के अहम किरदार व्यापारी, घोड़ा, डंडी, कंडी वाले, यात्रा मार्ग पर छोटी छोटी दुकान चलाने वाले सीजनल व्यापारी असमंजस में हैं। दरअसल इस वक्त जिले को चलाने वाले प्रशासन और पुलिस महकमे के सर्वोच्च हाकिमो को यात्रा से सम्बंधित पुराना अनुभव नहीं है,

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उलट युवा जोश में वे पहले से चली आ रही व्यवस्था को भी मानने के लिए तैयार नहीं हैं। ये सही है कि वक़्त के साथ परिवर्तन अपरिहार्य है, पर व्यवस्था को एकदम से उलट देने से कभी कभी गम्भीर नतीजे आ सकते हैं। वैसे भी करीब दो साल से ठप पड़ी व्यवस्था को पटरी पर लाना ही चुनोतिपूर्ण है। ऐसे में ऐन यात्रा के वक़्त नए नए प्रयोग विवादों को जन्म दे सकते हैं। यात्रा के समय ये विवाद आंदोलन को जन्म देकर प्रदेश सरकार को भी मुश्किल में डाल सकते हैं। प्रशासन द्वारा उपलब्ध 50 दुकानों और कुछ टेंट से इतर यात्रा मार्ग पर 6 माह सीजनल व्यवसाय करने वालों के सम्बंध में अभी तक कोई निर्णय नहीं हो सका है। पहले स्थानीय वन पंचायते इनकी रसीद काटकर अनुमति देती थी। फिलवक्त सूचना मिल रही है कि प्रशासन और वन महकमा साफ तौर पर वन पंचायतो के अस्तित्व को ही नकार रहा। साथ ही उसका कहना है कि टेंडर में निकली दुकानों और टेंट के सिवा अन्य कोई भी व्यवसाय नहीं चलने दिया जाएगा। ऐसे में सवाल ये उठ रहे हैं कि क्या महज सौ से नीचे ये दुकान और टेंट यात्रियों की जरूरत पूरी कर लेंगे। क्या प्रशासन ने यात्रियों की भीड़ उमड़ने पर व्यवस्थाओं का होमवर्क किया है। क्या इस बार भी हर दिन सीमित संख्या में गौरीकुंड से केदारनाथ यात्रियों को भेजे जाने के प्लान पर विचार हो रहा है।वहीं दूसरी तरफ ट्रैफिक और व्यवस्था को लेकर भी हालत ठीक नहीं बताई जा रही है। पार्किंग, जाम ओर स्लइड जॉन को लेकर तैयारिया अपर्याप्त दिख रही हैं। रुद्रप्रयाग से ही अभी जबकि सीजन शुरू नहीं हुआ है हर रोज जाम पसीने छुड़ा रहा है। जबकि रुद्रप्रयाग से लगे जनपद चमोली में पुलिस दो महीने पहले ही मुस्तेदी से व्यवस्था चाक चौबंद करने में लगी है। जिले के दोनो हाकिम हफ्ते में 3 दिन यात्रा रुट को नापने और कमी दूर करने के प्रयासों में पसीने बहा रहे हैं। जबकि रुद्रप्रयाग प्रशासन ने यात्रा से जुड़े लोगों से शायद ही एक बैठक भी की हो। भले ही विभिन्न महकमों की बैठक हर दिन हुई हो। जब तक यात्रा मार्ग से जुड़े स्थानीय लोगों से प्रशासन का सीधा संवाद न हो तब तक रोडमेप को अमलीजामा पहनाना मुश्किल है।ऐसे में रुद्रप्रयाग जिला मुख्यालय के एसी रूम में बैठकर केदार यात्रा से सम्बंधित फैसले लेकर यात्रा के निर्विघ्न सम्पन्न होने की बाबा केदार से प्रार्थना ही कि जा सकती है।