दस्तक पहाड़ न्यूज पोर्टल / रूद्रप्रयाग।  शिक्षा में सतत रूप से चलने वाले अनुसंधानों के फलस्वरूप साल दर साल शिक्षण में नवाचार सम्मिलित किए जा रहे हैं। दिल्ली सरकार के विद्यालयों में विगत सालों से चल रहे "हैप्पीनेस" कार्यक्रम के परिणामों से उत्साहित होकर उत्तराखंड सरकार ने आनंदम कार्यक्रम को पिछले सालों से प्रारंभ कर दिया था लेकिन कोविड के प्रकोप के कारण यह कार्यक्रम गति नहीं पकड़ पाया था। अब सूबे का शिक्षा विभाग पुनः इस कार्यक्रम को जोर - शोर से चलाने की कवायद में जुट गया है। इसके लिए सूबे के

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हर डायट को कुछ म कुछ कार्य दिया गया है। जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान रतूड़ा, रूद्रप्रयाग द्वारा कक्षा 8के लिए आनंदम शिक्षण सन्दर्शिका तैयार करने के आयोजित एक दिवसीय अभिमुखीकरण कार्यशाला का शुभारंभ करते हुए डायट रतूड़ा के प्राचार्य विनोद प्रसाद सिमल्टी ने कहा कि विद्यालय में दैनिक शिक्षण कार्य प्रारंभ करने से पहले बच्चों को सीखने के लिए आनंद दायक वातावरण निर्माण के लिए आनंदम एक बहुत बढ़िया गतिविधि है। प्राचार्य सिमल्टी ने प्रेरित करने वाले अपने चिर परिचित अंदाज में कहा कि सकारात्मक वातावरण निर्माण के लिए विचारों की शुद्धता का बहुत बड़ा महत्व है। शैक्षिक उन्नयन में बच्चों को अभिप्रेरित करने के लिए आनंदम को एक "शैक्षिक टूल" की तरह प्रयोग किया जाना चाहिए। कार्यक्रम का संचालन करते हुए डॉ० इन्दुकाता भण्डारी ने आनन्दम की मूल भावना के अनुरूप रोचक गतिविधि द्वारा एक दूसरे का परिचय सत्र करवाया। डायट प्रवक्ता रूचिना पुरी ने कहा कि आनन्दम नाम के अनुरूप बच्चों को अभिप्रेरित करने वाला आनन्ददायक कार्यक्रम है। कार्यशाला में डायट रतूड़ा से ही सेवानिवृत्त प्रवक्ता और जिले के प्रेरित करने वाले शिक्षकों में शुमार कुशलानंद पुरोहित ने कार्यक्रम की सराहना करते हुए कहा कि आनन्दम का मुख्य उद्देश्य बच्चों में सीखने के प्रति रूचि उत्पन्न करते हुए आनंद की प्राप्ति करवाना है। कार्यशाला की संचालक श्रीमती भण्डारी ने बताया कि इस शैक्षिक सत्र के लिए आनन्दम अकादमिक समूह का गठन 2 जून 2022 को किया गया जिसमें जिले के 35शिक्षकों का चयन किया गया। इस वर्ष डायट रतूड़ा द्वारा कक्षा 8के लिए आनन्दिनी शिक्षक सन्दर्शिका तैयार करने हेतु गतिविधियों का विकास करके प्रकाशन करवाया जाना है। अटल उत्कृष्ट राजकीय इण्टर कॉलेज तैला की अध्यापिका अमृता नौटियाल ने करूणा पर आनन्दम की अपनी गतिविधि का प्रस्तुतिकरण करते हुए कहा कि बच्चों को केवल कहानी सुनाकर या कहानी पढ़ने के लिए कहने मात्र से ही दया, करुणा, परोपकार, सेवा, क्षमा, साहस जैसे संवेगात्मक भावों को स्थाई रूप से पैदा नहीं किया जा सकता , बल्कि बहुत सी अन्य गतिविधियों के साथ चित्रकला के माध्यम से भी यह भाव पैदा किया जा सकता है। रा०उ०प्रा०वि० डाँगी गुनाऊँ के शिक्षक हेमंत चौकियाल ने अपने संस्मरणों को उधृत करते हुए बताया कि कैसे स्वयं के क्रिया कलाप, व्यवहार, आचरण के साथ-साथ बहुत सी ऐसी बातें या गतिविधियाँ हैं जिनके द्वारा बच्चों में जीवन भर के लिए स्थाई रूप से इन संवेगात्मक भावों को पैदा कर आत्मसात करवाया जा सकता है।कार्यशाला में उपस्थित सभी प्रतिभागियों ने सहयोग, दया, करूणा, क्षमा, धैर्य, कृतज्ञता पर अपने द्वारा विकसित गतिविधियों का प्रस्तुतिकरण किया। जिसपर अन्य शिक्षकों द्वारा अपनी अपनी समालोचना दी गई। इस अवसर पर डायट रतूड़ा से ही सेवानिवृत्त प्रवक्ता कुशलानंद पुरोहित, अजीम प्रेमजी फाउण्डेशन के अंकित नेगी,डायट रतूड़ा के प्रवक्ता अनिल चौकियाल,नरेन्द्र सिंह बिष्ट, प्रदीप चमोली, डॉ० राखी बिष्ट, आनन्द सिंह जगवाण,भुवनेश्वरी चंदानी,डॉ० गुरू प्रसाद सती, रा०उ०प्रा० सेमलता के शिक्षक सुहेब हुसैन, रा०बा०इ०का० रूद्रप्रयाग की प्रभारी प्रधानाचार्य ममता रावत, वेंकट रमन सेमवाल, रेखा डिमरी, संजय टम्टा,अरुणा नौटियाल,लक्ष्मी नेगी,रश्मि बुटोला,पवन भेतवाल, राकेश चन्द्र सेमवाल,अनूप सेमवाल, देवेन्द्र सिंह मिंगवाल, उर्मिला मैठाणी, संजय सिंह रावत,कुंवर सिंह नेगी, अमित राणा, अमिता कप्रवान, हेमंत चौकियाल आदि उपस्थित थे।