अगस्त्यमुनि नगर क्षेत्र में बंदरों की दहशत से जीना हुआ दुश्वार, दो दिनों में 17 किए घायल
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02/07/202210:56 am
दीपक बेंजवाल / दस्तक पहाड़ न्यूज पोर्टल ब्यूरो – अगस्त्यमुनि नगर पंचायत में बंदरों का आतंक दिनों दिन बढ़ता जा रहा है। उत्पाती बंदर दिनभर गलियों, मकान की छतों पर डेरा डाले रहते है। ऐसे में लोगों का गलियों में निकलना व मुश्किल हो रहा है। दिनों दिन बढ़ते बंदरों के आतंक से कस्बावासी खासे परेशान हो रहे हैं। बावजूद इसके प्रशासन इसकी ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा। बीते दो दिनों केवल विजयनगर मुहल्ले में ही बंदर 17 आदमियों को घायल कर चुके है। विजयनगर मुहल्ले में दिन दोपहरी में घर ज रहे सर्वेश्वर दत्त पर बंदरों ने अचानक हमला कर दिया, बचने के चक्कर में हड़बड़ी में कीमती मोबाइल हाथ से छूट कर फूट गया। वही बाजार से घर से घर जा रहे मंगल सिंह रावत पर भी बंदरों ने अचानक कर सारा सामान गिरा दिया। स्कूल प्रांगण में नये शिक्षा सत्र की तैयारी करने पहुंचे अध्यापक मनीष सेमवाल पर बंदरों ने हमला कर बुरी तरह घायल कर दिया। नगर क्षेत्र के सिल्ली, नाकोट, धान्यूँ, ताली बगर, बनियाड़ी, जवाहरनगर, सौड़ी अमोटा में बंदरों के भयंकर आतंकने लोगों का जीना दूभर हो गया है। आम जनता नगर पंचायत अगस्त्यमुनि से बंदरों से मुक्ति की गुहार लगा रही है।
हो रहा है भारी आर्थिक नुकसान
बंदरों से बचाव करने के लिए लोगों को आर्थिक नुकसान भी झेलना पड़ रहा है। लोगों का कहना है कि उत्पाती बंदर छत पर सूखते कपड़े फाड़ने व खाने-पीने की सामग्री हाथों से झपटकर ले जा रहे है। वही अब लोगों ने बचाव के चलते हजारों खर्च कर अपने मकानों में लोहे की जालियां लगवाई है। आये दिन नई चप्पल कपड़े खरीदनी पड़ रही है, बंदर छत पर रखी पानी की टंकियों को तोड़कर परेशानी और बढ़ा रहे हैं, ऐसे में लोगों को दोहरी मार झेलनी पड़ रही है।
किसानों का सबसे बड़ा दुश्मन बन चुके है बन्दर एक साथ झुंड के झुंड खेत में घुस कर सारी फसल का सत्यानाश कर देते है खाते कम खेत को उजाड़ते ज्यादा है। वही बगीचों में लगाई गयी सब्जियों को होने से पहले ही बंदरों बर्बाद कर रहे है। आम के सीजन में लोगों को अपने पेड़ों के आम चखना भी सपना हो गया है, आलम ये है लोग आम के पेड़ों को ही काटने लगे है।
दुकानदार भी परेशान
यहाँ के दुकान वाले बंदरो से ग्राहक का सामान बचाने के लिये दुकान में लाठी डंडे लेकर भी रखे है उसके पश्चात भी वो लोगों की मौजूदगी में भी सामान को छीन के ले जाते है, इसमें दुकान वाले को भी दोहरी मार झेलनी पड़ रही है ।
बंदरों की जनसंख्या में बेतहाशा वृद्धि
क्षेत्र के लोगों का कहना है कि पिछले कुछ साल में बंदरों की संख्या में इजाफा हुआ है। यह बंदर लोगों को हमला कर उन्हें घायल कर रहे हैं। कभी कभी तो इनसे बचने के लिए छत पर बैठे लोग छत से ही कूद जाते हैं और घायल हो जाते हैं। रास्ता चलते हुए महिलाओं, पुरुष व बच्चो पर हमला कर देते हैं कभी-कभी तो इन बंदरों का सड़क पर जमावड़ा हो जाता है।
हिमाचल की तर्ज पर बंदर उन्मूलन
खेती किसानों के बाद अब जानमाल को नुकसान पहुंचा रहे बंदरों से अजीज आए लोगों ने हिमालय प्रदेश की तर्ज पर बंदरों के उन्मूलन की गुहार सरकार से लगायी है। बता दें हिमाचंल में बंदरों को मारने पर पांच सौ रुपये बतौर प्रोत्साहन राशि दी जातीर्थ है।वहाँ बंदरों को आतंक से निपटने के लिए अब पंचायत स्तर पर नोडल टीमें गठित की गई है। बैठक के दौरान यह भी निर्णय हुआ कि बंदरों को वर्मिन घोषित कराने के साथ ही उनके एक्सपोर्ट पर लगे प्रतिबंध को हटाने के लिए नए सिरे से केंद्र सरकार से संपर्क किया जाएगा।
