दीपक बेंजवाल / दस्तक पहाड़ न्यूज / ऊखीमठ: शासन में बैठे लोग न अपनी जिम्मेदारी जानते है और न संवदेनाओं का सम्मान तभी तो एक अभागी बीमार बुजुर्ग महिला जिसके पुत्र की हाल ही में गदेरे में डूबने से असमय मौत हुई है, के लिए राहत के नाम पर पांच हजार की न्यूनतम राशि भेजकर अपनी खोखली संवेदनाओं और निर्लज जिम्मेदारियों का खुलासा कर दिया है। यह वाकाया है उत्तराखण्ड के रूद्रप्रयाग जिले की दूरस्थ दुर्गम विकास खण्ड ऊखीमठ के कांडा दैड़ा गांव का जहाँ की एक बुजर्ग महिला गौरा देवी ने मुख्यमंत्री विवेकाधीन कोष

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से मिली पांच हजार रूपये की सहायता राशि को वापस लौटा दिया है। बताते चले कि इसी साल 19 मार्च को गौरा देवी के इकलौते बेटे संतोष सिंह की गौंडार गदेरे में पांव फिसलने से मौत हो गई थी। संतोष परिवार में कमाने वाला एकमात्र शख्स था, उसके चले जाने के बाद बूढ़ी मां गौरा देवी और पत्नी सीता देवी बेसहारा हो गई है। शासन ने पीड़ित परिवार को मुआवजे के तौर पर मुख्यमंत्री विवेकाधीन कोष से पांच हजार रूपये की राहत राशि भेजी थी। गौरा देवी की पुत्री मंजू रावत ने मुख्यमंत्री को एक ज्ञापन भेजा है जिसमें उन्होंने मुख्यमंत्री राहत कोष से भेजी गई पांच हजार की धनराशि को वापस भेजने की बात कही है। मंजू ने कहा कि मेरी मां गरीब, बीमार व वृद्ध महिला है। बेटे की मौत के बाद से वह बेहद असहाय हो गई है, ऐसे में शासन ने उन्हें राहत के नाम पर पांच हजार की न्यूनतम राशि भेजकर उनका मजाक उड़ाया है। इसने उनके घावों पर मरहम लगाने के बजाय उलाहना देने का काम किया है। इस राशि को स्वीकार कर हम अपने स्वाभिमान को ठेस नहीं पहुंचाना चाहते है। उन्होंने ज्ञापन के साथ ही मुख्यमंत्री विवेकाधीन कोष की राशि भी लौटा दी है।