हरीश गुंसाई/ दस्तक पहाड़ कीl अगस्त्यमुनि नगर पंचायत अगस्त्यमुनि भले ही स्वच्छता में पुरस्कार मिलने से अपनी पीठ थपथपा कर गदगद हो रही हो परन्तु असलियत में नगर की सफाई व्यवस्था रामभरासे ही है। कहने को नगर की सफाई दिन में दो बार होती है। परन्तु यह कभी कभी ही दिखाई पड़ता है अन्यथा दिन में एक बार ही ढ़ंग से हो जाय यही गनीमत है। नगर का कूड़ा उठाने के लिए गाड़ी घूमती तो है परन्तु रूकती कहीं नहीं है। यदि आपसे थोड़ी देर हो जाय तो फिर कूड़ा आपके पास ही रह जायेगा। गाड़ी के साथ चल रहे सफाई कर्मी तो गाड़ी से उतरने की

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जहमत भी नहीं उठाते हैं। आपको ही किसी तरह से कूड़ा गाड़ी में डालना होता है। कई बार कहने के बाबजूद अनसुनी कर जाते हैं। घरों से तो कूड़ा एकत्रित करना नपं भूल ही गई है। सड़क पर तो सफाई हो भी जाती है। परन्तु नाली इत्यादि की सफाई तो बरसाती पानी पर ही निर्भर रहती है। शायद नगर पंचायत भी बरसात का इन्तजार करती रहती है। बरसात हो तो नाली में भरा कचरा बह जाय या जिसके घर के पास जमा हो अथवा जिसे दिक्कत हो रही हो वह ही इसे बाहर निकाल ले। अभी बरसात से पूर्व नपं ने नाली की सफाई हेतु वृहद अभियान भी चलाया था। परन्तु उसके बाद नाली साफ करना ही भूल गये। सबसे बुरा हाल अस्थाई रूप से बने शौचालयों का है। इनकी सफाई शायद ही कभी होती हो। इनकी हालत यह है कि यदि भूले से आप इन शौचालयों में लघुशंका के लिए भी गये तो दुर्गन्ध से बेहोश भी हो सकते हैं। यही हाल मूवेबिल शौचालय का है जिसमें न तो कभी पानी रहता है और नहीं सफाई। अब तो इन शौचालयों में न टौंटी रही है न ही टायलेट सीट और न ही दरवाजे। स्थानीय व्यापारी एवं भाजपा युवा मोर्चा के जिला उपाध्यक्ष अनिल कोठियाल का कहना है कि नगर पंचायत को भले ही लगातार तीन वर्ष स्वच्छता के क्षेत्र में पुरूस्कार मिला हो परन्तु धरातल पर सफाई व्यवस्था के बुरे हाल हैं। नगर में बने अस्थाई शौचालयों की स्थिति तो बद से बदतर है। स्थानीय व्यापारियों ने कई बार इन शौचालयों की सफाई हेतु नपं को कहा गया परन्तु कोई सुनवाई नहीं हुई। वहीं नगर पंचायत अध्यक्ष अरूणा बेंजवाल का कहना है कि सफाई कर्मियों को लगातार सफाई के लिए निर्देशित किया जाता है। यदि कहीं इस तरह की कमी होगी तो वे स्वयं इसे देखेंगी और सफाई व्यवस्था को दुरूस्त करेंगी। साथ ही उन्होंने कहा कि जनता को भी सरकारी सम्पति का ध्यान रखना होगा। अस्थाई शौचालयों में अक्सर टौंटियां चोरी हो जाती हैं। कई बार दोबारा लगाई भी गई हैं। परन्तु फिर से चोरी हो जाती हैं। इससे शौचालयों में पानी एवं सफाई की व्यवस्था नहीं हो पाती है।