बसुकेदार में ‘ऐनम दीदी’ की सेवानिवृत्ति पर जानिए क्यों फफक फफक कर रोऐ ग्रामीण
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30/06/20227:13 pm
भानुप्रकाश भट्ट/ बसुकेदार –
दस्तक पहाड़ न्यूज पोर्टल ब्यूरो – 40 वर्ष की स्वस्थ सेवा देने के बाद हुई सेवानिवृत्त ऐनम दीदी। बतादे कि ऐनम दीदी नाम से जानि जाने वाली उषा नोटियाल आज स्वस्थ केंद बसुकेदार से सेवानिवृत्त हुई दरहसल क्षेत्र में इनके असली नाम से कोई वाकिब नही था क्योंकि इनके ब्यवहार कुशलता से इनके असली नाम को किसी ने जानना भी नही चाहा।
जब इन्होंने इसी केंद्र में अपनी प्रथम जवाईनिग की थी ओर 40 वर्ष की इसी क्षेत्र में सेवा भी दी तो इनका असली नाम बिलुप्त हो गया, हर कोई इन्हें ऐनम दीदी नाम से ही जानता रहा। आज भी इनकी विदाई मे गमगीन माहौल बना था। हर किसी मातृ शक्ति की आँखे उस प्रसव पीड़ा की कहानी बयां कर रही थी जिसमे इन्होने उन्हें अपनी बेटी, बहन बनकर सहयोग किया। इन्होंने क्षेत्र के बच्चो के टीकाकरण से लेकर प्रसव पीड़ा को अपना ही दर्द समझ कर सेवा दी ,आज भी इनके साथ काम करने वाली चाहे वो आशा कर्मी हो या आंगनवाड़ी कर्मी सब की आँखे नम थी। हर किसी का जाते जाते तक इनसे यही कहना था,कि जब भी हमे आपकी जरूरत होगी हमे अपनी बहन की तरह ही सहयोग करती रहना।
यही नही इनके पति भुवन चन्र्द नोटियाल भी इसी बिभाग से सेवानिवृत्त हुए है। जिनका कहना था कि मेरी ये तीसरी पीढ़ी थी जिसने इसी विभाग में सेवा दी और आज भी ऐनम दीदी ने अपने रूवासे गले से यही कहा कि जब तक मेरी आने जाने की सामर्थ्य रहेगी भी अवश्य अपनी बहनों को अपनी सेवा देती रहूंगी। मैं भले ही सेवानिवृत्त हो गई किन्तु मुझे हर बहन का वो प्रसव दर्द याद रहेगा।
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बसुकेदार में ‘ऐनम दीदी’ की सेवानिवृत्ति पर जानिए क्यों फफक फफक कर रोऐ ग्रामीण
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भानुप्रकाश भट्ट/ बसुकेदार –
दस्तक पहाड़ न्यूज पोर्टल ब्यूरो – 40 वर्ष की स्वस्थ सेवा देने के बाद हुई सेवानिवृत्त ऐनम दीदी। बतादे कि ऐनम दीदी नाम से जानि जाने वाली उषा नोटियाल आज
स्वस्थ केंद बसुकेदार से सेवानिवृत्त हुई दरहसल क्षेत्र में इनके असली नाम से कोई वाकिब नही था क्योंकि इनके ब्यवहार कुशलता से इनके असली नाम को किसी ने
जानना भी नही चाहा।
जब इन्होंने इसी केंद्र में अपनी प्रथम जवाईनिग की थी ओर 40 वर्ष की इसी क्षेत्र में सेवा भी दी तो इनका असली नाम बिलुप्त हो गया, हर कोई इन्हें ऐनम दीदी नाम से ही
जानता रहा। आज भी इनकी विदाई मे गमगीन माहौल बना था। हर किसी मातृ शक्ति की आँखे उस प्रसव पीड़ा की कहानी बयां कर रही थी जिसमे इन्होने उन्हें अपनी बेटी, बहन
बनकर सहयोग किया। इन्होंने क्षेत्र के बच्चो के टीकाकरण से लेकर प्रसव पीड़ा को अपना ही दर्द समझ कर सेवा दी ,आज भी इनके साथ काम करने वाली चाहे वो आशा कर्मी हो
या आंगनवाड़ी कर्मी सब की आँखे नम थी। हर किसी का जाते जाते तक इनसे यही कहना था,कि जब भी हमे आपकी जरूरत होगी हमे अपनी बहन की तरह ही सहयोग करती रहना।
यही नही इनके पति भुवन चन्र्द नोटियाल भी इसी बिभाग से सेवानिवृत्त हुए है। जिनका कहना था कि मेरी ये तीसरी पीढ़ी थी जिसने इसी विभाग में सेवा दी और आज भी ऐनम
दीदी ने अपने रूवासे गले से यही कहा कि जब तक मेरी आने जाने की सामर्थ्य रहेगी भी अवश्य अपनी बहनों को अपनी सेवा देती रहूंगी। मैं भले ही सेवानिवृत्त हो गई
किन्तु मुझे हर बहन का वो प्रसव दर्द याद रहेगा।