केदारघाटी की गरीब बेसहारा महिला के साथ सीएम राहत कोष का मजाक, पूर्व विधायक ने उठाया सवाल
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29/07/202211:59 pm
दीपक बेंजवाल दस्तक पहाड़ न्यूज पोर्टल ।= आखिर मुख्यमंत्री राहत कोष के नाम पर जीवन संघर्ष से जूझ रही जनता के साथ मजाक करते हुऐ माननीयों का विवेक इतना निष्ठुर और निर्दयी कैसे हो जाता है समझ से परे है। जिस राहत को लेकर रातदिन गुणगान गाऐ जाते है आखिर उसकी सच्चाई क्या है, आपको रूबरू करवाते है। केदार घाटी में ऊखीमठ विकास खण्ड के कांडा, दैड़ा गाँव की गौरा देवी के पति संतोष सिंह की आकस्मिक मृत्यु राँसी और गौडार के बीच हुई थी। 31 वर्षीय संतोष सिंह की मृत्यु के बाद गौरा बेसहारा हो गयी। आय को कोई साधन गौरा के पास नहीं था लिहाजा सुधिजनों की सलाह पर मुख्यमंत्री जी के लिए राहत कोष से सहायता के लिए गुहार लगाई। विडंबना देखिए एक बेसहारा के जीवन यापन के लिए मुख्यमंत्री राहत कोष से मदद आयी भी तो 5000। ऊपर से मदद को लेकर उपयोगिता प्रमाण पत्र जमा करने की घुड़की सो अलग।
राहत के नाम पर की गई इस मजाक पर केदारनाथ से पूर्व विधायक मनोज रावत ने अपने फेसबुक पेज पर सवाल उठाते हुऐ विवेक के इतने अच्छे प्रयोग पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का धन्यवाद किया है।
पूर्व विधायक मनोज रावत लिखते है “Thanx CM Office Uttarakhand Pushkar Singh Dhami ऊखीमठ के कांडा , दैडा निवासी युवा 31 वर्षीय संतोष सिंह जी की आकस्मिक मृत्यु रांसी और गोण्डार के बीच हुई थी। अब विधवा गौरा देवी जी जिनका पति के अलावा न कोई सहारा था न अब कोई है , मुख्यमंत्री विवेकाधीन कोष से 5000 रुपए की सहायता आयी है ।
पिछली बार कांग्रेस के विधायकों की संस्तुति पर साल भर में मुख्यमंत्री विवेकाधीन कोष से कुल 50000 रुपए की भी सहायता सभी मामलों में नही मिलते थी, पर जिन विधानसभाओं से भाजपा के विधायक होते थे वँहा डेढ़ करोड़ तक एक साल में भेजे जाते थे।
पर अब तो केदारनाथ में भी भाजपा है। ऐसे में विवेक का इतना अच्छा प्रयोग करने के लिए मुख्यमंत्री उत्तराखंड को धन्यवाद ।
इसके अलावा क्या कह सकते हैं।
दरअसल यह घटना इंसानियत को शर्मसार करती है। एक गरीब बेसहारा महिला की स्थिति समझने के लिए भी अगर विवेक संबधित अधिकारियों और जिम्मेदार माननीयों में नहीं है तो क्यों राहत के नाम पर हो हल्ला मचाया जाता है। गरीब महिला को आपसे गुहार लगानी पड़ी है तो समझिये उसकी हालत क्या है।
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केदारघाटी की गरीब बेसहारा महिला के साथ सीएम राहत कोष का मजाक, पूर्व विधायक ने उठाया सवाल
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दीपक बेंजवाल दस्तक पहाड़ न्यूज पोर्टल ।= आखिर मुख्यमंत्री राहत कोष के नाम पर जीवन संघर्ष से जूझ रही जनता के साथ मजाक करते हुऐ माननीयों का विवेक इतना
निष्ठुर और निर्दयी कैसे हो जाता है समझ से परे है। जिस राहत को लेकर रातदिन गुणगान गाऐ जाते है आखिर उसकी सच्चाई क्या है, आपको रूबरू करवाते है। केदार घाटी
में ऊखीमठ विकास खण्ड के कांडा, दैड़ा गाँव की गौरा देवी के पति संतोष सिंह की आकस्मिक मृत्यु राँसी और गौडार के बीच हुई थी। 31 वर्षीय संतोष सिंह की मृत्यु के
बाद गौरा बेसहारा हो गयी। आय को कोई साधन गौरा के पास नहीं था लिहाजा सुधिजनों की सलाह पर मुख्यमंत्री जी के लिए राहत कोष से सहायता के लिए गुहार लगाई। विडंबना
देखिए एक बेसहारा के जीवन यापन के लिए मुख्यमंत्री राहत कोष से मदद आयी भी तो 5000। ऊपर से मदद को लेकर उपयोगिता प्रमाण पत्र जमा करने की घुड़की सो अलग।
राहत के नाम पर की गई इस मजाक पर केदारनाथ से पूर्व विधायक मनोज रावत ने अपने फेसबुक पेज पर सवाल उठाते हुऐ विवेक के इतने अच्छे प्रयोग पर उत्तराखंड के
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का धन्यवाद किया है।
पूर्व विधायक मनोज रावत लिखते है "Thanx CM Office Uttarakhand Pushkar Singh Dhami ऊखीमठ के कांडा , दैडा निवासी युवा 31 वर्षीय संतोष सिंह जी की आकस्मिक मृत्यु रांसी और गोण्डार के बीच हुई
थी। अब विधवा गौरा देवी जी जिनका पति के अलावा न कोई सहारा था न अब कोई है , मुख्यमंत्री विवेकाधीन कोष से 5000 रुपए की सहायता आयी है ।
पिछली बार कांग्रेस के विधायकों की संस्तुति पर साल भर में मुख्यमंत्री विवेकाधीन कोष से कुल 50000 रुपए की भी सहायता सभी मामलों में नही मिलते थी, पर जिन
विधानसभाओं से भाजपा के विधायक होते थे वँहा डेढ़ करोड़ तक एक साल में भेजे जाते थे।
पर अब तो केदारनाथ में भी भाजपा है। ऐसे में विवेक का इतना अच्छा प्रयोग करने के लिए मुख्यमंत्री उत्तराखंड को धन्यवाद ।
इसके अलावा क्या कह सकते हैं।
दरअसल यह घटना इंसानियत को शर्मसार करती है। एक गरीब बेसहारा महिला की स्थिति समझने के लिए भी अगर विवेक संबधित अधिकारियों और जिम्मेदार माननीयों में नहीं
है तो क्यों राहत के नाम पर हो हल्ला मचाया जाता है। गरीब महिला को आपसे गुहार लगानी पड़ी है तो समझिये उसकी हालत क्या है।