इस साल जन्माष्टमी का त्योहार 18 अगस्त को मनाया जाएगा. हिंदू धर्म में जन्माष्टमी के त्योहार का विशेष महत्व है. कृष्ण जन्माष्टमी के दिन भगवान श्री कृष्ण के बाल रूप की विधि विधान से पूजा की जाती है. नि:संतान दंपत्ति को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी व्रत रखना चाहिए।

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दीपक बेंजवाल / दस्तक पहाड़ न्यूज पोर्टल - ज्योतिष शास्त्र के जानकारों के अनुसार, इस बार भाद्रपद कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 18 अगस्त की रात 9 बजकर 21 मिनट से शुरू हो रही है. अष्टमी तिथि की समाप्ति 19 अगस्त को रात 10 बजकर 59 मिनट पर होगी। साथ ही निशीथ काल पूजा 18 अगस्त को रात 12 बजकर 03 मिनट से 12 बजकर 47 मिनट के बीच होगी. ऐसे में भगवान की पूजा के लिए 44 मिनट का समय मिलेगा। इसके साथ ही जन्माष्टमी व्रत का पारण 19 अगस्त को सुबह 5 बजकर 52 मिनट के बाद किया जा सकेगा. इस बार जन्माष्टमी का व्रत 18 अगस्त को रखा जाएगा। ज्योतिष के जानकार बाता रहे हैं कि भगवान श्रीकृष्ण का जन्म अष्टमी तिथि को रात 12 बजे हुआ था. इस बार ऐसा योग 18 अगस्त को बन रहा है। जबकि कुछ पंडितों का मानना है कि 19 अगस्त को पूरे दिन अष्टमी तिथि रहेगी।. ऐसे में उदया तिथि को मान्यता देने वाले लोग 19 अगस्त को जन्माष्टमी मनाएंगे। हालांकि अगर धार्मिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो भगवान श्रीकृष्ण का जन्म अष्टमी तिथि को रात 12 बजे हुआ था ऐसे में जन्माष्टमी का पर्व 18 अगस्त को मनाया जाना उचित माना जा रहा है। जन्माष्टमी पर बन रहे हैं ये शुभ योग - अभिजित मुहुर्त- 18 अगस्त को 12 बजकर 05 मिनट सो दोपहर 12 बजकर 56 मिनट तक ध्रुव योग- 18 अगस्त को शाम 8 बजकर 41 मिनट से 19 अगस्त को शाम 8 बजकर 59 मिनट तक वृद्धि योग- 18 अगस्त को 8 बजकर 56 मिनट से 18 अगस्त को शाम 8 बजकर 59 मिनट तक पूजा मंत्र: -  ॐ देविकानन्दनाय विधमहे वासुदेवाय धीमहि तन्नो कृष्ण:प्रचोदयात” कृं कृष्णाय नमः नि:संतान दंपत्ति रखें यह व्रत - जन्माष्टमी का व्रत हिंदू धर्म में सबसे पवित्र व्रत होता है। यह व्रत खासकर वे महिलाएं जरूर रखें, जो नि:संतान हैं। जन्माष्टमी का व्रत रखने से नि:संतान महिला को संतान की प्राप्ति होती है। पूजा विधि : इस व्रत को रखने के लिए सुबह जल्दी उठकर स्नान करें. स्नान करने के बाद साफ कपड़े पहन कर मंदिर में दीप जलाएं. इसके बाद सभी देवी-देवताओं का जलाभिषेक करें। इस दिन लड्डू गोपाल को झूले में बैठाकर दूध से इनका जलाभिषेक करें।फिर लड्डू गोपाल को भोग लगाएं। इस दिन यह सारी पूजा विधि विधान से रात्रि के समय करें क्योंकि इस दिन रात्रि पूजा का महत्व होता है। भगवान श्री कृष्ण का जन्म रात में हुआ था. इस दिन भगवान श्रीकृष्ण को खीर का भोग जरूर लगाएं। पहाड़ की ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें दस्तक पहाड़ न्यूज पोर्टल पर। आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट दस्तक पहाड़ न्यूज पोर्टल