हरे है आपदा के ज़ख्म, केदारनाथ आपदा के 9 साल बाद पुल और रास्ता तक नहीं बना पाई सरकार
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11/05/20221:40 pm
दीपक बेंजवाल/ दस्तक पहाड़ न्यूज ब्यूरो – केदारनाथ पुनर्निर्माण सुर्खियों में छाया जरूर है लेकिन केदारनाथ आपदा के ज़ख्म अभी भी केदार घाटी के अनेक गांवों में जस के तस है, जिनके आंसू पोंछने वाले कोई नहीं है। महाआपदा ने जानमाल का नुक़सान तो किया ही कई गांवों का भूगोल भी बदल कर रख दिया। गांवों को जाने वाले पैदल रास्ते इस कदर बहे कि दुबारा बन ही नहीं सके। और वाहवाही लूटती सरकार ने भी इनकी कोई सुध नहीं ली।
रयांसू गांव
केदारनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर चन्द्रापुरी स्यालसौड़ में नदी पार की ग्राम सभा रयांसू में केदारनाथ आपदा ने खेत खलिहान, मंदिर और रास्तों को बुरी तरह नुकसान पहुंचाते हुए नामोनिशान तक मिटा दिए थे। ग्रामीणों ने कई बार जनप्रतिनिधियों, शासन प्रशासन से गुहार लगाई लेकिन 9 साल तक सिवाय आश्वासनों के कुछ नहीं मिला।
रयांसू गांव के युवा राजवीर सिंह का कहना है कि गांव के बड़े बुजुर्ग चन्द्रापुरी से जंगल के रास्ते आ रहे हैं, बियाबान जंगल में जंगली जानवरों का खतरा बना रहता है। लेकिन मजबूरी में ग्रामीण आवाजाही कर रहे हैं। अस्थाई रूप से ग्रामीण हर साल मंदाकिनी नदी पर कच्चा पुल बनाते हैं जो बरसात में बह जाता है। इसमें चलना भी जोखिम भरा होता है, उफनाती नदी पर बंधा पुल हिलता रहता है, लेकिन मजबूरी सफर करना रही है।
हमने विधायक जी से भी अपनी समस्या बताई थी लेकिन उन्होंने भी सिर्फ आश्वासन ही दिया। मंदाकिनी नदी के दूसरे छोर पर हमारा गांव है, नदी के दूसरे किनारे सड़क है लेकिन हम कई सालों से सड़क के लिए तरह रहे है। 32 परिवारों वाले इस गांव में अभी तक पलायन ना के बराबर है लेकिन यही हालात रहे तो लोग गांव छोड़ने पर मजबूर हो जायेंगे। अब नई सरकार और नए विधायक हैं तो हम एक बार फिर से उम्मीद कर सकते है।सरकार पहले तो सड़क बनाकर दे, पुल बनाए और इतना नहीं कर सकती तो रास्ता तो बना दे। आखिर कब तक हम जान हथेली पर रखकर आवाजाही करते रहेंगे।
ग्रामीण राजवीर सिंह समेत अन्य ग्रामीणों ने केदारनाथ विधायक शैलारानी रावत से रयांसू गांव के लिए मंदाकिनी नदी पर पक्के पुल और रास्ता निर्माण की मांग की है।
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हरे है आपदा के ज़ख्म, केदारनाथ आपदा के 9 साल बाद पुल और रास्ता तक नहीं बना पाई सरकार
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दीपक बेंजवाल/ दस्तक पहाड़ न्यूज ब्यूरो - केदारनाथ पुनर्निर्माण सुर्खियों में छाया जरूर है लेकिन केदारनाथ आपदा के ज़ख्म अभी भी केदार घाटी के अनेक गांवों
में जस के तस है, जिनके आंसू पोंछने वाले कोई नहीं है। महाआपदा ने जानमाल का नुक़सान तो किया ही कई गांवों का भूगोल भी बदल कर रख दिया। गांवों को जाने वाले पैदल
रास्ते इस कदर बहे कि दुबारा बन ही नहीं सके। और वाहवाही लूटती सरकार ने भी इनकी कोई सुध नहीं ली।
[caption id="attachment_27127" align="alignleft" width="1280"] रयांसू गांव[/caption]
केदारनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर चन्द्रापुरी स्यालसौड़ में नदी पार की ग्राम सभा रयांसू में केदारनाथ आपदा ने खेत खलिहान, मंदिर और रास्तों को बुरी तरह
नुकसान पहुंचाते हुए नामोनिशान तक मिटा दिए थे। ग्रामीणों ने कई बार जनप्रतिनिधियों, शासन प्रशासन से गुहार लगाई लेकिन 9 साल तक सिवाय आश्वासनों के कुछ नहीं
मिला।
रयांसू गांव के युवा राजवीर सिंह का कहना है कि गांव के बड़े बुजुर्ग चन्द्रापुरी से जंगल के रास्ते आ रहे हैं, बियाबान जंगल में जंगली जानवरों का खतरा बना
रहता है। लेकिन मजबूरी में ग्रामीण आवाजाही कर रहे हैं। अस्थाई रूप से ग्रामीण हर साल मंदाकिनी नदी पर कच्चा पुल बनाते हैं जो बरसात में बह जाता है। इसमें
चलना भी जोखिम भरा होता है, उफनाती नदी पर बंधा पुल हिलता रहता है, लेकिन मजबूरी सफर करना रही है।
[caption id="attachment_27128" align="alignleft" width="968"] रघुवीर सिंह[/caption]
हमने विधायक जी से भी अपनी समस्या बताई थी लेकिन उन्होंने भी सिर्फ आश्वासन ही दिया। मंदाकिनी नदी के दूसरे छोर पर हमारा गांव है, नदी के दूसरे किनारे सड़क है
लेकिन हम कई सालों से सड़क के लिए तरह रहे है। 32 परिवारों वाले इस गांव में अभी तक पलायन ना के बराबर है लेकिन यही हालात रहे तो लोग गांव छोड़ने पर मजबूर हो
जायेंगे। अब नई सरकार और नए विधायक हैं तो हम एक बार फिर से उम्मीद कर सकते है।सरकार पहले तो सड़क बनाकर दे, पुल बनाए और इतना नहीं कर सकती तो रास्ता तो बना दे।
आखिर कब तक हम जान हथेली पर रखकर आवाजाही करते रहेंगे।
ग्रामीण राजवीर सिंह समेत अन्य ग्रामीणों ने केदारनाथ विधायक शैलारानी रावत से रयांसू गांव के लिए मंदाकिनी नदी पर पक्के पुल और रास्ता निर्माण की मांग की
है।