दीपक बेंजवाल / दस्तक पहाड़ न्यूज ब्यूरो - नंदाष्टमी यानी राधा अष्टमी के पर्व के विशेष धार्मिक महत्व बताया गया है। नंदाष्टमी पर व्रत रखकर पूजा की जाती है। नंदाष्टमी की पूजा सभी दुखों को दूर करने वाली मानी गई हैं। वहीं मान्यता है कि नंदाष्टमी का व्रत सभी प्रकार के पापों को भी नष्ट करता है। पंचांग के अनुसार नंदाष्टमी का पर्व 3-4 सितंबर यानी भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी की तिथि को मनाया जाएगा। भादो शुक्ल पक्ष की अष्टमी की तिथि को राधा अष्टमी भी कहा जाता है। रूद्रप्रयाग जिले में चंडिका मंदिरों में नंदाष्टमी पर्व पर चंडिका देवी की काष्ठ विग्रह मूर्तियों जिन्हें लोकभाषा में फर्सा कहा जाता है को गर्भगृह से बाहर निकला जाता है। इस बार नंदाष्टमी तिथि 3 सितंबर से शुरू होकर 4 सितम्बर प्रातः काल 10 बजकर 43 मिनट रहेगी। नंदाष्टमी पर्व पर फलासी चंडिका मंदिर में

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विधिवत पूजन के उपरांत देवी के फर्स को बाहर निकाला गया। जिसके बाद ग्रामीणों द्वारा देवी को स्थानीय फल सब्जी और अनाजों का भोग लगाया गया। वहीं जिले में भणज, पेलिंग गांव में देर रात नंदा पूजा अर्चना की गई। वहीं वीरों देवल गांव में आज दोपहर में चंडिका फर्सा कौथीग का आयोजन किया जाएगा। नंदाष्टमी व्रत का महत्व नंदाष्टमी का व्रत विशेष पुण्य प्रदान करने वाला माना गया है। इस व्रत को सभी प्रकार के कष्टों को दूर करने वाला बताया गया है। सुहागिन महिलाएं इस दिन व्रत रखकर राधा जी की विशेष पूजा करती हैं। इस दिन पूजा करने से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। नंदाष्टमी का पर्व जीवन में आने वाली धन की समस्या को भी दूर करता है। राधा जी की इस दिन पूजा करने भगवान श्रीकृष्ण का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस व्रत को रखने से जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है।