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अगस्त्यमुनि नगर क्षेत्र में बंदरों की दहशत से जीना हुआ दुश्वार, दो दिनों में 17 किए घायल
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दीपक बेंजवाल / दस्तक पहाड़ न्यूज पोर्टल ब्यूरो - अगस्त्यमुनि नगर पंचायत में बंदरों का आतंक दिनों दिन बढ़ता जा रहा है। उत्पाती बंदर दिनभर गलियों, मकान
की छतों पर डेरा डाले रहते है। ऐसे में लोगों का गलियों में निकलना व मुश्किल हो रहा है। दिनों दिन बढ़ते बंदरों के आतंक से कस्बावासी खासे परेशान हो रहे हैं।
बावजूद इसके प्रशासन इसकी ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा। बीते दो दिनों केवल विजयनगर मुहल्ले में ही बंदर 17 आदमियों को घायल कर चुके है। विजयनगर मुहल्ले में दिन
दोपहरी में घर ज रहे सर्वेश्वर दत्त पर बंदरों ने अचानक हमला कर दिया, बचने के चक्कर में हड़बड़ी में कीमती मोबाइल हाथ से छूट कर फूट गया। वही बाजार से घर से घर
जा रहे मंगल सिंह रावत पर भी बंदरों ने अचानक कर सारा सामान गिरा दिया। स्कूल प्रांगण में नये शिक्षा सत्र की तैयारी करने पहुंचे अध्यापक मनीष सेमवाल पर
बंदरों ने हमला कर बुरी तरह घायल कर दिया। नगर क्षेत्र के सिल्ली, नाकोट, धान्यूँ, ताली बगर, बनियाड़ी, जवाहरनगर, सौड़ी अमोटा में बंदरों के भयंकर आतंकने लोगों
का जीना दूभर हो गया है। आम जनता नगर पंचायत अगस्त्यमुनि से बंदरों से मुक्ति की गुहार लगा रही है।
हो रहा है भारी आर्थिक नुकसान
बंदरों से बचाव करने के लिए लोगों को आर्थिक नुकसान भी झेलना पड़ रहा है। लोगों का कहना है कि उत्पाती बंदर छत पर सूखते कपड़े फाड़ने व खाने-पीने की सामग्री हाथों
से झपटकर ले जा रहे है। वही अब लोगों ने बचाव के चलते हजारों खर्च कर अपने मकानों में लोहे की जालियां लगवाई है। आये दिन नई चप्पल कपड़े खरीदनी पड़ रही है, बंदर छत
पर रखी पानी की टंकियों को तोड़कर परेशानी और बढ़ा रहे हैं, ऐसे में लोगों को दोहरी मार झेलनी पड़ रही है।
किसान भी परेशान
किसानों का सबसे बड़ा दुश्मन बन चुके है बन्दर एक साथ झुंड के झुंड खेत में घुस कर सारी फसल का सत्यानाश कर देते है खाते कम खेत को उजाड़ते ज्यादा है। वही बगीचों
में लगाई गयी सब्जियों को होने से पहले ही बंदरों बर्बाद कर रहे है। आम के सीजन में लोगों को अपने पेड़ों के आम चखना भी सपना हो गया है, आलम ये है लोग आम के पेड़ों
को ही काटने लगे है।
दुकानदार भी परेशान
यहाँ के दुकान वाले बंदरो से ग्राहक का सामान बचाने के लिये दुकान में लाठी डंडे लेकर भी रखे है उसके पश्चात भी वो लोगों की मौजूदगी में भी सामान को छीन के ले
जाते है, इसमें दुकान वाले को भी दोहरी मार झेलनी पड़ रही है ।
बंदरों की जनसंख्या में बेतहाशा वृद्धि
क्षेत्र के लोगों का कहना है कि पिछले कुछ साल में बंदरों की संख्या में इजाफा हुआ है। यह बंदर लोगों को हमला कर उन्हें घायल कर रहे हैं। कभी कभी तो इनसे बचने के
लिए छत पर बैठे लोग छत से ही कूद जाते हैं और घायल हो जाते हैं। रास्ता चलते हुए महिलाओं, पुरुष व बच्चो पर हमला कर देते हैं कभी-कभी तो इन बंदरों का सड़क पर जमावड़ा
हो जाता है।
हिमाचल की तर्ज पर बंदर उन्मूलन
खेती किसानों के बाद अब जानमाल को नुकसान पहुंचा रहे बंदरों से अजीज आए लोगों ने हिमालय प्रदेश की तर्ज पर बंदरों के उन्मूलन की गुहार सरकार से लगायी है। बता
दें हिमाचंल में बंदरों को मारने पर पांच सौ रुपये बतौर प्रोत्साहन राशि दी जातीर्थ है।वहाँ बंदरों को आतंक से निपटने के लिए अब पंचायत स्तर पर नोडल टीमें
गठित की गई है। बैठक के दौरान यह भी निर्णय हुआ कि बंदरों को वर्मिन घोषित कराने के साथ ही उनके एक्सपोर्ट पर लगे प्रतिबंध को हटाने के लिए नए सिरे से केंद्र
सरकार से संपर्क किया जाएगा।