दस्तक पहाड़ न्यूज पोर्टल ब्यूरो - दुनिया में बहुत सारा इलेक्ट्रॉनिक कचरा (E-Waste) पुनः उपयोग (Reuse) में लाया जा सकता है, जबकि उसे पूरी रह खारिज कर कचरे (Waste) में फेंक दिया जाता है जिससे ई-वेस्ट एक बड़ी समस्या बनता जा रहा है। उत्तराखंड में भी इलेक्ट्रॉनिक कचरे का निस्तारण बड़ी समस्या के रूप में उभर रहा है। इस समस्या के निदान के लिए स्पेक्स देहरादून एवं उत्तराखंड राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद (यूकोस्ट) द्वारा व्यापक रूप से जनजागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे है । इसके तहत राज्य में रुद्रप्रयाग जिले को पायलट प्रोजेक्ट के रूप में चुना गया है। जिसके तहत जखोली, अगस्त्यमुनि, ऊखीमठ ब्लाक के विभिन्न स्कूल, कालेजों व ग्राम पंचायतों में जनजागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे है। टीमलीडर सुनीता चौधरी के निर्देशन में दिलबर बिष्ट, रेनू डोभाल, नितिन, मनोज कुमार

Featured Image

द्वारा स्कूली बच्चों के साथ आमजन को जागरूक किया जा रहा है। टीम लीडर सुनीत चौधरी ने बताया कि कार्यक्रम से बढ़ते कूड़े के ढेर को कम करने में सहायता मिलेगी। इससे रोजगार का एक नया विकल्प भी शुरू होगा। दरअसल ''बदलने की जगह सुधार” के बहुत फायदे हैं लेकिन इसे बहुत व्यापक बनाने की जरूरत है। इसके लिए हम हर स्तर पर शिक्षा और जागरुकता उत्पन्न करने का प्रयास कर रहे हैं। आज जरूरत लोगों की सोच और नजरिए में बदलाव की सबसे ज्यादा है। क्यों फेंक दिए जाते हैं उपकरण दिक्कत यही है कि समय के साथ सर्किट बोर्ड के घटक बेकार हो जाते हैं। सॉफ्टेवेयर अपडेट के कारण ये हिस्से धीमे हो जाते हैं और काम करने लायक ना रहकर बेकार घोषित कर खारिज कर दिए जाते हैं। जबकि थोड़े से सुधार के साथ इन्हें फिर से उपयोग में लाया जा सकता है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि यह सच जानने के बाद भी बहुत सारे उपकरण पूरे के पूरे खारिज कर कचरे में क्यों फेंक दिए जाते हैं। बच सकता है ये कचरा हर स्थिति में यदि किसी इंजीनियर तक टेक्नीशियन को सह उपचार उपकरणों के से सुसज्जित कर प्रशिक्षण दिया जाए तो वह इन महंगे उपकरणों को सुधार कर बहुत से सारे घटकों को कचरा बनने से बचा सकता है। लेकिन खराब हिस्सों वाले उपकरणों को नए उपकरणों से ही बदल देना ई वेस्ट के समस्या को गहरा कर देता है।