अक्षय तृतीया आज, पूजा और खरीदारी के लिए रहेगा इतने घंटे का शुभ मुहूर्त
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03/05/20227:00 am
दस्तक पहाड़ न्यूज ब्यूरो :- शास्त्रों में अक्षय तृतीया को स्वयंसिद्ध मुहूर्त माना गया है। अक्षय तृतीया के दिन मांगलिक कार्य जैसे-विवाह, गृहप्रवेश, व्यापार अथवा उद्योग का आरंभ करना अति शुभ फलदायक होता है। सही मायने में अक्षय तृतीया अपने नाम के अनुरूप शुभ फल प्रदान करती है। अक्षय तृतीया पर सूर्य व चंद्रमा अपनी उच्च राशि में रहते हैं। इस दिन भगवान विष्णु के चरणों से धरती पर गंगा अवतरित हुई। सतयुग, द्वापर व त्रेतायुग के प्रारंभ की गणना इस दिन से होती है।हर साल वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को अक्षय तृतीया कहा जाता है। इस दिन माता लक्ष्मी की पूजा करने से सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। शास्त्रों की मानें तो , इस दिन ही भगवान परशुराम का जन्म भी हुआ था। ऐसे में आइए जानते हैं अक्षय तृतीया का शुभ मुहूर्त और पूजन विधि –
अक्षय तृतीया मंगलवार, मई 3, 2022 को सुबह 05 बजकर 59 मिनट से दोपहर 12 बजकर 26 मिनट तक रहेगा।जो व्यक्ति इस दिन व्रत रखता है उसे प्रात:काल उठकर स्नान करने के बाद पीले रंग के वस्त्र पहनने चाहिए। घर में विष्णु जी की मूर्ति को गंगाजल से स्नान कराएं और तुलसी, पीले फूलों की माला या सिर्फ पीले फूल चढ़ाएं। इसके बाद धूप और घी की बाती का दीपक जलाएं और पीले आसन पर बैठें। इसके अलावा विष्णु से संबंधित ग्रंथों जैसे विष्णु सहस्रनाम, विष्णु चालीसा का पाठ करें। अंत में, विष्णु जी की आरती करें। इसके साथ ही यदि उपासक किसी जरूरतमंद व्यक्ति को दान कर सकता है या भोजन करा सकता है, तो यह काफी अच्छा माना जाता है।
अक्षय तृतीया कथा –पौराणिक कथाओं के अनुसार युधिष्ठिर को अक्षय तृतीया का महत्व बताते हुए भगवान श्रीकृष्ण ने कहा कि यह परम पुण्यमयी तिथि है।. इस दिन स्नान, दान, तप होम और तर्पण करने से व्यक्ति अक्षय पुण्यफल का भागी होता है। इस दिन प्राप्त आशीर्वाद बेहद तीव्र फलदायक माने जाते हैं। भविष्य पुराण के अनुसार इस तिथि की गणना युगादि तिथियों में होती है। सतयुग, त्रेता और कलयुग का आरंभ इसी तिथि को हुआ और इसी तिथि को द्वापर युग समाप्त हुआ था। धन और भौतिक वस्तुओं की प्राप्ति तथा भौतिक उन्नति के लिए इस दिन का विशेष महत्व है। धन प्राप्ति के मंत्र, अनुष्ठान व उपासना बेहद प्रभावी होते हैं। स्वर्ण, रजत, आभूषण, वस्त्र, वाहन और संपत्ति के क्रय के लिए मान्यताओं ने इस दिन को विशेष बताया और बनाया है। बिना पंचांग देखे इस दिन को श्रेष्ठ मुहुर्तों में शुमार किया जाता है।
अक्षय तृतीया आज, पूजा और खरीदारी के लिए रहेगा इतने घंटे का शुभ मुहूर्त
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दस्तक पहाड़ न्यूज ब्यूरो :- शास्त्रों में अक्षय तृतीया को स्वयंसिद्ध मुहूर्त माना गया है। अक्षय तृतीया के दिन मांगलिक कार्य जैसे-विवाह, गृहप्रवेश,
व्यापार अथवा उद्योग का आरंभ करना अति शुभ फलदायक होता है। सही मायने में अक्षय तृतीया अपने नाम के अनुरूप शुभ फल प्रदान करती है। अक्षय तृतीया पर सूर्य व
चंद्रमा अपनी उच्च राशि में रहते हैं। इस दिन भगवान विष्णु के चरणों से धरती पर गंगा अवतरित हुई। सतयुग, द्वापर व त्रेतायुग के प्रारंभ की गणना इस दिन से होती
है।हर साल वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को अक्षय तृतीया कहा जाता है। इस दिन माता लक्ष्मी की पूजा करने से सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
शास्त्रों की मानें तो , इस दिन ही भगवान परशुराम का जन्म भी हुआ था। ऐसे में आइए जानते हैं अक्षय तृतीया का शुभ मुहूर्त और पूजन विधि -
अक्षय तृतीया मंगलवार, मई 3, 2022 को सुबह 05 बजकर 59 मिनट से दोपहर 12 बजकर 26 मिनट तक रहेगा।जो व्यक्ति इस दिन व्रत रखता है उसे प्रात:काल उठकर स्नान करने के बाद पीले
रंग के वस्त्र पहनने चाहिए। घर में विष्णु जी की मूर्ति को गंगाजल से स्नान कराएं और तुलसी, पीले फूलों की माला या सिर्फ पीले फूल चढ़ाएं। इसके बाद धूप और घी की
बाती का दीपक जलाएं और पीले आसन पर बैठें। इसके अलावा विष्णु से संबंधित ग्रंथों जैसे विष्णु सहस्रनाम, विष्णु चालीसा का पाठ करें। अंत में, विष्णु जी की आरती
करें। इसके साथ ही यदि उपासक किसी जरूरतमंद व्यक्ति को दान कर सकता है या भोजन करा सकता है, तो यह काफी अच्छा माना जाता है।
अक्षय तृतीया कथा -पौराणिक कथाओं के अनुसार युधिष्ठिर को अक्षय तृतीया का महत्व बताते हुए भगवान श्रीकृष्ण ने कहा कि यह परम पुण्यमयी तिथि है।. इस दिन स्नान,
दान, तप होम और तर्पण करने से व्यक्ति अक्षय पुण्यफल का भागी होता है। इस दिन प्राप्त आशीर्वाद बेहद तीव्र फलदायक माने जाते हैं। भविष्य पुराण के अनुसार इस
तिथि की गणना युगादि तिथियों में होती है। सतयुग, त्रेता और कलयुग का आरंभ इसी तिथि को हुआ और इसी तिथि को द्वापर युग समाप्त हुआ था। धन और भौतिक वस्तुओं की
प्राप्ति तथा भौतिक उन्नति के लिए इस दिन का विशेष महत्व है। धन प्राप्ति के मंत्र, अनुष्ठान व उपासना बेहद प्रभावी होते हैं। स्वर्ण, रजत, आभूषण, वस्त्र, वाहन
और संपत्ति के क्रय के लिए मान्यताओं ने इस दिन को विशेष बताया और बनाया है। बिना पंचांग देखे इस दिन को श्रेष्ठ मुहुर्तों में शुमार किया जाता है।
सुप्रसिद्ध गंगोत्री धाम के कपाट तीन मई को अक्षय तृतीया पर्व पर पूर्वाह्न् 11.15 मिनट पर ग्रीष्मकाल के लिए खोले जाएंगे।