शारदीय नवरात्रि 2022: केवल 48 मिनट ही रहेगा कलश स्थापना का अभिजीत मुहूर्त, जान लें सही समय
1 min read23/09/2022 7:05 am
दस्तक पहाड़ न्यूज ब्यूरो विशेष )- आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शारदीय नवरात्रि की शुरुआत होती है. इस बार शारदीय नवरात्रि 26 सितंबर से शुरू होंगे। फिलहाल पितृपक्ष चल रहे हैं और हिंदू धर्म में इनका विशेष महत्व है। पितृपक्ष के समाप्त होते ही नवरात्रि शुरू हो जाएंगे, जिनका लोगों को बेसब्री से इंतजार रहता है। इस दौरान भक्त मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए 9 दिनों तक उपवास रखते हैं और मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरुपों की पूजा करते हैं। नवरात्रि में घटस्थापना का भी विशेष महत्व है। आइए जानते हैं कब शुरू हो रहे हैं नवरात्रि और घटस्थापना का शुभ मुहूर्त।
कब हैं नवरात्रि 2022
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आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शारदीय नवरात्रि की शुरुआत होती है. इस बार शारदीय नवरात्रि 26 सितंबर से शुरू होंगे. इस दौरान 9 दिनों मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरुपों का पूजन किया जाता है. भक्तजन मां को प्रसन्न करने के लिए व्रत-उपवास भी रखते हैं. इस बार नवरात्रि बेहद ही शुभ होंगे क्योंकि मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आएंगी.
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घटस्थापना का शुभ मुहूर्त
नवरात्रि में घटस्थापना का विशेष महत्व होता है जिसे कलश स्थापना की कहा जाता है। कलश स्थापना के बाद ही पूजन विधि शुरू होती है। यदि घटस्थापना शुभ मुहूर्त में की जाए तो अधिक फलदायी होती है। राधे राधे ज्योतिष केंद्र के संचालक पं संदीप सेमवाल के अनुसार आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 26 सितंबर सुबह 3 बजकर 23 मिनट पर शुरू होगी। घटस्थापना के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 6 बजकर 17 मिनट पर शुरू होगा और 7 बजकर 55 मिनट तक रहेगा। यानि आपके पास घटस्थापना यानि कलश स्थापना के लिए 1 घंटा 38 मिनट का समय है।
नवरात्रि में घटस्थापना का महत्व
हिंदू धर्म में अधिकतर त्योहारों व व्रत में कलश स्थापना का विशेष महत्व होता है. मान्यता है कि कलश में देवी-देवताओं, ग्रहों व नक्षत्रों का वास होता है और कलश को मंगल कार्य का प्रतीका माना गया है. कलश स्थापना करने से घर में सुख-समृद्धि आती है. मान्यता है कि नवरात्रि में कलश स्थापना कर सभी शक्तियों का आव्हान किया जाता है और इससे नकारात्मकता ऊर्जा नष्ट होती है.
घटस्थापना में जौ का महत्व
नवरात्रि के दौरान घटस्थापना की जाती है और इस दौरान जौ बोते हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जौ को भगवान ब्रह्मा और मां अन्नपूर्ण देवी का प्रतीक माना गया है। कहते हैं कि सृष्टि की सबसे पहली फसल जौ है. इसलिए घटस्थापना के समय जौ बोए जाते हैं।
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