अंकिता हत्याकांड : हाईकोर्ट ने पूछा- एसआईटी पर भरोसा क्यों नहीं ? माता-पिता को बनाया पक्षकार
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12/11/20223:58 pm
दस्तक पहाड न्यूज / नैनीताल। हाईकोर्ट ने अंकिता हत्याकांड मामले में उसके माता-पिता को याचिका में पक्षकार बनाकर उन्हें विस्तृत जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही यह भी पूछा है कि उन्हें एसआईटी की जांच पर संदेह क्यों हो रहा है। मामले की अगली सुनवाई 18 नवंबर को होगी। अंकिता हत्याकांड की जांच सीबीआई से कराए जाने के मामले में दायर याचिका पर शुक्रवार को वरिष्ठ न्यायमूर्ति संजय कुमार मिश्रा की एकलपीठ में सुनवाई हुई। अंकिता की माता सोनी देवी और पिता विरेंद्र सिंह भंडारी ने बेटी को न्याय दिलाने व दोषियों को फांसी की सजा दिए जाने की मांग की। उन्होंने अपनी याचिका में कहा कि एसआईटी इस मामले की जांच में लापरवाही बरत रही है इसलिए इसकी जांच सीबीआई से कराई जाए।
उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार इस मामले में शुरुआत से ही किसी वीआईपी को बचाना चाह रही है। सबूत मिटाने के लिए रिजॉर्ट से लगी फैक्टरी को भी जला दिया गया जबकि वहां कई सबूत मिल सकते थे। स्थानीय लोगों के मुताबिक फैक्टरी में खून के धब्बे देखे गए थे।
केस वापस लेने का दबाव बनाया जा रहा है
अंकिता के माता-पिता ने कहा कि सरकार ने किसी को बचाने के लिए जिलाधिकारी का स्थानांतरण तक कर दिया। उन पर इस केस को वापस लिए जाने का दबाव डाला जा रहा है। उन पर क्राउड फंडिंग का आरोप भी लगाया जा रहा है।
सुनवाई के दौरान एसआईटी की ओर से भी जवाब पेश किया गया। कोर्ट ने जांच अधिकारी से पूछा है कि फोरेंसिक जांच में क्या साक्ष्य मिले लेकिन जांच अधिकारी कोर्ट को संतुष्ट नहीं कर पाए। जांच अधिकारी ने कहा कि रिजॉर्ट के कमरे को ध्वस्त करने से पहले पूरी फोटोग्राफी की गई थी। अंकिता के कमरे से एक बैग के अलावा कुछ नहीं मिला।
याचिका में मांगें
– अंकिता के रिश्ते के चाचा आशुतोष नेगी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा कि पुलिस व एसआईटी इस मामले के महत्वपूर्ण सबूतों को छुपा रही है।
– एसआईटी की ओर से अभी तक पोस्टमार्टम की रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की गई है।
– जिस दिन शव बरामद हुआ था उसी दिन शाम को उनके परिजनों की मौजूदगी के बिना अंकिता का कमरा तोड़ दिया गया।
– पुलिस ने बिना किसी महिला डॉक्टर की मौजूदगी में पोस्टमार्टम कराया गया जो सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के विरुद्ध है।
– जिस दिन अंकिता की हत्या हुई थी उस दिन छह बजे पुलकित उसके कमरे में मौजूद था और अंकिता रो रही थी।
– याचिका में यह भी कहा गया कि दुराचार को पुलिस नहीं मान रही है। पुलिस इस केस में लीपापोती कर रही है इसलिए इस केस की जांच सीबीआई से कराई जाए।
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दस्तक पहाड न्यूज / नैनीताल। हाईकोर्ट ने अंकिता हत्याकांड मामले में उसके माता-पिता को याचिका में पक्षकार बनाकर उन्हें विस्तृत जवाब दाखिल करने के
निर्देश दिए हैं। साथ ही यह भी पूछा है कि उन्हें एसआईटी की जांच पर संदेह क्यों हो रहा है। मामले की अगली सुनवाई 18 नवंबर को होगी। अंकिता हत्याकांड की जांच
सीबीआई से कराए जाने के मामले में दायर याचिका पर शुक्रवार को वरिष्ठ न्यायमूर्ति संजय कुमार मिश्रा की एकलपीठ में सुनवाई हुई। अंकिता की माता सोनी देवी और
पिता विरेंद्र सिंह भंडारी ने बेटी को न्याय दिलाने व दोषियों को फांसी की सजा दिए जाने की मांग की। उन्होंने अपनी याचिका में कहा कि एसआईटी इस मामले की जांच
में लापरवाही बरत रही है इसलिए इसकी जांच सीबीआई से कराई जाए।
उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार इस मामले में शुरुआत से ही किसी वीआईपी को बचाना चाह रही है। सबूत मिटाने के लिए रिजॉर्ट से लगी फैक्टरी को भी जला दिया गया जबकि
वहां कई सबूत मिल सकते थे। स्थानीय लोगों के मुताबिक फैक्टरी में खून के धब्बे देखे गए थे।
केस वापस लेने का दबाव बनाया जा रहा है
अंकिता के माता-पिता ने कहा कि सरकार ने किसी को बचाने के लिए जिलाधिकारी का स्थानांतरण तक कर दिया। उन पर इस केस को वापस लिए जाने का दबाव डाला जा रहा है। उन पर
क्राउड फंडिंग का आरोप भी लगाया जा रहा है।
सुनवाई के दौरान एसआईटी की ओर से भी जवाब पेश किया गया। कोर्ट ने जांच अधिकारी से पूछा है कि फोरेंसिक जांच में क्या साक्ष्य मिले लेकिन जांच अधिकारी कोर्ट को
संतुष्ट नहीं कर पाए। जांच अधिकारी ने कहा कि रिजॉर्ट के कमरे को ध्वस्त करने से पहले पूरी फोटोग्राफी की गई थी। अंकिता के कमरे से एक बैग के अलावा कुछ नहीं
मिला।
याचिका में मांगें
- अंकिता के रिश्ते के चाचा आशुतोष नेगी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा कि पुलिस व एसआईटी इस मामले के महत्वपूर्ण सबूतों को छुपा रही है।
- एसआईटी की ओर से अभी तक पोस्टमार्टम की रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की गई है।
- जिस दिन शव बरामद हुआ था उसी दिन शाम को उनके परिजनों की मौजूदगी के बिना अंकिता का कमरा तोड़ दिया गया।
- पुलिस ने बिना किसी महिला डॉक्टर की मौजूदगी में पोस्टमार्टम कराया गया जो सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के विरुद्ध है।
- जिस दिन अंकिता की हत्या हुई थी उस दिन छह बजे पुलकित उसके कमरे में मौजूद था और अंकिता रो रही थी।
- याचिका में यह भी कहा गया कि दुराचार को पुलिस नहीं मान रही है। पुलिस इस केस में लीपापोती कर रही है इसलिए इस केस की जांच सीबीआई से कराई जाए।