अब पढ़िए गढ़वाली भाषा में काॅमिक्स, ‘चखुल’ संस्था की सराहनीय पहल
1 min read28/04/2022 9:24 am
बीना बेंजवाल / देहरादून /दस्तक पहाड़ न्यूज ब्यूरो – उत्तराखंड की संस्कृति के प्रति जागरूक करने तथा उत्तराखंड के विषय में परस्पर विचारों को साझा करने के उद्देश्य से आर्किटेक्ट अंकित भण्डारी द्वारा वर्ष 2021 में गठित ‘चखुल’ संस्था ने सांस्कृतिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए देवभूमि काॅमिक्स शृंखला की शुरुआत की है। ‘काफल पाको… मैं नि चाख्यो’ इसी कड़ी की पहली गढ़वाली काॅमिक बुक है जिसमें अनुवाद का महत्वपूर्ण कार्य गौरव जोशी, सुमन रणेधी, मयंक भट्ट और निकिता नेगी ने किया है। गरिमा उप्रेती द्वारा किए गए सुंदर चित्रांकन ने काॅमिक बुक को और भी आकर्षक बना दिया है। उत्तराखंड के प्रसिद्ध फल काफल पर केंद्रित लोककथा पहले गढ़वाली में और फिर हिंदी में उसका अनुवाद दिया गया है। देहरादून में बल्लूपुर चौक स्थित पहाड़ी स्टोर पर भी उपलब्ध इस बुक के विषय में रमन शैली का कहना है कि अभिभावक इसमें रुचि दिखाते हुए अपने बच्चों के लिए इसे खूब खरीद रहे हैं। यह काॅमिक्स अमेजाॅन पर भी उपलब्ध है।
आजकल दिल्ली में रह रहे अंकित भण्डारी से इस काॅमिक बुक के विषय में बात करने पर उन्होंने बताया कि वे दिल्ली में उत्तराखंड की लोककथाओं पर बच्चों से थियेटर तथा इन कथाओं का वाचन भी करवा रहे हैं जिसमें बच्चे बढ़-चढ़कर भाग ले रहे हैं। ‘चखुल’संस्था कोठारी पर्वतीय विकास समिति उत्तराखंड के साथ मिलकर ग्रामीण क्षेत्र में स्वरोजगार को सुदृढ़ करने हेतु भी प्रयत्नशील है। गढ़वाली भाषा के संरक्षण एवं संवर्धन और उत्तराखंड की लोककथाओं को विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से नई पीढ़ी तक पहुँचाने की सराहनीय पहल हेतु ‘चखुल’ संस्था की पूरी टीम को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ!!
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जो करता है एक लोकतंत्र का निर्माण।
यह है वह वस्तु जो लोकतंत्र को जीवन देती नवीन
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