दीपक बेंजवाल / दस्तक पहाड़ न्यूज पोर्टल ब्यूरो /रुद्रप्रयाग ÷ उत्तराखंड में पुलों का ढहना अब आम बात हो गई है। दरअसल ये पुल नहीं उत्तराखंड की किस्मत ढह रही है। आज की सुबह फिर राष्ट्रीय राजमार्ग बदरीनाथ हाईवे पर नरकोटा के समीप निर्माणाधीन पुल की सेटरिंग गिरने से आज बड़ा हादसा हो गया। हादसे की सूचना मिलते ही आपदा प्रबंधन, डीडीआरएफ, एसडीआरएफ, जिला प्रशासन एवं पुलिस की टीम राहत एवं बचाव कार्य हेतु घटना स्थल पर पहुंचकर राहत एवं बचाव कार्य शुरू कर दिया गया है। निर्माणाधीन पुल के क्षतिग्रस्त होने की सूचना रूद्रप्रयाग के जिलाधिकारी मयूर दीक्षित, पुलिस अधीक्षक आयुष अग्रवाल भी घटना स्थल पर पहुंचे। जिलाधिकारी ने निर्माणाधीन पुल की क्षतिग्रस्त होने की उच्च स्तरीय जांच कराने तथा इसमें कार्यदायी संस्था एवं कार्य करा रही एजेंसी के अधिकारियों एवं कार्मिकों के

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विरुद्ध आवश्यक कार्यवाही सुनिश्चित करने के आदेश जारी कर दिए है। घटना स्थल पर राहत एवं बचाव टीम द्वारा खोजबीन कार्य किया गया जिसमें 8 लोगों को निर्माणाधीन पुल की सेटरिंग में दबे व्यक्तियों का रेस्क्यू किया गया जिसमें 02 गंभीर घायलों को श्रीनगर रैफर किया गया तथा बाकी घायलों को रुद्रप्रयाग चिकित्सालय में उपचार हेतु भर्ती कराया गया। जिसमें 2 मजदूरों की घटना स्थल पर ही मृत्यु हुई है। मृतकों में पंकज पुत्र विशंभर उम्र 24 वर्ष, निवासी गंगपुर थाना अलीगंज उत्तर प्रदेश और कन्हैया पुत्र वेदराम उम्र 18 वर्ष निवासी गुर्जर पुर गहरवार थाना अमृतपुर उत्तर प्रदेश के निवासी है। वही घायल व्यक्तियों में किशन प्रजापति हजारीबाग झारखंड, गंगू माला हजारीबाग झारखंड, रामू शाहजहांपुर, नजीम दोहानू, अनुपम शाहजांहपुर, रघुवीर शाहजहांपुर, शकलदेव सिन्हा हजारीबाग, संतोष कृष्णा शाहजहांपुर शामिल हैं। राहत एवं बचाव कार्य में मौके पर उप जिलाधिकारी रुद्रप्रयाग अपर्णा ढौंडियाल, पुलिस उपाधीक्षक प्रबोध कुमार घिल्डियाल, जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी नंदन सिंह रजवार के साथ एसडीआरएफ, डीडीआरएफ के साथ सेना और पुलिस के जवानों ने भी मोर्चा संभाला। उत्तराखंड में रोज ब रोज गिरते इन पुलों के निर्माण में हो रहे भ्रष्टाचार की पोल खुलती है। फिर जाँच के नाम पर कमेटी बैठती है और बाद में जाँच रिपोर्ट ठंडे बस्ते में डाल कर सब कुछ दबा दिया जाता है। कुछ दिन बाद फिर नये पुल बनते है, गिरते है और सरकार बेशर्मी से दाँत निपोर कर हादसो को भूल जाती है। तमाम एक्सपर्ट, तकनीकी के बाद अगर लगातार ये हादसे हो रहे है तो सरकार सख्ती से ठेकेदारो, निर्माणदायी संस्थाओं पर कार्यवाही क्यों नहीं करती। दरअसल इन संस्थाओं, ठेकेदारो पर हत्याओं के केस दर्ज होने चाहिए। एक दो बार नहीं लगातार उत्तराखंड में पुलों का गिरना सवाल जरूर खड़ा करता है।