दीपक बेंजवाल / अगस्त्यमुनि / दस्तक पहाड़ न्यूज ब्यूरो -ओ साहेब ! बधाई है ! आज सुबह सड़क पर पड़े गड्ढों से अज़ीज़ आकर जब व्यापारियों ने खुद ही दो चार गड्ढे भर दिए लेकिन आपने तो दिल पर ही ले लिया और दुपहरी होते होते बाकी बचे गड्ढों को खुद ही भरवाने का उल्लेखनीय कार्य कर दिया, गारा बूरा और सीमेंट, तारकोल की बूंदाबांदी से तरबतर भी हो गया, टिकेगा कब तक ये गारंटी हम नहीं मांगेंगे।

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दरअसल आज सुबह विजयनगर बाजार में झूला पुल से लगे छोर पर स्थानीय व्यापारियों ने बहुत दिनों की गुहार के बाद कार्यवाही न होता देख आज सड़क पर गड्ढों को खुद ही भरना शुरू कर दिया। इधर स्थानीय जनता की मांग पर सुस्ताई दिखाने वाले विभाग जोर पकड़ती यात्रा से एकदम सतर्क हो गये। लेकिन विभाग गड्ढों को भर पाता इससे पहले परेशान व्यापारियों ने खुद ही गड्ढे भरवाने शुरू कर दिए। केदारनाथ यात्रा के अचानक दुबारा से जोर पकड़ने पर सड़क पर गड्ढों को भरने की याद विभागों को सताने लगी थी, जिस पर आजकल में काम पूरा करने का भी दबाव आ गया था। दरअसल सड़क पर गुजरने वाले रहागीरों के लिए बारिश में ये गड्ढे परेशानी का सबब तो बनते ही बल्कि सड़क किनारे वाली दुकानों के लिए सबसे बड़ी आफत बन जाते है। धूल से लेकर पानी की बौछार दुकान के सामान को की बार खराब कर देते। हालात इतनी खराब हो चुकी थी कि अगस्त्यमुनि विजयनगर से जवाहर नगर तक बाजार के बीचों बीच गुजरने वाली सड़क पर ऐसे एक दो नहीं कई गड्ढे बन गए। अगस्त्यमुनि व्यापार संघ कई बार इन गड्ढों को भरने की मांग शासन और विभागों में कर चुका है। हालांकि खानापूर्ति के लिए वैकल्पिक तौर पर हल्की सामग्री से गड्ढे भर दिए जाते हैं लेकिन कुछ दिन बाद वही स्थिति हो जाती है। स्थानीय जनता का कहना है विभागों को स्थानीय जनता की बात भी सुननी चाहिए मात्र यात्रा को देखकर ही जिम्मेदारी की याद आती है।