हरीश गुसाईं/ अगस्त्यमुनि। दस्तक पहाड़ न्यूज पोर्टल ब्यूरो। विकास खण्ड जखोली के थाती बड़मा में सैनिक स्कूल के निर्माण को लेकर ग्रामीण फिर से आन्दोलन की राह में हैं। फिलहाल ग्रामीणों ने स्थानीय विधायक भरत चैधरी के आश्वासन पर आन्दोलन स्थगित तो कर दिया है परन्तु विधान सभा के बजट सत्र में सैनिक स्कूल निर्माण पर चर्चा एवं बजट आबंटन नहीं हुआ तो ग्रामीणों ने उग्र आन्दोलन करने की चेतावनी दी है। जिसमें राष्ट्रीय राजमार्ग जाम करने से लेकर विधायक एवं सांसद का विरोध एवं बहिष्कार आदि हैं।

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सैनिक स्कूल निर्माण संघर्ष समिति के बैनर तले रविवार को दिग्धार में एक बड़ी बैठक का आयोजन किया गया। सुफाल सिंह रौथाण की अध्यक्षता में सम्पन्न हुई बैठक में वक्ताओं ने कहा गया कि थाती बड़मा में सैनिक स्कूल निर्माण को लेकर अब तक की सरकारों ने ग्रामीणों को केवल बरगलाया है। झूठे आश्वासन देकर हर बार स्थानीय जनता को छला है। लेकिन अब ग्रामीण आर पार की लड़ाई लड़ने के लिए तैयार हैं। वक्ताओं ने सैनिक स्कूल निर्माण संघर्ष समिति का पंजीकरण करवाने एवं समिति का विस्तार कर क्षेत्र में जन जागरूकता अभियान चलाने पर सहमति बनी। थाती बड़मा में सैनिक स्कूल निर्माण किये जाने के सम्बन्ध में अधिक से अधिक लोगों को जोड़कर क्रमबद्ध आन्दोलन चलाने का निर्णय लिया गया। यदि उक्त सैनिक स्कूल का निर्माण जल्द नहीं किया जाता है तो उग्र आंदोलन किए जाने की बात कही गई। वहीं बैठक में उपस्थित रूद्रप्रयाग विधायक भरत सिंह चैधरी ने ग्रामीणों को आश्वस्त किया कि सैनिक स्कूल थाती बड़मा में ही बनेगा। उन्हांेने कहा कि विधान सभा के बजठ सत्र में वे इस मामले को पूरी गम्भीरता से उठायेंगे। और उन्हें पूर्ण विश्वास है कि वे इसके लिए बजट में सरकार से धनराशि आबंटित करा लेंगे। वहीं संघर्ष समिति ने स्पष्ट किया कि यदि स्थानीय विधायक द्वारा विधानसभा के बजट सत्र में उक्त मुद्दे को नहीं उठाया जाता है और बजट आवंटित नहीं होता है तो स्थानीय विधायक का हर स्तर पर विरोध किया जायेगा। संघर्ष समिति की अगली बैठक 3 जुलाई को सिद्धसौडत्र में बुलाई गई है। बैठक में संघर्ष समिति के उपाध्यक्ष उदयसिंह पंवार, सुदर्शन सिंह नेगी, कोषाध्यक्ष त्रिलोक सिंह रावत, महामंत्री विनोद मैठाणी, प्रवक्त जय ओम प्रकाश, संयोजक प्रदीप रावत, प्रधान थाती दिग्धार ज्योति देवी, सहित बड़ी संख्या में ग्रामीण मौजूद थे। क्या था मामला - दरअसल वर्ष 2012 में हुए विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने अपने कद्दावर नेता डाॅ हरक सिंह रावत को रूद्रप्रयाग विधान सभा क्षेत्र से उम्मीदवार बनाया था। डाॅ रावत ने जनता से वादा किया था कि उनके जीतने पर क्षेत्र में एक सैनिक स्कूल खोला जायेगा। विधान सभा चुनावों में जीत के बाद तथा सरकार में कृषि, चिकित्सा शिक्षा एवं सैनिक कल्याण विभाग में मंत्री बनने के बाद उन्होंने अपने जखोली भ्रमण के दौरान थाती बड़मा के दिग्धार में सैनिक स्कूल बनाये जाने की घोषणा की तथा केन्द्र से अनुमति मिलने की प्रत्याशा में इसके लिए मूलभूत सुविधायें विकसित करने के लिए 10 करोड़ रू0 भी अवमुक्त करा दिया। थाती बड़मा क्षेत्र की जनता ने इसका स्वागत करते हुए तत्काल एक हजार नाली भूमि निःशुल्क सैनिक स्कूल के लिए दान कर दी। तब सैनिक स्कूल के निर्माण एवं दायित्व को लेकर कांग्रेस सरकार में शिक्षा मंत्री मंत्री प्रसाद नैथानी एवं सैनिक कल्याण मंत्री डाॅ हरक सिंह रावत की आपसी खींचतान से यह प्रोजेक्ट अधर में लटक गया। केन्द्र में भाजपा सरकार बनते ही क्षेत्रीय सांसद मे0ज0 भुवनचन्द्र खण्डूड़ी ने भी इसके लिए कोशिश की और लगातार रक्षा मन्त्रालय से पत्राचार किया। और इसके लिए सहमति भी मिली। 2016 में डाॅ हरक सिंह रावत द्वारा कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल होने पर मुख्यमंत्री हरीश रावत ने इसके बजट पर विराम लगा दिया। 2017 में प्रदेश में भाजपा की प्रचण्ड बहुमत से सरकार बनने के बाद जखोली क्षेत्र की जनता को सैनिक स्कूल बनने की उम्मीद जगी। परन्तु 15 महीने बीतने के बाद भी इस पर कोई प्रगति नहीं हो पाई। वहीं बजट न मिलने से पूर्व में निर्माण कार्य करने वाली संस्था ने भी आधा अधूरा कार्य कर अपना सामान समेट दिया। विगत पांच वर्षों में प्रदेश की भाजपा सरकार भी सैनिक स्कूल निर्माण की बात तो करती रही परन्तु धरातल पर कोई कार्य नहीं हो पाया। अभी हाल ही में केन्द्रीय सरकार ने देहरादून के एक प्राइवेट स्कूल को सैनिक स्कूल की मान्यता दिए जाने से थाती बड़मा के ग्रामीणों की उम्मीदें विखर गई। ग्रामीण तब से भारी आक्रोश में हैं। हालांकि देहरादून वाले स्कूल पर अन्य आरोपों के चलते दी गई मान्यता रद्द होने से ग्रामीणों की उम्मीदें फिर से जाग गई हैं।