हरीश गुसाईं/ अगस्त्यमुनि / दस्तक पहाड़ न्यूज पोर्टल ब्यूरो। - - राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय अगस्त्यमुनि में निःशुल्क टैबलेट वितरण योजना में एक बार फिर से फर्जी बिलों से फर्जीवाड़े की सम्भावना दिखने लगी है। महाविद्यालय के तकरीबन 2500 छात्रों को उत्तराखण्ड सरकार द्वारा निशुल्क टैबलेट दिए जाने की महत्वाकांक्षी योजना पर फर्जी बिलों के जरिये पलीता लगाने की कोशिश की जा रही है। जिस प्रकार इन दिनों बाजार में एक एक हजार रू0 में फर्जी बिल बनाये जा रहे हैं उससे लगभग दो करोड़ से अधिक का भुगतान इन फर्जी बिलों से होने से सरकार को लाखों का जीएसटी कर का नुकसान भी हो सकता है। दरअसल उत्तराखण्ड की पिछली धामी सरकार ने कार्यकाल समाप्त

Featured Image

होने से पहले आननफानन में स्कूल तथा महाविद्यालयों में निशुल्क टैबलेट बांटने की योजना बनाई थी। आनन फानन में बनाई योजना में कई झोल हैं। योजना में छात्रों के खाते में 12 हजार रू0 डीबीटी के माध्यम से सीधे डाले जाने हैं। छात्रों को टेबलेट निर्धारित मानक के अनुसार खरीदने हैं तथा उन्हें उसका बिल विद्यालय में जमा कराना है। सरकार ने योजना में भ्रष्टाचार रोकने के लिए स्वयं खरीदने के बजाय प्रत्येक लाभार्थी छात्र के खातों में 12 हजार रूपये ट्रासफर कर दिए गए, लेकिन छात्रों ने इस योजना में 12 हजार कमाने का खेल खेलने का जरिया खोज ही लिया और इन्हें खरीदने में चालाकी दिखानी शुरू कर दी। दरअसल कॉलेज के अधिकांश छात्रों के पास पहले से मोबाइल है जिससे वो नया टैबलेट लेने में कंजूसी बरत रहे है, लेकिन इसके ऐवज में मिलने वाली रकम को लेने का मोह नहीं त्याग पा रहे है। जिसके चलते छात्र बाजारों से फर्जी बिल ले रहे हैं। ये बिल ऐसी दुकान से भी बन रहे हैं जो कभी भी टेबलेट नहीं बेचता है। यह फर्जी वाड़ा 10वीं एवं 12वीं के छात्रों का दिए गये निःशुल्क टैबलेट में उतना नहीं देखने को मिला जितना महाविद्यालय स्तर में पर दिख रहा है। जब से यह योजना लागू हुई है तब से ही इस योजना में फर्जी बिलों का खेल खेला जा रहा है। पूर्व में भी पीजी कालेज अगस्त्यमुनि में यह खेल खेला गया था। तब दस्तक पहाड़ न्यूज पोर्टल ने राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय अगस्त्यमुनि में टैबलेट घोटाला शीर्षक से इसे उजागर किया था। जिसके बाद महाविद्यालय प्रशासन ने इस योजना के तहत टैबलेट खरीदने के तरीके में परिवर्तन कर इसे पारदर्शी बनाने का दावा किया था। महाविद्यालय प्रशासन ने हर कक्षा के लिए एक कमेटी बनाई साथ ही इस योजना हेतु महाविद्यालय स्तर पर एक नोडल प्रभारी भी नियुक्त किया। जो छात्रों द्वारा खरीदे गये टैबलेट का आईएमईआई का न0 एवं सीरियल न0 के साथ ही जीएसटी वाले बिल में इसका मिलान भी कर रहे हैं। जिससे लगा कि अब फर्जीवाड़ा नहीं हो पायेगा। परन्तु उनके ये दावे खोखले ही साबित हुए। छात्रों ने इस योजना का सरल तोड़ निकाला है। उन्होंने एक ही टैबलेट के अलग अलग दुकानों से अलग अलग नाम से फर्जी बिल बनवाये हैं। जो कि उन्हें मात्र एक हजार रू0 में मिल भी रहे हैं। इसे वे अलग अलग कक्षाओं में अलग नाम से दिखा रहे हैं। पता चला है कि दुकानदार इन फर्जी बिलों को किसी ऐप को कम्प्यूटर पर डाउनलोड करके बना रहे हैं। जिससे ये पहली नजर में कहीं से भी फर्जी नजर नहीं आ रहे हैं। यहां तक कि छात्रों ने 10वीं तथा 12वीं के छात्रों को मिले टैबलेट एवं उनके आईएमईआई न0 से बिल बनाकर जमा करा दिए हैं। यह योजना अब विद्यालयों के लिए जी का जंजाल बन गई है। अध्यापक सारा कार्य छोड़कर टैबलेट की ही जांच पर लगे हैं। महाविद्यालय प्रशासन जांच की बात तो कर रहा है लेकिन जीएसटी बिलों और आईएमईआई नम्बरों की सत्यता को लेकर उनके पास कोई टैक्नीकल विशेषज्ञ नहीं है। इसके साथ ही 10वीं तथा 12वीं के छात्रों को मिले टैबलेट की जांच कैसे कर पायेगें। ऐसा भी हो सकता है कि एक ही टैबलेट का अलग अलग विद्यालयों में अलग अलग नाम से बिल जमा हो रहा हो?? इस सम्बन्ध में जब महाविद्यालय के टैबलेट योजना के नोडल प्रभारी डॉ. अखिलेश्वर द्विवेदी से बात की गई तो उन्होंने कहा कि अभी तक ऐसा तो कोई बिल नहीं मिला है। अभी हम छात्रों से टैबलेट का बिल ले रहे हैं और टैबलेट को देखकर निर्धारित मानक की ही जांच कर रहे हैं। जब यह कार्य पूर्ण होगा तब सभी कक्षाओं की लिस्ट को संकलित कर जांच की जायेगी। अगर एक ही आईएमईआई न0 के टैबलेट मिलते हैं तो उन छात्रों के खिलाफ कार्यवाही की जायेगी। जहां तक फर्जी बिलों का सवाल है उन्हें जांचने का फिलहाल हमारे पास कोई साधन नहीं है। सभी बिल जमा होने के बाद उन्हें जीएसटी हेतु जांच के लिए भेजा जायेगा। जिसका भी फर्जी बिल होगा छात्र एवं दुकानदार दोनों के खिलाफ सुसंगत कार्यवाही की जायेगी। महाविद्यालय की प्राचार्या प्रो0 पुष्पा नेगी ने कहा कि टैबलेट सत्यापन का कार्य प्रगति पर है तथा पांच जुलाई (आज) तक सत्यापन का कार्य पूर्ण हो जायेगा। एक्सेल सीट के माध्यम से जिस भी विद्यार्थी के टैबलेट खरीद फरोख्त में गलती पाई जायेगी उनके विरूद्ध प्रशासनिक कार्यवाही की जायेगी।