मठियाँणा गाँव की बेटी मेघा की मेधा, बिना कोचिंग के पहले प्रयास में निकाला NEET
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08/11/20227:47 pm
दीपक बेंजवाल / अगस्त्यमुनि
दस्तक पहाड़ न्यूज- मठियाणा गाँव की मेघा ने अपनी मेधा से गाँव पहाड़ का नाम रोशन किया है। गाँव में रहकर पढ़ाई के साथ खेत खलिहान में काम करते हुए सफलता की ऐसी इबारत लिख डाली है जिस पर आज सभी को गर्व हो रहा है। बिना कोचिंग के पहले ही प्रयास में मेघा ने नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट (National Eligibility cum Entrance Test- NEET) में सफलता अर्जित की है। इससे पहले वर्ष 2017 में उत्तराखंड बोर्ड परीक्षाओं में भी मेघा 98 प्रतिशत अंक प्राप्त कर राज्य में तीसरा स्थान प्राप्त कर चुकी है।
गाँव की साधारण परिस्थित में पली बड़ी मेघा वह कर दिखाया है जो आज तक क्षेत्र की किसी बेटी ने नहीं किया था। मेघा अपने माँ बीना देवी के साथ गाँव में रहती है। उसके पिता गजेंद्र रावत प्राइवेट नौकरी करते है। बचपन से मेधावी प्रतिभा की धनी मेघा की हाईस्कूल शिक्षा अतुल माडल स्कूल तिलवाड़ा और इंटरमीडिएट केन्द्रीय विद्यालय अगस्त्यमुनि से हुई है।
मेघा ने बताया कि वह पढ़ाई के लिए कोई विशेष समय नहीं निकालती थी, लेकिन उसने नीट की तैयारी दसवीं कक्षा से ही शुरू कर दी थी। बातचीत में मेघा ने बताया कि अगर पूरी लग्न व मेहनत से किसी परीक्षा की तैयारी की जाए तो सफलता पाना कोई मुश्किल बात नहीं है।
तिलवाड़ा क्षेत्र के सक्रिय युवा हैप्पी असवाल मेघा की सफलता पर प्रसन्नता प्रकट करते हुए बताते है कि घर गाँव में रहकर देश की सर्वोच्च मेडिकल एग्जाम क्लीयर मेघा ने पूरे रूद्रप्रयाग जिले का नाम रोशन किया है। इस परीक्षा में देश भर के बच्चे महंगी महंगी कोचिंग लेकर प्रतिभाग करते है वही गाँव में रहने वाली इस साधारण बालिका मेघा ने बिना कोचिंग के सैल्फ स्टडी कर जता दिया है कि प्रतिभा किसी मदद की मोहताज नहीं होती है।
मठियाँणा गाँव की बेटी मेघा की मेधा, बिना कोचिंग के पहले प्रयास में निकाला NEET
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दीपक बेंजवाल / अगस्त्यमुनि
दस्तक पहाड़ न्यूज- मठियाणा गाँव की मेघा ने अपनी मेधा से गाँव पहाड़ का नाम रोशन किया है। गाँव में रहकर पढ़ाई के साथ खेत खलिहान में काम करते हुए सफलता की ऐसी
इबारत लिख डाली है जिस पर आज सभी को गर्व हो रहा है। बिना कोचिंग के पहले ही प्रयास में मेघा ने नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट (National Eligibility cum Entrance Test- NEET) में
सफलता अर्जित की है। इससे पहले वर्ष 2017 में उत्तराखंड बोर्ड परीक्षाओं में भी मेघा 98 प्रतिशत अंक प्राप्त कर राज्य में तीसरा स्थान प्राप्त कर चुकी है।
गाँव की साधारण परिस्थित में पली बड़ी मेघा वह कर दिखाया है जो आज तक क्षेत्र की किसी बेटी ने नहीं किया था। मेघा अपने माँ बीना देवी के साथ गाँव में रहती है।
उसके पिता गजेंद्र रावत प्राइवेट नौकरी करते है। बचपन से मेधावी प्रतिभा की धनी मेघा की हाईस्कूल शिक्षा अतुल माडल स्कूल तिलवाड़ा और इंटरमीडिएट केन्द्रीय
विद्यालय अगस्त्यमुनि से हुई है।
मेघा ने बताया कि वह पढ़ाई के लिए कोई विशेष समय नहीं निकालती थी, लेकिन उसने नीट की तैयारी दसवीं कक्षा से ही शुरू कर दी थी। बातचीत में मेघा ने बताया कि अगर
पूरी लग्न व मेहनत से किसी परीक्षा की तैयारी की जाए तो सफलता पाना कोई मुश्किल बात नहीं है।
तिलवाड़ा क्षेत्र के सक्रिय युवा हैप्पी असवाल मेघा की सफलता पर प्रसन्नता प्रकट करते हुए बताते है कि घर गाँव में रहकर देश की सर्वोच्च मेडिकल एग्जाम
क्लीयर मेघा ने पूरे रूद्रप्रयाग जिले का नाम रोशन किया है। इस परीक्षा में देश भर के बच्चे महंगी महंगी कोचिंग लेकर प्रतिभाग करते है वही गाँव में रहने वाली
इस साधारण बालिका मेघा ने बिना कोचिंग के सैल्फ स्टडी कर जता दिया है कि प्रतिभा किसी मदद की मोहताज नहीं होती है।