दीपक बेंजवाल / दस्तक पहाड़ न्यूज पोर्टल  ( विशेष )-  आज़ादी के अमृत महोत्सव के तहत भाजपा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर देशभर में तिरंगा यात्रा निकलेगी ,तो वहीं कांग्रेस ने भी तिरंगा पदयात्रा की घोषणा कर दी है। दोनों राजनीतिक दलों के बीच राष्ट्रप्रेम के बहाने सियासी दांवपेंच का खेला जाना राजनीती में रूचि लेने वालो में कौतुहल पैदा कर रहा है। लेकिन असल सवाल देश में बढ़ रही, महंगाई, भूखमरी और भ्रष्टाचार से कूटती पिसती जनता के जीने का है। आमजन के हक की तमाम आवाजें खोखली बन गई है या दबाई जा रही है।

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ऐसे में भी सरकार और विपक्षी जनता से राष्ट्रवाद का सबूत मांग रही है। जीने का सवाल मुंह उठाए देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और विपक्षी के सुप्रीम लीडर राहुल गांधी से पूछ रहा है आखिर क्यों है जरूरत तिरंगा यात्रा की? क्या कम है देशभक्ति का जज्बा। मंहगाई आमजन की कमर तोड़ रही, जीएसटी के नाम पर ताबड़तोड़ कर थोपे जा रहे और रही सही कसर असल मुद्दों से हटाकर जुमले और चोंचले वाली योजनाएं थोपकर सत्ताधारी बीजेपी और बेदम हो चुकी कांग्रेस आमजन में अपना विश्वास खोती जा रही है। कभी मोदी के मुरीद रहे लोगों में अब भाजपा की खोखली आदर्शवादिता से गहरा गुस्सा छाया है। 80 वर्षीय दयाल सिंह पंवार खाटे कांग्रेसी थे लेकिन देश के लिए जरूरी मोदी लहर ने उन्हें बदल दिया। भ्रष्टाचार और अपरिपक्व नेतृत्व के कारण कांग्रेस से उनका मोह भंगा हो गया और राष्ट्रवाद की पर्याय बन गये मोदी को उन्होंने स्वीकार कर दिया। बीता कार्यकाल उन्हें संतोषजनक लगा लेकिन अब चोचलों और जुमलों से वो परेशान हो चुके हैं। दरअसल राजनीति पाने के लिए बीजेपी का छद्म राष्ट्रवाद अब धीरे-धीरे बेनकाब हो रहा है। बुजुर्ग पंवार कहते है हर घर तिरंगा योजना की जरूरत क्या है, पहले से ही सभी तिरंगे को सम्मान और प्यार करते है, अब पानी की तरह पैसा बहा कर क्यों गरीब जनता का मजाक बनाया जा रहा है। अच्छा होता मोदीजी आमजन के हित से जुड़ी कोई योजना लाकर इस बेहिसाब बर्बाद हो रहे पैसे से आम आदमी को राहत देते। वहीं कालेज में पढ़ रहा युवा अनुज प्रताप रावत, सिमरन बुटोला, कविता भट्ट का कहना है कि भाजपा की राह पर चलती कांग्रेस भी असल मुद्दों से हटकर जगह जगह तिरंगा पदयात्रा निकाल कर खुद को बीजेपी से बड़ा राष्ट्रवाद बताने में जुटी है। कांग्रेस के बड़े नेता राहुल गांधी ने तो आर एस एस का हवाला देकर खुद को बड़ा देशभक्त बताने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है। संघ पर सवाल उठाने की जल्दीबाजी में क्या वो अपनी चीन की गोद जाकर बैठने वाली राष्ट्रविरोधी हरकत पर कभी शर्मींदग व्यक्त करेंगे । दरअसल देश में अजीब तरह की राजनीति चल रही है, मंहगाई, भ्रष्टाचार पर चुप्पी है और धर्म, जाती, मजहब के नाम पर हो हल्ला। नेता आरोप प्रत्यारोप लगाकर अपनी अपनी राजनीतिक रोटियां सेंक रहे हैं, ऐसे में जनता मरे, खपे किसी पर कोई फर्क नहीं पड़ता। बाकी जुमले वाले अभियान और चोंचले वाले भाषणों से राष्ट्रवाद नहीं उमड़ेगा।