दीपक बेंजवाल / दस्तक पहाड़ न्यूज ब्यूरो )- राजस्थान, पंजाब, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश समेत उत्तर भारत के कई राज्यों में लंपी वायरस ने भयंकर तबाही मचाई हुई है। देशभर में इस वायरस से 60 हजार से ज्यादा गायों की मौत हो चुकी है। पशुपालकों का व्यवसाय तबाह हो गया है। स्थिति को देखते हुए उत्तराखंड के रूद्रप्रयाग जिला प्रशासन और पशुपालन विभाग अलर्ट मोड पर है। जिला प्रशासन की तरफ से बकायदा एडवाइजरी जारी रूद्रप्रयाग में जिलाधिकारी ने दिए पशु परिवहन नियमावली -1978 का सख्ती से अनुपालन के आदेश की गई है। जिलाधिकारी मयूर दीक्षित ने जनपद क्षेत्रांतर्गत पशु परिवहन नियमावली -1978 का सख्ती से अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए सम्बन्धित अधिकारियों के लिए एक महत्वपूर्ण आदेश जारी किया है।

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जिलाधिकारी ने आदेश जारी करते हुए कहा है कि जनपद की सीमाओं पर विद्यमान चौकियों  पर बाहर से आने वाले पशुओं की निगरानी हेतु वाहनों की चैकिंग करने के निर्देशद तैनात सुरक्षाकर्मियों को दियें हैं। इसके साथ ही बाहर से मवेशी लेकर आने वाले वाहनों को पशु परिवहन नियम-1978 में निहित नियम-47 के तहत सारणी-एच के अनुरुप पशु पालन विभाग के राजकीय पशु चिकित्सालयों पर नियुक्त क्षेत्रीय पशु चिकित्साधिकारी द्वारा संक्रमण रोग से मुक्त, स्वस्थयता प्रमाण पत्र धारित करने पर ही जनपद अन्तर्गत प्रवेश तथा परिवहन की अनुमति होगी। उन्होने कहा कि शहरी क्षेत्रों में सम्बन्धित नगर निकायों तथा ग्रामीण क्षेत्रों में जिला पंचायत को रोग के संवाहक मक्खी, मच्छरों के उन्मूलन हेतु नियमित रुप से कीटनाशकों का छिड़काव तथा फाॅगिंग की कार्यवाही सुनिश्चित करने के निर्देश दिये हैं। जिलाधिकारी ने कहा कि लम्पी चर्म रोग के कारण पशुओं के स्वास्थ्य तथा उत्पादन की हानि होने से पशुपालकों की आजीविका नकारात्मक रुप से प्रभावित हो रही है। कहा कि लम्पी संक्रमण पशुओं पशुओं, मक्खी, मच्छरों के माध्यम से एक-दूसरे स्थान पर फैल रहा है जिसकी रोकथाम हेतु सभी सम्बन्धित विभागों को समन्वय स्थापित करने हुए कार्य करने की आवश्यकता है। प्रशासन की तरफ से निर्देश दिया गया है कि अगर किसी भी पशुपालक को अपनी गायों में इस बीमारी का लक्षण दिखे तो वह तत्काल पशु चिकित्सा विभाग को सूचित करें और इलाज कराएं. पशुओं में तेजी से फैल रही लम्पी बीमारी के प्रभावी रोकथाम एवं जागरुकता के सम्बंध में बताते हुए जिलाधिकारी ईशा दुहन ने जनसामान्य से अपील करते हुए कहा है कि यदि किसी पशु में बीमारी के लक्षण दिखते हैं तो तत्काल निकटतम पशु चिकित्साधिकारी को सूचित करें. प्रभावित पशु को अन्य पशुओं से अलग रखें और प्रभावित पशु का आवागमन प्रतिबंधित करें.